उद्योगपतियों को पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली देने का वादा भूली सरकार
इंडस्ट्री के लिए सस्ती बिजली का वादा कर प्रदेश सरकार भूल गई है।
गुरप्रेम लहरी बठिडा
इंडस्ट्री के लिए सस्ती बिजली का वादा कर प्रदेश सरकार भूल गई है। इंडस्ट्री को पांच रुपये बिजली का लुभावना वादा कर प्रदेश में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी। पांच रुपये बिजली तो दे दी गई, लेकिन इस पर ड्यूटी, फिक्स्ड चार्जेज और कई तरह के अन्य सुविधाओं को बंद कर दिया गया। अब इंडस्ट्री को आठ रुपये प्रति यूनिट बिजली पड़ रही है। जिस कारण उद्योगपति सरकार से निराश हैं। बड़े यूनिटों को तो इसका लाभ हुआ, लेकिन छोटी इकाइयों की प्रोडक्शन कम होने के चलते बिजली 8 से 10 रुपये प्रति यूनिट पड़ने लगी है।
बिजली महंगी होने पर पड़ोसी राज्यों का मुकाबला करने में इंडस्ट्री असमर्थ
स्माल स्केल इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रधान सुखविदर सिंह जग्गी ने कहा कि बिजली हमारी इंडस्ट्री का मूल रॉ मेटीरियल है। सरकार की ओर से पांच रुपये बिजली का वादा पूरा नहीं किया जा रहा। नाइट टेरिफ समाप्त होने और फिक्स्ड चार्जेज से इसकी कास्ट और बढ़ गई है। इसका खमियाजा इंडस्ट्री को करोड़ों के इनपुट कास्ट के रूप में झेलना पड़ रहा है। पहले ही इनपुट कास्ट अन्य प्रदेशों के मुकाबले अधिक होने के चलते इंडस्ट्री पड़ोसी राज्यों का मुकाबला करने में सक्षम नहीं हो पा रही।
सरकार ने राहत के बजाए छीनी उद्योगपतियों की सुविधाएं
पीपी इंडस्ट्रीज के एमडी मुकेश जिदल ने बताया कि कांग्रेस द्वारा चुनाव से पहले उद्योगपतियों के साथ पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली देने का वादा किया था। इसके चलते उद्योगपतियों ने उनको समर्थन भी दिया था। लेकिन अब हमें 8 रुपये के करीब प्रति यूनिट बिजली पड़ रही है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक इंडस्ट्री में बिजली का एक अहम रोल है। सरकार राहत की बजाए सुविधाएं छीन रही है। प्रति माह 15 लाख रुपये की लग रही चपत
बठिडा-डबवाली रोड पर स्थित फोकल प्वाइंट में सौ से अधिक यूनिट हैं। जिनका मासिक बिल 40 लाख रुपये के करीब बनता है। सरकार द्वारा वादा न निभाए जाने के कारण अकेले फोकल प्वाइंट के उद्योगपतियों को ही 15 लाख रुपये की चपत लग रही है। क्या यह सिर्फ चुनावी जुमला था?
स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान सुखविंदर सिंह जग्गी और उद्योगपतियों का कहना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़े-बड़े वादे हर वर्ग के साथ किए थे। किसानों, नौजवानों, बेरोजगारों व उद्योगपतियों के साथ विभिन्न प्रकार के वादे किए गए और किसी वादे को पूरा किया या नहीं किया, उनको नहीं पता। लेकिन उनके साथ किया गया वादा अभी तक वफा नहीं हुआ। वे सरकार से पूछना चाहते हैं,क्या यह सिर्फ चुनावी जुमला ही था।