एसएसडी सभा के प्रधान का फैसला आज
88 साल पुरानी सनातन धर्म सभा (एसएसडी) के चुनाव रविवार को सुबह दस बजे शुरू होने जा रहे हैं। इस चुनाव में एक तरफ चार्टर्ड अकांउटेंट प्रमोद मित्तल चुनाव लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर एडवोकेट अभय ¨सगला हैं। प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ने वाले दोनों नेताओं की ही सभा में अच्छी पैठ है। हालांकि प्रधानगी पद के दोनों उम्मीदवार ही दो-दो बार सभा के प्रधान रह चुके हैं लेकिन एक-दूसरे के खिलाफ वे पहली बार ही चुनाव लड़ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, ब¨ठडा : 88 साल पुरानी सनातन धर्म सभा (एसएसडी) के चुनाव रविवार को सुबह दस बजे शुरू होने जा रहे हैं। इस चुनाव में एक तरफ चार्टर्ड अकांउटेंट प्रमोद मित्तल चुनाव लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर एडवोकेट अभय ¨सगला हैं। प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ने वाले दोनों नेताओं की ही सभा में अच्छी पैठ है। हालांकि प्रधानगी पद के दोनों उम्मीदवार ही दो-दो बार सभा के प्रधान रह चुके हैं लेकिन एक-दूसरे के खिलाफ वे पहली बार ही चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में अभय ¨सगला ने चुनाव लड़ा था। उनके खिलाफ प्रमोद मित्तल ग्रुप के एडवोकेट संजय गोयल थे। वे महज दो वोटों के अतंर से चुनाव हार गए थे। लेकिन इस बार संजय गोयल सभा के प्रधान की जगह कॉलेज के प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि एडवोकेट अभय ¨सगला का मुकाबला सीए प्रमोद मित्तल के साथ है। हालांकि दोनों अलग अलग गुट के हैं लेकिन आमने सामने की लड़ाई पहली बार ही लड़ रहे हैं।
सभा के प्रधानगी पद का चुनाव लड़ने वाले दोनों दोनों उम्मीदवारों के पास ही अच्छा अनुभव है। प्रमोद मित्तल सीए हैं। इसके चलते उनके पास वित्तीय कामों का अच्छा तुजुर्बा है। जबकि अभय ¨सगला एडवोकेट हैं तो सभा के मामलों को अच्छे से समझ सकते हैं। प्रमोद मित्तल इस समय भी सभा के प्रधान हैं। उनके कार्यकाल में सभा का अच्छा विकास हुआ है और उन्होंने सभा को अच्छा प्रबंधन दिया है।
एसएसडी गर्ल्ज कॉलेज की प्रधानगी का मुकाबला एडवोकेट सोमनाथ बाघला व एडवोकेट संजय गोयल के बीच में है। संजय गोयल वह व्यक्ति हैं जो पिछले चुनाव के दौरान सभा की प्रधानगी का चुनाव लड़ चुके हैं। वे सिर्फ दो वोटों के अंतर से ही चुनाव हार गए थे। वहीं दूसरी ओर सीनियर एडवोकेट सोम नाथ बाघला हैं, जिसके पास कॉलेज की प्रधानगी का एक साल का अनुभव है। जबकि संजय गोयल के पास सभा के सचिव का तुजुर्बा है। ऐसे में कौन किसको पटकनी देता है यह तो समय ही तय करेगा लेकिन मुकाबला नेक टू नेक है। अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि कौन किसको कितनी वोट से हराएगा, लेकिन यह तय है कि अंतर कम वोटों का रहेगा। क्योंकि इस चुनाव को जीतने के लिए जहां इन उम्मीदवारों का जोर लगा हुआ था वहीं इनके समर्थकों का भी अंदरखाते जोर लगा हुआ था। वे अपने-अपने गुट के उम्मीदवारों को जिताने के लिए एक-एक मेंबर के पास पहुंच कर जोड़तोड़ कर रहे थे।