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चुनावी घोषणा पत्र में पर्यावरण के मुद्दे को शामिल करें राजनीतिक पार्टियां: संत सीचेवाल

राजनीतिक पार्टियों को अपने चुनाव घोषणापत्र में पर्यावरण के मुद्दे को शामिल करना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 01:03 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 01:03 AM (IST)
चुनावी घोषणा पत्र में पर्यावरण के मुद्दे को शामिल करें राजनीतिक पार्टियां: संत सीचेवाल
चुनावी घोषणा पत्र में पर्यावरण के मुद्दे को शामिल करें राजनीतिक पार्टियां: संत सीचेवाल

जागरण टीम बठिडा/मुक्तसर : पंजाब पर्यावरण चेतना लहर चला रहे पर्यावरण प्रेमी पदम श्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को अपने चुनाव घोषणापत्र में पर्यावरण के मुद्दे को शामिल करना चाहिए। नहीं तो आने वाले समय बहुत ज्यादा भयानक होगा। हमारे पास सिर्फ 17 साल का ही पानी बाकी बचा है।

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शुक्रवार को बठिडा प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में संत सीचेवाल ने कहा कि पंजाब की हवा और पानी को साफ एवं स्वच्छ रखने के लिए सभी राजनीतिक दलों को पर्यावरण एवं जल संरक्षण जैसे मुद्दे को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करना चाहिए। उधर, संत सीचेवाल ने मुक्तसर में पर्यावरण से संबंधित लोक मनोरथ पत्र जारी भी जारी किया। सीचेवाल ने कहा कि पंजाब में हवा और पानी दोनों खराब हो गए हैं। अत्यधिक खाद और यूरिया के इस्तेमाल से मिट्टी भी धीरे-धीरे खराब हो रही है और इसकी उर्वराशक्ति कम हो रही है। अब हमें आगामी पीढ़ी को बचाने के लिए हवा और पानी को स्वच्छ रखने तथा जल को बचाने की दिशा में ठोस एवं कारगार उपाय करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के राजनीतिक दलों को विधानसभा चुनाव में जल एवं पर्यावरण को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ना चाहिए।

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वोट मांगने आने वाले नेताओं से पूछें पर्यावरण पर सवाल

संत सीचेवाल ने कहा कि लोगों के मुद्दे कभी भी चुनावी मुद्दे नहीं बनते। इसलिए मतदाताओं को खुद अपनी खामोशी तोड़कर अपनी व अपनी आने वाली नस्लों की जिदगी से जुड़े हुए पर्यावरण के मुद्दे को राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के आगे रखना होगा। सियासी पार्टियों को वातावरण प्रदूषण को खत्म करने का मुद्दा अपने चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा बनाने के लिए मजबूर करना होगा। वोट मांगने आने वाले सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से भी लोगों को इसके बारे में बात करनी चाहिए। इसके साथ ही चुनाव घोषणापत्र को कानूनी डाक्यूमेंट बनाया जाना चाहिए ताकि राजनीतिक पार्टियां घोषणापत्र में झूठे वादे न कर सकें।


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