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शहर की अनसेफ इमारतों में चल रहे सरकारी दफ्तर

पावरकॉम को अपने कर्मचारियों व उपभोक्ताओं की बजाय वीआइपीज की चिता ज्यादा रहती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jun 2019 07:24 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2019 06:36 AM (IST)
शहर की अनसेफ इमारतों में चल रहे सरकारी दफ्तर

जागरण संवाददाता, बठिडा : पावरकॉम को अपने कर्मचारियों व उपभोक्ताओं की बजाय वीआइपीज की चिता ज्यादा रहती है। यही वजह है कि पावरकॉम ने बठिडा की झील में रेस्ट हाउस पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन शहर की सब डिविजनों पर फूटी कौड़ी नहीं खर्च की। इसी कारण बठिडा में पावरकॉम की इमारतें खस्ताहाल हैं। इसके चलते पावर हाउस रोड व सिरकी बाजार स्थित सब डिविजन की इमारतों में बारिश होने पर तीन-तीन फुट पानी जमा हो जाता होता है। कई बार पावरकॉम का रिकॉर्ड भी भीग चुका है। इसके अलावा गोल डिग्गी के सामने बने पावरकॉम के दफ्तर की इमारत भी खस्ता है। इन इमारतों मे दरारें आ चुकी हैं। लेकिन अभी तक इनका कोई हल नहीं हुआ। गौर हो कि पावर हाउस रोड पर पहले यहां एसडीओ की रिहायशी कोठी हुआ करती थी। उस कोठी को ही सब डिविजन में तबदील कर दिया गया। इसके अलावा शनिवार को भी बठिडा की गोल डिग्गी के पास एक खस्ताहाल इमारत की दीवार गिरने से कार भी टूट गई थी।

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पावरकॉम दफ्तरों की तरफ नहीं दे रहा ध्यान

पावरकॉम ने लेक व्यू रेस्ट हाउस पर तो आठ करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन सब डिविजनों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जबकि अधिकारियों ने मैनेजमेंट को बार-बार पत्र भी लिखे कि सब डिविजन अनसेफ इमारतों में चल रही हैं। एक डबल स्टोरी इमारत बनाकर दोनों डिविजनों को इसमें शिफ्ट किया जाए, लेकिन मैनेजमेंट ने आर्थिक मंदी का रोना-रोकर प्रस्ताव नामंजूर कर दिया। मैनेजमेंट की ओर से कहा गया कि आप इस डिविजन को थर्मल कॉलोनी में खाली पड़ी कोठियों में शिफ्ट कर लें। अधिकारी जानते हैं कि प्रेक्टिकल तौर पर यह संभव नहीं है। उपभोक्ताओं को इतनी दूर जाने में परेशानी होगी। इस कारण उन्होंने शिफ्ट नहीं किया। बठिडा शहर के 80 हजार उपभोक्ताओं को बिल भरने आते समय धूप में व अनसेफ बिल्डिंग में खड़े रहना पड़ता है। हालांकि बठिडा डिविजन से पावरकॉम को प्रति माह 30 करोड़ की बिलिग कर रही है, लेकिन उनकी सुविधा के लिए पावरकॉम के पास एक पैसा भी नहीं है।

रेस्ट हाउस के लिए सर्किल

दफ्तर कर दिया शिफ्ट

वीआइपीज की सेवा के लिए पावरकॉम ने अपना सर्किल दफ्तर ही शिफ्ट कर दिया। इसको रिहायशी क्वार्टरों में शिफ्ट कर दिया गया, जबकि इस जगह पर अब लेक व्यू रेस्टहाउस बना दिया गया। सर्किल दफ्तर दूर होने से अब बठिडा के अलावा मानसा के लोगों को भी वहां जाने में दिक्कत आ रही है। ऐसे 12 रेस्ट हाउस नेता लोगों की खातिरदारी के लिए बनाए गए हैं। जो भी प्रभावशाली नेता बना उसने ही पावरकॉम का रेस्ट हाउस अपने-अपने क्षेत्र में बनवा लिया। पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने अपने गांव में रेस्ट हाउस बनाया, लेकिन उसका आज तक किसी को कोई फायदा नहीं मिला। जोगिदर सिंह मान ने मंत्री बनने पर अपने संगरूर जिले के दिड़बा में रेस्ट हाउस बनवा लिया। जिले में सिकंदर सिंह मलूका जब बिजली मंत्री बने तो उन्होंने अपने क्षेत्र भगता भाईका में रेस्ट हाउस बनवा लिया।

पावरकॉम की ये इमारते

हैं खस्ताहाल

- बठिडा का डबवाली रोड स्थित 66 केवी सब स्टेशन की रिपेयर करनी बाकी।

- बुढलाडा के 66 केवी सब स्टेशन की पीसीसी रोड की मरम्मत।

- रामपुरा में स्थित सब डिविजन का हालत बेहद खराब हो चुकी है।

- मेनटेनेंस डिविजन फिरोजपुर के एएसई ऑफिस की इमारत खस्ताहाल।

- रामपुरा के झंडूके सब डिविजन के 66 केवी ग्रिड की चारदीवारी ही नहीं।

- फाजिल्का की डिस्ट्रब्यूशन सबडिविजन की अप्रोच रोड।

- मलोट के 132 केवी सब स्टेशन के बेस की हालत खस्ता।

रानी महल खस्ताहाल, 1964 के बाद से नहीं हुई मरम्मत

बठिडा के ऐतिहासिक किले में बना रानी महल खस्ताहाल है। भूकंप जैसी स्थिति में आसपास के क्षेत्र में भारी नुकसान हो सकता है। इसकी पहली बार मरम्मत 1964 में की गई। 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने मरम्मत के लिए सवा करोड़ रुपए जारी किए लेकिन 2007 में कैप्टन सरकार बदलते ही अकाली-भाजपा सरकार ने इसमें से मुख्यमंत्री बादल के पैतृक गांव में बने दशमेश शूटिग रेंज, बादल के लिए 55 लाख ट्रांसफर कर दिए। 60 लाख कूका मेमोरियल ट्रस्ट, मलेरकोटला के लिए जारी कर दिए। इस तरह मरम्मत का काम अधर में रह गया।

डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर बंद

जिले का सार्क डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर भी बंद है। सरकार ने गुजरात भूकंप के बाद सेंटर बना फंड जारी किया लेकिन एक साल से इसे फंड नहीं मिला। इसके कारण सेंटर बंद है। लोगों को भूकंप के प्रति जागरूक करने का काम ठप है। शहर में हजारों ऐसी इमारतें हैं, जिनमें रेट्रो फिटिग यानी भूकंपरोधी मरम्मत की सख्त जरूरत है।


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