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निगम की कार्यप्रणाली, त्रिवेणी कंपनी के काम पर भारी

वर्षों पुराने सीवरेज के ओवरफ्लो होकर जलभराव होने की समस्या अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुई है, लेकिन अब त्रिवेणी इंजीनिय¨रग एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 220 करोड़ रुपये के कांट्रेक्ट के तहत नया डाला जा रहा सीवरेज भी नगर निगम की लचर कार्य प्रणाली के चलते नगरवासियों पर भारी पड़ सकता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 06:53 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 06:53 PM (IST)
निगम की कार्यप्रणाली, त्रिवेणी कंपनी के काम पर भारी

सुभाष चंद्र, ब¨ठडा : वर्षों पुराने सीवरेज के ओवरफ्लो होकर जलभराव होने की समस्या अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुई है, लेकिन अब त्रिवेणी इंजीनिय¨रग एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 220 करोड़ रुपये के कांट्रेक्ट के तहत नया डाला जा रहा सीवरेज भी नगर निगम की लचर कार्य प्रणाली के चलते नगरवासियों पर भारी पड़ सकता है। त्रिवेणी कंपनी जिन क्षेत्रों में नया सीवरेज डालने में लगी हुई है, पीछे-पीछे उन क्षेत्रों में निगम की ओर से बनाई जा रही रोड जालियों का सीवरेज में गिर रहा मलबा बाहर नहीं निकाला जा रहा है। इस कारण सीवरेज के चालू होने पर सीवर जाम होने की वजह बनना स्वाभाविक है। इससे पहले कि इसका ठीकरा त्रिवेणी कंपनी के सिर पर फूटे, उसने मंगलवार को नगर निगम के मेयर, कमिश्नर के अलावा सीवरेज बोर्ड अधिकारियों को पत्र लिखकर पहले ही चेता दिया है।

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रोड जालियों का सीवरेज मैनहोल से

नहीं निकाल रहे मलबा

त्रिवेणी के डीजीएम वीबी शिवांगी ने बताया कि कंपनी की ओर से हाल ही अनूप ¨सह नगर, मुलतानिया रोड, परसराम नगर, प्रताप नगर, सुरखपीर रोड, बचन कॉलोनी, ढिल्लों कॉलोनी, टीपीसी कॉलोनी, बरनाला रोड, लाल ¨सह बस्ती, हंस नगर, एसएएस नगर, नरूआना रोड आदि क्षेत्रों में नया सीवरेज डाला गया है। कहीं-कहीं पर अभी काम चल भी रहा है। कई क्षेत्रों में यह सीवरेज चालू भी कर दिया गया है। जहां-जहां पर नया सीवरेज डाला गया है या डाला जा रहा है, वहां नगर निगम की ओर से अपने कांट्रैक्टर से रोड जालियां बनाने का काम भी कराया जा रहा है। इन रोड जालियों का कनेक्शन मेन सीवरेज लाइन के साथ जोड़ा जाता है। सीवरेज लाइन के साथ पाइपें डालकर कनेक्शन जोड़ते समय खोदी गई मिट्टी के अलावा सीमेंट और ईंटों का मलबा मेन सीवरेज में गिर रहा है। गिरे हुए मलबे को निकालने की जिम्मेदारी रोड जालियां बनाने वाले कांट्रैक्टर की ही होती है। लेकिन निगम कांट्रैक्टर सीवरेज के मैनहोल से यह मलबा नहीं निकाल रहे हैं। जबकि मलबे में मिट्टी, रेत, सीमेंट के अलावा ईंटों के बड़े बड़े टुकड़े शामिल हैं। कई स्थानों पर जहां नई सीवरेज लाइन बिछाई गई है और चालू की जा चुकी है, वहां पर जाम की समस्या आने भी लगी है। यह समस्या सिर्फ इस मलबे की वजह से ही आ रही है। जबकि ठेकेदार को रोड जाली बनाने के बाद मलबा बाहर निकालना चाहिए। त्रिवेणी कंपनी ने निगम अधिकारियों को पत्र

वीबी शिवांगी के अनुसार यह मैनहोल से मलबा निकालने की बात पहले भी मौखिक रूप में कहीं जा चुकी है। वर्ष 2017 में भी निगम अधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। मंगलवार को फिर से यह पत्र लिखा गया है ताकि सीवरेज के चालू होने के बाद इसके जाम होने की जिम्मेदारी निगम अधिकारी त्रिवेणी कंपनी पर न डाल सकें।


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