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कांग्रेस सरपंच ने गांव के साथ पक्षपात का आरोप लगा पंचायत अफसर पर तानी पिस्टल

सरपंच ने दाखिल होकर जहां उनके साथ पक्षपात करने के आरोप लगाए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 11:47 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 11:47 PM (IST)
कांग्रेस सरपंच ने गांव के साथ पक्षपात का आरोप लगा पंचायत अफसर पर तानी पिस्टल
कांग्रेस सरपंच ने गांव के साथ पक्षपात का आरोप लगा पंचायत अफसर पर तानी पिस्टल

संस, रामपुरा फूल : रामपुरा के ब्लाक विकास व पंचायत अफसर के दफ्तर में गांव बदियाला के कांग्रेस के सरपंच ने दाखिल होकर जहां उनके साथ पक्षपात करने के आरोप लगाए, वहीं गांव में काम करवाने के एक प्रस्ताव को जबरन पास करवाने के लिए अधिकारियों को हथियार दिखाने व आत्महत्या करने की धमकी दी। हालांकि, मामला छह दिन पुराना है। थाना सिटी रामपुरा पुलिस ने ब्लाक विकास व पंचायत अफसर की शिकायत पर आरोपित सरपंच के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। आरोपित सरपंच की गिरफ्तारी होनी बाकी है।

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सिटी रामपुरा पुलिस के पास ब्लाक विकास व पंचायत अफसर रामपुरा ने बताया कि उनके अधीन आते गांव बदियाला के सरपंच गुरप्रीत सिंह आठ अक्टूबर उनके दफ्तर में हथियार लेकर दाखिल हुए। इस दौरान पहले उन्होंने स्टाफ व उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। वहीं जब उन्होंने कहा कि उनके काम को चंडीगढ़ से मंजूरी मिलने के बाद शुरू करवा देंगे तो उन्होंने कहा कि उनके गांव के साथ पक्षपात किया जा रहा है व लंबे समय से उनके काम को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। यहीं नहीं इसके बाद गुस्से में आए सरपंच ने पिस्टल निकाल लिया व गांव के विकास कार्य के प्रस्ताव पर जबरन मंजूरी लिखने के लिए बीडीओ ग्राम पंचायत प्रदीप कुमार को पिस्तौल दिखाकर तत्काल प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए कहा। जब प्रदीप कुमार ने ऐसा करने से मना किया व कहा कि वह बिना मंजूरी के अपने स्तर पर इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं तो उन्होंने आत्महत्या करने की धमकी दी। इसके बाद किसी तरह उन्होंने मामले को शांत किया व मामले की शिकायत पुलिस के पास दी गई। पुलिस ने आरोपी सरपंच के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। अधिकारियों के रवैये से परेशान होकर उठाया कदम : सरपंच गुरप्रीत सिंह

सरपंच गुरप्रीत सिंह का कहना है कि गांव में गंदे पानी की समस्या तथा विकास कार्यों को लेकर गत दो सप्ताह से बीडीपीओ कार्यालय के चक्कर लगाने के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। कार्यालय के अधिकारियों व स्टाफ के रवैये से परेशान होकर उन्हें उक्त कदम उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि वोट लेने के लिए उन्हें जनता की कचहरी में जाना ही पड़ेगा। यदि गांव के काम नहीं होंगे तो उन्हें वोट कौन देगा।


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