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'खुशिया हाजिर हो' में दिखी समाज की बिगड़ती व्यवस्था

मेहताब आ‌र्ट्स सोसायटी चंडीगढ़ की ओर से नेहरू युवा केंद्र के सहयोग से पंजाबी सोलो नाटक 'खुशिया हाजिर हो' टीचर्स होम ब¨ठडा में दिखाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 06:49 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 06:49 PM (IST)
'खुशिया हाजिर हो' में दिखी समाज की बिगड़ती व्यवस्था
'खुशिया हाजिर हो' में दिखी समाज की बिगड़ती व्यवस्था

संवाद सहयोगी, ब¨ठडा :

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मेहताब आ‌र्ट्स सोसायटी चंडीगढ़ की ओर से नेहरू युवा केंद्र के सहयोग से पंजाबी सोलो नाटक 'खुशिया हाजिर हो' टीचर्स होम ब¨ठडा में दिखाया गया। इस नाटक को दर्शकों की ओर से काफी सराहा गया। समाज में बिगड़ती व्यवस्था की झलक को इस नाटक में पेश किया गया। इस दौरान मुख्य मेहमान के तौर पर चंडीगढ़ अस्पताल के डॉ. जगजीत ¨सह ने शिरकत की, जबकि विशेष मेहमान के तौर पर खालसा कालेज मुक्तसर के डॉ. त्रिलोक बंधू, यूथ कोआर्डीनेटर नेहरू युवा केंद्र जगजीत ¨सह मान, ब्रिल्ज इंस्टीट्यूट के अशोक कुमार, केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा ब¨ठडा के वाइस प्रधान जसपाल मानखेड़ा ने शिरकत की। गुरसेवक ¨सह प्रीत मुक्तसर द्वारा लिखी कहानी को प्रवीण शर्मा (बंटी अग्निहोत्री) द्वारा निर्देशित किया गया। इसमें भुपिंदर ¨सह मान ने क्रिएटिव डायरेक्टर के तौर पर सहयोग दिया। लाइट एंड म्युजिक भुपिन्दर ¨सह मान और दिशा शर्मा द्वारा दिया गया। कलाकारों ने पेशकारी करते हुए इसमें दिखाया कि एक व्यक्ति अपने गरीबी के हालातों में बच्चे को पढ़ाता हैं, जब वह बड़ा होता हैं तब उस व्यक्ति को खुद कैंसर की बीमारी लपेट में ले लेती हैं और उस व्यक्ति का एक दोस्त अध्यापक और पीड़ित का लड़का अपनी सभी कोशिशों और पैसो के साथ उसका इलाज करवाने की कोशिश करते हैं परन्तु वह ठीक नहीं होता। अध्यापक को एक दिन पता लगता हैं कि उसके दोस्त का उसके लड़के ने ही कत्ल कर दिया हैं। इसके बाद जब लड़का जेल में होता हैं तो उसके पिता का दोस्त अध्यापक उससे कारण पूछता है। इस मौके वह बताता है कि उन्होंने उनको ठीक करवाने के लिए पूरा जोर लगा दिया परन्तु पिता ठीक नहीं हुए। एक दिन उसके पिता ने अपनी बेबसी का रोना रोते हुए कहाकि उसे वह मौत दे दें। आखिर अपने पिता को तड़पते हुए वह कितना समय देखता। उस लड़के ने बताया कि उसने बेबस होकर अपने हाथों से अपने पिता को मार दिया। इस पेशकारी ने बैठे हुए उक्त दर्शकों को पसीज कर रख दिया। घटना में नौजवान की अपने पिता को मारने की बेबसी कहा जाये या कत्ल माना जाना चाहिए। जबकि नौजवान ने इसमें दिखाया है कि मजबूरी में वह क्या करता।

इस मौके पर मुख्य मेहमान डॉ. जगजीत ¨सह ओर जसपाल मानखेड़ा ने इस नाटक की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे नाटक भविष्य में भी पेश किए जाने चाहिए।


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