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अध्यापकों की सुपर-40 टीम विद्यार्थियों को बनाएगी तनाव मुक्त

पढ़ाई और भविष्य की चिता के कारण स्कूली बचों में मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 12:06 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 12:06 AM (IST)
अध्यापकों की सुपर-40 टीम विद्यार्थियों को बनाएगी तनाव मुक्त
अध्यापकों की सुपर-40 टीम विद्यार्थियों को बनाएगी तनाव मुक्त

संस, बठिडा : पढ़ाई और भविष्य की चिता के कारण स्कूली बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में शिक्षा विभाग ने स्कूली बच्चों के इसी तनाव को कम करने और उन्हें भविष्य की सही राह देने के लिए काउंसलिंग करना शुरू कर दिया है। इसके तहत शिक्षा विभाग ने सुपर 40 की टीम बनाई गई है। इसके तहत ही शिक्षा विभाग द्वारा मशाल प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों की काउंसलिंग करवाई जाएगी। इसका उद्देश्य बच्चों को काउंसलिग के माध्यम से मनोवैज्ञानिक मदद की जाए और उनकी करियर गाइडेंस भी की जा सके। ताकि स्कूल बच्चों की पढ़ाई पर असर न हो और वहीं अपनी पढ़ाई खत्म होने के बाद वह अपने करियर का सही चुनाव सही तरीके के साथ करें।

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इसके लिए शिक्षा विभाग ने मशाल नाम की वेबसाइट भी तैयार की गई है। वेबसाइट में बच्चों का तनाव को दूर करने के लिए करियर गाइडेंस के लिए मनोवैज्ञानिक व करियर गाइडेंस के लिए मनोवैज्ञानिक व करियर काउंसलरों के नामों की सूची डाली गई है। जैसे ही बच्चा अपनी समस्या या फिर करियर गाइडेंस फोर्म में लिखेगा, तो उसकी समस्या स्टेट काउंसलर तक पहुंच जाएगी। जिसके बाद उस बच्चों की समस्या का हल किया जाएगा। विभाग की ओर से हर जिले के सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के 40 अध्यापकों को इस संबंधी ट्रेनिग दी जाएगी। इसके अलावा अध्यापक भी अपना तनाव दूर करने के लिए इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकते हैं।

पिछले साल किए गए थे काउंसलरों के नंबर जारी

इसके अलावा पिछले परीक्षा के दिनों में बच्चों के लिए नंबर जारी किए गए थे। इन नंबरों पर फोन कर विद्यार्थी अपने परीक्षा के तनाव व करियर गाइडेंस संबंधी जानकारी लेते थे। शिक्षा विभाग के अनुसार परीक्षा में विद्यार्थी तनाव के कारण परेशान रहते हैं। कई बार विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या करने की कोशिश भी की गई है। इसलिए शिक्षा विभाग ने परीक्षा के दिनों को देखते हुए प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला किया है। ताकि बच्चों का कुछ तनाव दूर किया जा सके।

विद्यार्थियों को नहीं पता वह आगे क्या करना चाहते हैं

कुछ विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जिनको इस बात नहीं पता होता कि उनको आगे क्या करना है। इस प्रोजेक्ट के अधीन विद्यार्थियों को बताया जाएगा किस स्ट्रीम में क्या करना उनके लिए सही होगा। इसके तहत ही उनकी काउंसलिंग की जाएगी। विद्यार्थियों की हर समस्या का हल किया जाएगा। इसके अलावा इसका फायदा अध्यापकों को भी होगा। अध्यापक वर्ग भी अपनी समस्या को इस वेबसाइट में डालकर अपना तनाव दूर कर सकते हैं। ---कोट्स--

इसके प्रोजेक्ट के तहत 40 अध्यापकों का चुनाव हर जिले से किया जाएगा। इन 40 अध्यापकों के उपर एक हेड होगा, जोकि यह सारे कार्य करेगा। इन सभी अध्यापकों को चंडीगढ़ में ट्रेनिग दी जाएगी। इनके द्वारा समय समय पर विद्यार्थियों को गाइडेंस दी जाएगी।

कुलवंत सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी


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