Move to Jagran APP

भक्ति की शक्ति का नाम है करवा चौथ : जैन साध्वी

जैन स्थानक में साध्वी डा. सुनीता महाराज ने कहा कि क्रोध मान माया लोभ एक श्रृंखलाबद्ध कषाय की प्रक्रिया है। अगर हमारी आत्मा में मान उत्पन्न हो गया तो हमें मायाचारी व लोभ उत्पन्न हो जाएगा जो प्रतिकूल निमित्त मिलने पर क्रोध उत्पन्न करेगा। साध्वी ने कहा कि जिसके जीवन में मान का अभाव है उसे मारदव धर्म प्राप्त होता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 04:28 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 10:22 PM (IST)
भक्ति की शक्ति का नाम है करवा चौथ : जैन साध्वी
भक्ति की शक्ति का नाम है करवा चौथ : जैन साध्वी

संसू, मौड़ मंडी : जैन स्थानक में साध्वी डा. सुनीता महाराज ने कहा कि क्रोध, मान, माया, लोभ एक श्रृंखलाबद्ध कषाय की प्रक्रिया है। अगर हमारी आत्मा में मान उत्पन्न हो गया तो हमें मायाचारी व लोभ उत्पन्न हो जाएगा, जो प्रतिकूल निमित्त मिलने पर क्रोध उत्पन्न करेगा। साध्वी ने कहा कि जिसके जीवन में मान का अभाव है उसे मारदव धर्म प्राप्त होता है। मारदव धर्म विनय संपन्नता से प्राप्त होता है, झुकने से प्राप्त होता है। अगर हमारे अंदर कर्ता भाव हैं कि मैं ही सब कुछ करने वाला हूं तो उसी क्षण हमारे अंदर मान कषाय उत्पन्न हो जाती है और जो हमारे पतन का कारण बनती है। जब तक हमारी आत्मा के अंदर विनय शीलता, विनय संपन्नता नहीं आएगी। तब तक धर्म हमारे जीवन में प्रवेश नहीं कर सकता जो जीव देव शास्त्र गुरु के चरणों में विनय पूर्वक प्रणाम करता है। पूजा भक्ति करता है, उसे संसार में किसी भी शक्ति के समक्ष झुकना नहीं पड़ता।

loksabha election banner

साध्वी शुभिता ने कहा परमात्मा की आराधना भक्ति बिना साधना का कोई मूल्य नहीं होता है। इस प्रकार सम्यक व्यवहार में अंक बिना शून्य का कोई अर्थ नहीं होता है। चरित्र की आराधना आत्मा का मौलिक गुण होता है। इसलिए ज्ञान अर्जन होता है। परमात्मा भक्ति आराधना बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जो धर्म करेगा वह कष्ट में होगा तो भी दुख में भी सुख मानकर स्वीकार करेगा। उसमें करुणा मैत्री भाव रहेगा। किसी के प्रति राग, द्वेष व भेदभाव नहीं रहेगा। प्राचीन काल में ऋषि मुनि आकाश मार्ग से तीर्थों का भ्रमण करते थे। साध्वी ने कहा कि भक्ति भाव शुद्ध होगा तभी आत्म कल्याण होगा। भाव का पुण्य देवलोक के रूप में मिलता है। महावीर की वाणी महिमा महत्वपूर्ण होती है। महावीर स्वामी ने जैसा कहा वैसा करना चाहिए तो हमारा आत्मा का कल्याण हो सकता है। उन्होंने कहा कि मंदिर पूजा की आराधना आत्मा को पवित्र करती है। पूजन से संपूर्ण शांति मिलती है। पूजा संस्कारों से घर को स्वर्ग बना सकते है। युवा वर्ग रोजगार व्यवसाय भोजन के पीछे धर्म का ध्यान छोड़ देते हैं। स्वतंत्रता सम्यक कल्याण मित्र का जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। ज्ञान दर्शन चरित्र ही जीवन का कल्याण कर सकता है। जीवन में बिना मित्र रह जाना लेकिन दुर्जन मित्र नहीं करना चाहिए। मित्रता सज्जन व्यक्ति से ही करनी चाहिए। जीवन एक प्रयोगशाला है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.