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पंजाब के दो प्रगतिशील किसानों ने समझाया कैसे फायदेमंद हैं Agricultural Laws, कहा- खुलेगी नई राह

Agricultural Laws पंजाब में किसान के कृषि कानूनों को लेकर विराेध के बीच कई प्रगतिशील किसानों की सोच अलग है। बठिंडा के दो प्रगतिशील किसानों ने समझाया है कि कृषि सुधार कानून किस तरह फायदेमंद हैं। उनका कहना है कि इससे किसानों के लिए आय के नए रास्‍ते खुलेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 01:36 PM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 01:36 PM (IST)
पंजाब के दो प्रगतिशील किसानों ने समझाया कैसे फायदेमंद हैं Agricultural Laws, कहा- खुलेगी नई राह
पंजाब के बठिंडा जिले के प्रगतिशील किसान जसकरण सिंह और बलविंदर सिं‍ह। (जागरण)

बठिंडा, जेएनएन। Agricultural Laws: पंजाब में नए कृषि कानूनों को लेकर असमंजस में पड़़े किसान इसका विरोध कर रहे हैं और दिल्‍ली तक पहुंच कर आंदोलन कर रहे हैं। दूसरी और, ऐसे किसानों की कमी नहीं है जो इसे नया अवसर मान रहे हैं और उनको इन कानूनों से आय की नई राह खुलने की उम्‍मीद लग रही है। पंजाब के बठिंडा के दो प्रगतिशील किसानों का कहना है कि नए कृषि सुधार कानून किसानों के लिए नए विकल्‍प और अवसर पैदा करेगा। ऐसे में ये कानून किसानों के लिए कई तरीके से फायदेमंद हैं।

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प्रगतिशील किसान जसकरण सिंह और बलविंदर सिंह का कहना है कि किसान जब नए कृषि कानूनों को अपनाएंगे तो उन्हें कांट्रैक्ट फार्मिंग के फायदे का पता चलेगा। इससे उनको फसल लगाने के विकल्प मिलेंगे औरर उनकी आय बढऩे की राह खुलेगी। फसल विविधीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। अब तक एक साल में खेत से दो या तीन फसलें लेने वाले किसान एक खेत से साल में छह फसलें ले पाएंगे। फसल की क्वालिटी पर जोर रहेगा, जिससे दाम अच्छे मिलेंगे।

बाेले- फसल के विकल्प मिलेंगे, आय बढ़ाने की राह खुलेगी

यह कहना है डबवाली रोड के किनारे बसे गांव जोधपुर रोमाणा के किसान जसकरण ङ्क्षसह का। उनका कहना है कि फसल विविधीकरण से खाद और कीटनाशकों की खपत भी कम होगी। नकली बीजों की बिक्री पर पर सख्ती से लगाम लगेगी।

किसान जसकरण सिंह ने बताया कृषि सुधार कानूनों को फायदेमंद

18 एकड़ रकबे में खेती करने वाले किसान जसकरण सिंह पहले धान, नरमा और गेहूं की खेती करते थे लेकिन पिछले कुछ समय से इन्होंने खेतों में किन्नू के बाग भी लगा लिए हैं। हाल में गेहूं की बिजाई की है। इस बार उन्होंने काले गेहूं (ब्लैक वीट) की बिजाई की है। काले गेहूं का बीज करीब पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल मिलता है। वह कहते हैैं कि फसल तैयार होने पर इसकी कीमत सामान्य गेहूं से तीन से चार गुना तक मिलती है। ई-कामर्स सहित कई बड़ी कंपनियां इसकी खरीद करती हैं।

कहा, इस बार की काले गेहूं (ब्लैक वीट) की बिजाई, मिलती है अच्छी कीमत

जसकरण ने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों को आजादी देंगे कि वह अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकते हैं। फसल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। फसल को जब तक चाहे स्टोर करके रख सकते हैं। जसकरण सिंह ने कहा कि उनका बेटा एमबीए की पढ़ाई करने के बाद अब आर्गेनिक खेती कर रहा है। आर्गेनिक खेती से आय अच्छी होती है। इस बार पराली को जलाए बिना हैप्पी सीडर से ही गेहूं की बिजाई की है।

जसकरण ने कहा कि पंजाब का किसान खेती में आधुनिकीकरण का जन्मदाता है। किसान को बहकावे में न आकर खेती के लिए आधुनिक तकनीक को अपनाना चाहिए। कृषि सुधार कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म नहीं होगा। कांट्रैक्ट फार्मिंग से किसान बड़ी कंपनियों के गुलाम नहीं बनेंगे और न ही उनकी जमीनें छीनी जाएंगी बल्कि इससे उन्हें फसल की अच्छे दाम मिलेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर देश में खाद्य सुरक्षा कानून है। किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य कभी बंद नहीं हो सकता।

कंपनियां नहीं हड़प सकती जमीन

गांव नरूआना के किसान बलविंदर सिंह की 15 एकड़ जमीन है। कभी धान, नरमा और गेहूं की खेती करने वाले बलविंदर ने इस बार दस एकड़ रकबे में सब्जियां उगाई हैं। गाजर, गोभी के अलावा टमाटर की खेती की है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में कांट्रैक्ट फार्मिंग का प्रावधान किया गया है। किसानों को गुमराह किया जा रहा है कि कंपनियां उनकी जमीन हड़प लेंगी। सरकार ने कानून में ऐसा करने वालों के खिलाफ अदालत जाने का प्रावधान भी है। किसानों को तो कांट्रैक्ट फार्मिंग के तहत खेती करनी है इसमें जमीन हथिया लेने की कोई बात नहीं है।

खेत की सेहत और आय बढ़ाने के लिए कारगर है फसल विविधीकरण

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवॢसटी (पीएयू) के पूर्व वाइस चांसलर डा. किरपाल सिंह औलख का कहना है कि पारंपरिक रूप से धान पंजाब की फसल नहीं है, लेकिन जब देश के अन्न भंडार खाली थे, तब पंजाब के किसानों को धान उत्पादन के लिए कहा गया। धान की वजह से पंजाब का भूमिगत जल स्तर बहुत नीचे चला गया। अब अगर किसानों ने धान की जगह अन्य फसलों जैसे सब्जियां, मक्की, दालों की तरफ शिफ्ट नहीं किया तो जमीन की सेहत खराब हो जाएगी।

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उन्‍होंने कहा कि फसल विविधीकरण अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं और साथ ही उनकी आय भी बढ़ेगी। धान की जगह अगर दालें व सब्जियां उगाई जाती हैं, तो इससे पराली की समस्या से भी निपटा जा सकता है। पराली पशुओं के लिए खतरनाक है, जबकि दालों व सब्जियों का वेस्ट पशुओं के लिए अच्छा चारा है। फसल विविधीकरण न केवल पंजाब बल्कि किसान के लिए भी फायदेमंद है।

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