पीयू प्रोफेसर को मानहानि केस में मिला दस लाख रुपये मुआवजा
पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व डायरेक्टर स्पोर्ट्स एवं मौजूदा समय में फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर गुरमीत सिंह को जिला अदालत ने 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश सुनाया है।
By Sat PaulEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 04:57 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 11:33 AM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व डायरेक्टर स्पोर्ट्स एवं मौजूदा समय में फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर गुरमीत सिंह को जिला अदालत ने 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश सुनाया है। जिला अदालत में सीनियर डिविजन जज वरुण नागपाल ने प्रोफेसर गुरमीत सिंह की मानहानि याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है।
पंजाब यूनिवर्सिटी में कांट्रेक्ट पर लगे टेनिस कोच रुपिंदर सिंह सैनी ने झूठा एफिडेविट देते हुए प्रोफेसर गुरमीत सिंह के खिलाफ कई आरोप लगाए थे। प्रोफेसर गुरमीत ने रुपिंदर के खिलाफ जिला अदालत में मानहानि का सिविल सूट दायर किया और 50 लाख रुपये की मुआवजे की मांग की थी। गुरमीत के वकील एसके जैन ने बताया कि रुपिंदर ने कोर्ट में उसके द्वारा कोई भी एफिडेविट दिए जाने से इन्कार कर दिया, लेकिन बाद में जब उनके द्वारा गवाह पेश किए गए तो रुपिंदर सिंह केस में दोषी पाए गए।
पीयू प्रशासन पर सवाल
अदालत के इस आदेश के बाद पीयू प्रशासन पर भी सवाल खड़ा हो गया है। पीयू प्रशासन ने बिना सर्टिफिकेट के जांच की है। कैसे एक टेनिस कोच को कांट्रेक्ट पर रख लिया। इसने पीयू प्रशासन की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल उठा दिया है।
भले ही समय लगा पर, न्यायिक व्यवस्था पर था पूरा भरोसा
रुपिंदर सिंह ने मुझे बदनाम किया। जबकि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया था। सच्चाई के लिए हर किसी को लड़ाई लडऩी चाहिए। मुझे न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा था। भले ही पांच साल का लंबा समय लगा, लेकिन आखिर में जीत सच्चाई की हुई और बेदाग निकला।
प्रोफेसर गुरमीत सिंह, पीयू फिजिकल एजुकेशन विभाग।
पंजाब यूनिवर्सिटी में कांट्रेक्ट पर लगे टेनिस कोच रुपिंदर सिंह सैनी ने झूठा एफिडेविट देते हुए प्रोफेसर गुरमीत सिंह के खिलाफ कई आरोप लगाए थे। प्रोफेसर गुरमीत ने रुपिंदर के खिलाफ जिला अदालत में मानहानि का सिविल सूट दायर किया और 50 लाख रुपये की मुआवजे की मांग की थी। गुरमीत के वकील एसके जैन ने बताया कि रुपिंदर ने कोर्ट में उसके द्वारा कोई भी एफिडेविट दिए जाने से इन्कार कर दिया, लेकिन बाद में जब उनके द्वारा गवाह पेश किए गए तो रुपिंदर सिंह केस में दोषी पाए गए।
पीयू प्रशासन पर सवाल
अदालत के इस आदेश के बाद पीयू प्रशासन पर भी सवाल खड़ा हो गया है। पीयू प्रशासन ने बिना सर्टिफिकेट के जांच की है। कैसे एक टेनिस कोच को कांट्रेक्ट पर रख लिया। इसने पीयू प्रशासन की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल उठा दिया है।
भले ही समय लगा पर, न्यायिक व्यवस्था पर था पूरा भरोसा
रुपिंदर सिंह ने मुझे बदनाम किया। जबकि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया था। सच्चाई के लिए हर किसी को लड़ाई लडऩी चाहिए। मुझे न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा था। भले ही पांच साल का लंबा समय लगा, लेकिन आखिर में जीत सच्चाई की हुई और बेदाग निकला।
प्रोफेसर गुरमीत सिंह, पीयू फिजिकल एजुकेशन विभाग।
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