कोरोना टेस्ट करवाने से भगाने लगे शहरवासी, सेहत विभाग का टारगेट भी नहीं हो रहा पूरा
जिले में कोरोना टेस्ट करवाने में दिलचस्पी कम कर दी है।
जासं, बठिडा : पंजाब सरकार की तरफ से लेवल वन के कोविड सेंटर बंद करने के लिए गए फैसले के बाद जिले में कोरोना टेस्ट करवाने में दिलचस्पी कम कर दी है। पहले जहां सिविल अस्पताल के फ्लू कार्नर पर टेस्ट करवाने के लिए मरीजों की भीड़ लगी रहती थी, वहीं अब पूरे दिन से 20 से 30 लोग कोरोना टेस्ट करवाने के लिए अस्पताल पहुंच रहे है। हालत यह है कि जिले के सेहत विभाग के अधिकारी प्रतिदिन का 1450 सैंपल लेने का टारगेट भी पूरा नहीं कर पा रहे है। पूरे जिले भर से हररोज 600 से 700 सैंपल बहुत मुश्किल से हो रहे है यानि पचास फीसदी टारगेट विभाग पूरा नहीं कर पा रहे है। इसका सबसे बड़ा कारण सरकार व सेहत विभाग की तरफ से लेवल वन के कोविड सेंटर बंद करना है। लोगों को अब यह लगने लगा है कि सरकार ने कोविड सेंटर बंद कर यह संदेश दिया है कि कोरोना खत्म होता जा रहा है, जिसके कारण अब कोरोना टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं समझ रहे है, जबकि सेहत विभाग का मानना है कि 15 नवंबर बाद कोरोना के पीक का दूसरा चरण शुरू होने की आशंका है। वही सेहत विभाग की चिता इस मायने में बढ़ी है कि लोग कोरोना के सैंपल देने में कोताही बरत रहे हैं व अब अस्पतालों में टेस्ट करवाने की गति कम हुई है। इसका नुकसान कोरोना की हालत रही है व अंतिम समय में जांच के लिए अस्पताल में पहुंचते हैं जिसके चलते जिले में कोरोना से मरने वालों का बढ़ रहा है। फिलहाल सेहत विभाग ने फैसला लिया है कि वह जहां विभिन्न संस्थानों जिसमें इंडस्ट्री एरिया, लहरा थर्मल प्लाट, प्राइवेट थर्मल यूनिटों, सीमेंट फैक्ट्री, एनएफएल, स्कूल-कालेज व यूनिवर्सिटी में भेजकर कोरोना टेस्ट करे, ताकि ज्यादा से ज्यादा कोरोना टेस्ट हो सके। दरअसल कोरोना संक्रमण का बढ़ता दर लापरवाही का नतीजा है। फिलहाल लोग कोरोना को हल्के में ले रहे हैं और इसे मामूली सर्दी जुकाम मानने लगे हैं। ना तो कहीं सोशल दिखती है और ना ही मास्क की अहमियत। इसलिए बेहतर होगा कि कोरोना से बचने के लिए कोविड-19 से संबंधित नियमों का पालन करें। जब तक वैक्सीन नहीं आती है तब तक मास्क ही वैक्सीन है इस मंत्र का पालन करते हुए अपनी सुरक्षा खुद करें। सिविल सर्जन डा. अमरीक सिंह संधू ने कहा कि सिविल अस्पताल के फ्लू कार्नर में अस्पताल की टीम सैंपलिग कर रही है। वहीं जिले के विभिन्न सेहत सेंटरों पर सैंपलिग की जा रही है। लेहरा थर्मल प्लाट के 2400 कर्मियों का होने थे कोरोना टेस्ट सेहत विभाग ने जिला प्रशासन की मदद से लेहरा मोहब्बत थर्मल प्लांट में कार्यरत 2400 के करीब अधिकारियों व कर्मचारियों के कोरोना टेस्ट किए जाने थे। इसके लिए प्रशासन की तरफ थर्मल प्लाट प्रबंधकों को पत्र भेजकर 12 अक्टूबर सोमवार की तारीख तय की गई थी, लेकिन सोमवार को जब सेहत विभाग की टीमें थर्मल प्लांट पहुंची, तो वह पर कोई भी प्रबंध नहीं किए गए और नहीं कोई भी अधिकारी या कर्मचारी कोरोना टेस्ट करवाने के लिए आगे आया, जिसके चलते सेहत विभाग को बिना टेस्ट किए बैरंग लौटना पड़ा। इसके बाद मामले की जानकारी डीसी बठिडा को दी गई। इससे पहले भी सरकारी दफ्तरों में कैंप लगाकर किए गए कोरोना टेस्टों में लोग कम कर्मचारी व अधिकारी सामने आएं। डाक्टरों का कहना है कि लोगों में कोरोना टेस्ट को लेकर कहीं ना कहीं डर है, जिसके कारण वह टेस्ट करवाने के लिए आगे नहीं आ रहे है। 77 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई
सोमवार को नए कोरोना केस सामने आए हैं, जबकि राहत वाली बात यह है कि इसमें 77 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव मिली है। जिले में सैनिक छावनी, एयरफोर्स बेस, रामा मंडी सहित कई संस्थानों में सैंपलिग का काम चल रहा है जहां आए दिन कोरोना के केस भी मिल रहे हैं। सोमवार को आदेश में तीन, एम्स एनसीसी में तीन, सैनिक छावनी परिसर में 12, एयरफोर्स में दो, बस्ती में एक, विशाल नगर में एक, मोगा के ढुढीके, बिलासपुर व बाघापुराना से तीन केस, रामा मंडी में रामसर, भगवान चौक, आर्य स्कूल नजदीक जनता नगर, सरपंच कालोनी व नाथपुरा में पांच कोरोना केस मिले हैं।