जीत का जुनून : दर्द को मात दे 62 वर्ष में बने एशियन चैंपियन
रिटायर शिक्षक बलजीत सिंह सरां दर्द को मात देते हुए 62 वर्ष की उम्र में 19वीं एशियन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर गए।
बठिंडा [संदीप सिंह धामू] : 60 से पार उम्र और घुटने में स्पोट्र्स इंजरी से गांठ व खिंचाव से असहनीय दर्द। इकलौते बेटे की अंतिम इच्छा पूरी करनी थी, इसलिए रिटायर शिक्षक बलजीत सिंह सरां ने दर्द में भी प्रेक्टिस जारी रखी। इसी जज्बे व जुनून के कारण सरां ने 62 वर्ष की उम्र में 19वीं एशियन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया।
बलजीत सिंह सरां ने बताया कि वर्ष 2012 में एक दुर्घटना में इकलौते बेटे बलदीप सिंह की मौत हो गई। बेटे की इच्छा थी कि वह एशिया में गोल्ड मेडल जीतें। बेटे की अंतिम इच्छा पूरी करनी थी, इसलिए मैदान में प्रेक्टिस शुरू कर दी। मगर घुटने में इंजरी के कारण प्रेक्टिस करना मुश्किल हो गया।
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गोला, डिस्कस व जेवलिन थ्रो में अब तक राष्ट्रीय स्तर पर छह गोल्ड और दस सिल्वर मेडल जीत चुके बलजीत सिंह सरां बताते हैं कि डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने आराम करने की सलाह दी। सर्जरी के कारण तीन महीने प्रेक्टिस से दूर रहे। एशियन चैंपियनशिप नजदीक थी, इसलिए आराम का समय नहीं था। फिर भाप और पंचकर्म से इलाज लिया। धीरे-धीरे प्रेक्टिस भी शुरू कर दी। गोवा में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोला फेंक स्पर्धा में प्रथम स्थान हासिल किया। इसके बाद मई में आयोजित एशियन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 11.27 मीटर तक गोला फेंका और गोल्ड मेडल हासिल किया। बेटे की अंतिम इच्छा पूरी कर मन को काफी सुकून मिला।
वल्र्ड चैंपियनशिप में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
बलजीत सिंह अब 26 अक्टूबर से पर्थ (ऑस्ट्रेलिया) में होने वाली वल्र्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने बताया कि अमेरिका के एथलीट 12 मीटर से ज्यादा दूरी तक गोला फेंकते हैं। उनकी चुनौती का सामना करने के लिए अब और अधिक प्रेक्टिस शुरू कर दी है। अब घुटने की तकलीफ नहीं है। वल्र्ड चैंपियनशिप जीतना अब उनका मकसद है।
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