घर का कचरा फेंकने की बजाए बना रही प्राकृतिक खाद
कहते हैं कोशिश करो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
नितिन सिगला, बठिडा : कहते हैं कोशिश करो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है। इसी सोच के साथ कीकर बाजार की रहने वाली प्रीति मोहित शर्मा ने अपने स्तर पर एक नई शुरुआत की। उन्होंने अपने घर से निकलने वाले कूड़े को सड़क पर फेंकने के बजाय उसकी प्राकृतिक खाद बनाना शुरू कर दिया। इस खाद का प्रयोग घर के पेड़-पौधों, सब्जियों में किया जा रहा है। वे कूड़े का सदुपयोग कर न केवल सफाई अभियान में अपनी भूमिका निभा रही हैं। बल्कि दूसरे परिवारों को भी कूड़े के सदुपयोग व उसके निस्तारण के बारे में जागरूक कर रही है। प्रीति शर्मा हाउस वाइफ है। उन्हें अपना घर साफ-सुथरा रखना बहुत पसंद है। ऐसे ही एक दिन घर पर सफाई करते हुए उन्हें एक आइडिया आया। प्रीति कहती है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफाई अभियान आरंभ किया तो सबसे पहले उनके जेहन में एक सवाल आया। वह सोचने पर मजबूर हो गईं कि सफाई के बाद उठाए जाने वाले कचरे का आखिरकार क्या होगा। या तो वह किसी गड्ढे में दबा दिया जाएगा या फिर उसे कहीं अन्य स्थान पर ले जाकर फेंक दिया जाएगा। इससे तो सफाई अभियान की सार्थकता साबित नहीं हो पाएगी। उन्होंने इस अभियान को गंभीरता से लिया और पूरे विश्लेषण के बाद इसकी सफलता में जुट गईं। इसके बाद उन्होंने घर पर ही किचन से निकलने वाले कूड़े का सदुपयोग करना शुरू कर दिया। इस तरह अब उन्हें किचन से रोज निकलने वाले करीब डेढ़ किलो कचरे को फेंकने की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि उसी कचरे से वह अपने पौधों के लिए प्राकृतिक खाद तैयारी कर रही हैं।
इस काम को सफलतापूर्वक करने के बाद उन्होंने अपने कांसेप्ट के बारे में जिला प्रशासन को भी बताया, वहीं फेसबुक, वाट्सएप, यू-टूयूब आदि सोशल साइट्स पर अपनी वीडियो डालकर दूसरे लोगों को जागरूक कर रही है। प्रीति बताती है कि उन्हें शुरू से ही पर्यावरण के प्रति विशेष लगाव है। हालांकि, प्रीति पहले से ही बायोडीग्रेबल और नॉन बायोडीग्रेवल को अगल-अलग करके डस्टबिन में एकत्र करती है। रीसाइकिल होने वाले प्लास्टिक आदि सामान को अलग पॉलीथीन में रखकर कूड़े वाले को देती है, जबकि किचन वेस्ट भी बाहर नहीं फेंककर उसकी खाद तैयार करती है। अब अपने दोस्तों के अलावा रिश्तेदारों को भी कचरे से कंपोजिट खाद बनाने के लिए जागरूक करती है। अब तक वह कई परिवारों को घर के कचरे से प्राकृतिक खाद बनाने की विधि वे सिखा चुकी हैं। इतना ही नहीं प्रीति ने अपने घर की छत पर किचन गार्डन भी बना रखी है, जहां पर वह आर्गेनिक खेती कर विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगा रही है।
मिट्टी के बर्तन उपलब्ध कराने का भी करती हैं प्रयास
प्रीति सफाई अभियान की सार्थकता को साबित करने में लगी हैं। वह अपने स्तर पर लोगों को मिट्टी के बर्तन उपलब्ध कराने का प्रयास भी करती हैं। उन्हें अच्छी तरह से समझाती हैं कि लोग किस तरह से इस अभियान को सफल बना सकते हैं। मोनिका के अनुसार अगर हम प्रतिदिन घर से निकलने वाले कूड़े पर ध्यान दें तो सिर्फ 10 प्रतिशत ही कचरा फेंकने लायक निकलेगा। प्लास्टिक, इलेक्ट्रानिक, लोहा व अखबार को कबाड़ वालों को बेचा जा सकता है। इसके अलावा सिर्फ सेनेटरी व मिट्टी ही फेंकने लायक होती है। यह जिम्मेदारी सभी को निभानी होगी। तभी सफाई अभियान की सार्थकता को पूरा किया जा सकता है।
ऐसे बनाती है घर पर खाद
खाद बनाने के लिए उन्होंने मिट्टी के विशेष मटके (पोखरण) बना रखे है। इन मटकों में उन्होंने अपने घर की रसोई से निकलने वाले कचरे को प्रतिदिन डालना शुरू किया। कचरे को डालने से पहले मटकों में अखबार बिछाया, उस पर सूखे पत्ते डाले। पत्तों पर कचरा बिछाना शुरू कर दिया। कचरे के ऊपर फिर से पत्ते बिछा दिए गए। इस तरह से प्रीति ने इस विधि से कुछ ही दिनों में कचरे से खाद बनाने का कारनामा कर दिखाया। मोनिका के अनुसार यदि सूखे पत्तों की उपलब्धता न हो तो मिट्टी के बर्तन में पत्तों के बजाए लकड़ी या फिर नारियल का बुरादा डालकर भी खाद को बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा जो लोग यह विशेष मटके नहीं ले सकते। वे बड़े गमले में इस विधि का प्रयोग कर खाद बना सकते हैं।