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बच्‍चों के मन को पढ़ें; तीन लड़कियां परिवार के बंधनों से हुईं बोर, आजाद जिंदगी जीने को पहुंचीं मुंबई

बठिंडा की तीन लड़कियां परिवार की रोकटोक व बंधनों से परेशान हो गई थीं। वे अपनी जिंदगी से बोर होने के कारण आजाद जिंदगी चाहती थीं और इसके लिए घर से भाग गईं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 11:54 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 12:31 PM (IST)
बच्‍चों के मन को पढ़ें; तीन लड़कियां परिवार के बंधनों से हुईं बोर, आजाद जिंदगी जीने को पहुंचीं मुंबई
बच्‍चों के मन को पढ़ें; तीन लड़कियां परिवार के बंधनों से हुईं बोर, आजाद जिंदगी जीने को पहुंचीं मुंबई

बठिंडा, जेएनएन। बच्‍चों के मन को पढ़ना जरूरी बेहद जरूरी है। उनके दिल और दिमाग में क्‍या चल रहा है और कौन सी स्थिति उन पर क्‍या असर कर रहा है यह सहज रूप से जानना मुश्किल होता है। इस कारण वे कई बार बेहद जटिल और खतरनाक हालत में फंस जाते हैं। ऐसा ही कुछ पंजाब के बठिंडा की तीन लड़कियों ने किया। सातवीं कक्षा की ये लड़कियां परिवार के बंधनों से बोर हो गई थीं और आजाद जिंदगी जीना चाहती थीं। बाल दिवस के दिन वे घर से भाग गईं और मुंबई पहुंच गईं। वहां कोई ठिकाना न मिला तो वापस दिल्‍ली आईं। इसके बाद तलाशी में जुटी पुलिस ने उनको पकड़ लिया।

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परिजनों से दुखी थीं तथा घर में कैद महसूस करती थीं तीनों लड़कियां

तीनों छात्राएं पुलिस को दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मिलीं। अब उनको काउंसलिंग के लिए डॉक्टर के पास भेजा जाएगा। एसएसपी डॉ. नानक सिंह ने बताया कि तीनों लड़कियां सही सलामत हैं। तीनों अपनी मर्जी से घर से गई थीं। बच्चियों ने बातचीत में पुलिस को बताया कि वह अपने परिजनों से दुखी हैं।

पत्रकारों को जानकारी देते एसएसपी डॉ. नानक सिंह। 

उन्‍होंने बताया कि उनके परिवार वालों में सेे कोई उनके साथ मारपीट करता है या फिर उन्हें कोई मोबाइल  या सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से रोकता है। इसके चलते वह अपने घर में अपने आप को कैद महसूस करती थीं। इसलिए वह आजाद जिंदगी जीना चाहती थीं। लड़कियों ने करीब एक माह पहले घर से भाग जाने की प्लानिंग बनाई थी।

एसएसपी ने बताया कि योजना के मुताबिक दो ही लड़कियां अपना घर छोड़कर जाना चाहती थीं। तीसरी लड़की उनकी सहेली होने के नाते मर्जी से साथ गई थी। तीनों ने दिल्ली जाकर रहने और वहीं पर नौकरी कर अपनी जिंदगी बीतने का योजना तैयार कर ली। दिल्ली पहुंचने के लिए उन्होंने करीब एक माह से अपने पैसे जमा करने शुरू कर दिए थे। तीनों लड़कियां 14 नवंबर को बठिंडा रेलवे स्टेशन पहुंचीं लेकिन दिल्ली की ट्रेन पहले चली गई थी।

उन्‍होंने बताया कि इसके बाद तीनों सहेलियां दिल्ली की ट्रेन पकडऩे के लिए मानसा पहुंचीं। वहां ट्रेन नहीं मिलने पर वें संगरूर पहुंचीं और वहां से ट्रेन पकड़कर दिल्ली पहुंचीं। 14-15 नवंबर की रात को दिल्ली के एक होटल में रहने के बाद एक लड़की ने बेंगलूर रहते अपने बुआ के लड़के को फोन किया और दिल्ली पहुंचने की बात कही। इसके बाद वह ट्रेन से बेंगलूर पहुंच गईं।

एसएसपी ने बताया कि बंगलूर पहुंचने के बाद के बाद उसने अपने बुआ के लड़के को फोन कर स्टेशन पर बुलाया। बुआ के लड़के ने वापस घर जाने के लिए समझाया, लेकिन लड़कियां नहीं मानीं। इस पर वह साथ लेकर उनको दिल्ली पहुंचा। वह जब लड़कियों को दिल्ली से बठिंडा भेजने के लिए टिकट लेने लगा तो इसी दौरान तीनों मौका देखकर वहां से गायब हो गईं और दोबारा मुंबई पहुंच गई। मुंबई में जब लड़कियों को रहने का ठिकाना और कोई काम नहीं मिला तो वे वापस दिल्ली आ गईं। यहां पहुंचने पर पुलिस ने उन्हें बरामद किया।

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लापता लड़कियों में से एक के पिता का कहना है कि वह लगातार पुलिस के संपर्क में थे। हंस नगर स्थित लड़की के चाचा ने इन तीनों लड़कियों को निजामुदीन रेलवे स्टेशन से बरामद कर लिया था ओर उन्हें रेलवे पुलिस के हवाले कर दिया था। वीरवार देर रात को लड़कियों को लेकर थाना कोतवाली प्रभारी दविंदर सिंह और एएसआइ राजीव कुमार बइिंडा पहुंचे। रात का समय होने के कारण लड़कियों को तुरंत माता-पिता के हवाले कर दिया।  अब उनको अदालत में पेशकर बयान दर्ज कराए जाएंगे और उनकी काउंस‍िलिंग कराई जाएगी।

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