सेहत विभाग का जागरूकता अभियान कागजों तक सीमित
फोटो 13 जासंबठिडा परिवार की टेंशन और जमाने के दूसरे गम को भुलाने के लिए लोग नशे का सहारा ले रहे हैं। धीरे-धीरे नशा उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लेता है। कोई शराब का आदी हो जाता है तो कोई सिगरेट गुटखा और खैनी को अपना साथी बना लेता है। तंबाकू की जद से बाहर निकलना आसान नहीं होता है। यह जानलेवा साबित हो जाती है। लगातार तंबाकू के सेवन करने से लोगों की मौत हो जाती है लेकिन मजेदार बात यह है कि कानून बनाने वाले इस गंभीरता से अमल करवाने की सुध नहीं ले पा रहे है। सेहत विभाग केवल चालान काटने तक ही सीमित है लेकिन वह भी बहुत कम है। पूर्व डेढ़ वर्षों में सेहत विभाग ने 10
जासं,बठिडा : परिवार की टेंशन और जमाने के दूसरे गम को भुलाने के लिए लोग नशे का सहारा ले रहे हैं। धीरे-धीरे नशा उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लेता है। कोई शराब का आदी हो जाता है तो कोई सिगरेट, गुटखा और खैनी को अपना साथी बना लेता है। तंबाकू की जद से बाहर निकलना आसान नहीं होता। लगातार तंबाकू के सेवन करने से लोगों की मौत हो जाती है। सेहत विभाग केवल चालान काटने तक ही सीमित है। पिछले डेढ़ वर्षों में सेहत विभाग ने 1086 लोगों के सरेआम सार्वजनिक स्थानों पर धुएं के छल्ले उड़ाने पर चालान काटे हैं। धूम्रपान के ज्यादातर शौकीनों को तो इस कानून का पता ही नहीं है। वह बेधड़क बीड़ी-सिगरेट के कश हर जगह खींच रहे हैं।
सेहत विभाग हर साल विश्व निषेध तंबाकू दिवस पर जागरूकता अभियान चलाता है। अभियान के तहत गोष्ठियां, रैली, पोस्टर और निबंध प्रतियोगिता करवाई जाती है, लेकिन उन बच्चों के बीच कराई जाती है, जिन्हें तंबाकू के बारे में कोई जानकारी तक नहीं होती है। इस दिवस पर विभाग विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कराएगा। लेकिन, यह सिर्फ स्कूलों तक सीमित होकर रह जाएगा।
सिविल अस्पताल बठिडा के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अरूण बांसल का कहना है कि तंबाकू, धूम्रपान खतरनाक हैं। गुटखा से मुंह का कैंसर हो सकता है। मुंह का कम खुलना, छाले पड़ना, चमड़ी सख्त या सफेद होना इसके लक्षण हैं। सिगरेट-बीड़ी धूम्रपान से श्वास संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। दमा, फेफड़े व गले का कैंसर, हृदय रोग, हार्ट अटैक हो जाते हैं। मुंह में च्यूइंगम डालने से धूम्रपान की तलब कम होती है।