क्षमा, अहिसा और सत्य के सहारे ही व्यतीत करें जीवन: डा. राजेंद्र मुनि
बठिडा के कपड़ा मार्केट स्थित जैन सभा के हाल में प्रवचन शुरू किए गए।
संस, बठिडा: बठिडा के कपड़ा मार्केट स्थित जैन सभा के हाल में प्रवचन शुरू किए गए। इस दौरान जैन संत पूज्य डा. राजेंद्र मुनि ने फरमाया कि धर्म व संप्रदाय अलग-अलग हैं।
उन्होंने कहा कि संप्रदाय मात्र सुरक्षा पहचान एवं व्यवस्था का रूप है। जैसे फलों और सब्जियों की सुरक्षा के लिए ऊपर छिलके का आवरण रहता है। मूल में फल तो भीतर का हिस्सा है। धर्म भी मूल में अहिसा, सत्य, क्षमा, शाकाहार व व्यसन मुक्त जीवन जीने में निहित है। वर्तमान समय में संप्रदाय को प्रमुखता व धर्म को गौण रूप दे दिया गया है। इसी के चलते धर्म के नाम पर दंगे, फसाद, जातिवाद, भाषावाद, कट्टरवाद, हिसावाद आदि पनपते जा रहे हैं। उन्होंने भगवान महावीर स्वामी की वाणी में वस्तु के मूल स्वभाव तत्व को धर्म की परिभाषा बतलाते हुए कहा कि जो जीवन का अभिन्न अंग होता है, जो कभी पृथक नहीं किया जा सकता वही वस्तुत: धर्म का स्वरूप है। हिसा, झूठ, चोरी और मदमांस के बलबूते पर व्यक्ति जीवन भर नहीं रह सकता, जबकि क्षमा, अहिसा और सत्य के सहारे संपूर्ण जीवन व्यतीत किया जाता है। मुनि जी ने धर्म को नींव की तरह बतलाते हुए कहा कि बिना नींव के भवन धराशाई हो जाते हैं। ऐसे ही बिना धर्म जीवन भी डांवा डोल हो जाता है। साहित्यकार सुरेंद्र मुनि द्वारा भक्तमार जी का महापाठ करवाया गया। महाराज जी ने सबको प्रेरणा दी कि चातुर्मास काल व ईद के दिन जप तप की साधना कर मंगल भाव दें ताकि जीवों की रक्षा हो सके। महामंत्री उमेश जैन ने आए हुए सभी भक्तजन का आभार व्यक्त किया।