महानग में अब 18.33 लाख रुपये से लगेंगे 150 नए डस्टबिन
एरिया में 150 नए डस्टबिन लगाने की तैयारी कर ली गई है।
सुभाष चंद्र, बठिडा : केंद्र सरकार की स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की प्रतियोगिता के मद्देनजर नगर निगम की तरफ से अब फिर से महानगर में 18.33 लाख रुपये की लागत के साथ कमर्शियल एरिया में 150 नए डस्टबिन लगाने की तैयारी कर ली गई है। बीते सोमवार को इसका टेंडर लगाया जा चुका है, जोकि दो नवंबर को खुलेगा। टेंडर खुलने के बाद दो माह के अंदर इसे विभिन्न स्थानों पर स्थापित कर दिया जाएगा। इससे पहले वर्ष 2017 में 25 लाख रुपये तथा वर्ष 2018 में 24 लाख रुपये डस्टबिनों पर खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन देखरेख के अभाव और बिना किसी योजना के लगाए इन डस्टबिनों पर खर्च हुई राशि बर्बाद हो चुकी है। बेशक स्वच्छ सर्वेक्षण प्रतियोगिता के तहत बाजारों में इनका लगाना अनिवार्य है, लेकिन प्रतियोगिता संपन्न होने के कुछ समय बाद ही नगर निगम के उचित देखरेख के अभाव में लाखों रुपये के यह डस्टबिन कबाड़ का रूप धारण कर लेते हैं। या तो शरारती तत्वों की ओर से इन्हें तोड़ दिया जाता है या फिर चोर चोरी करके ले जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद इस मामले में शरारती तत्वों के खिलाफ न तो कार्रवाई होती है, न ही चोरी हुए डस्टबिन बरामद करने के लिए कोई प्रयास किए जाते हैं। आखिरकार कुछ माह में ही लाखों रुपये बर्बाद होकर रह जाते हैं। इस बार एक क्विंटल दस किलो का होगा एक डस्टबिन
नगर निगम का दावा है कि इस बार भी लोहे के ही डस्टबिन लगाए जाएंगे। लेकिन यह बहुत मजबूत डस्टबिन होंगे। एक डस्टबिन का वजन करीब एक क्विंटल 10 किलोग्राम होगा। जिनकी सफाई भी आसानी से हो सकेगी। इन डस्टबिनों को ताला नहीं लगेगा। कचरा निकालने के लिए इसके शटर लगे होंगे। जबकि कचरा निकालने के लिए डस्टबिन के नीचे रेहड़ी लग जाएगी। डस्टबिन का शटर ऊपर उठाने पर अंदर का पूरा कचरा रेहड़ी में गिर जाएगा। डस्टबिन का डिजाइन इस तरह का तैयार किया गया है, जोकि मजबूत तो होगा ही, उसमें से कचरा निकालना भी इतना आसान होगा कि कचरे को हाथ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैसे तो यह डस्टबिन उन स्थानों पर ही लगाने की योजना है, जहां पर पहले लगाए गए थे, लेकिन वहां से या तो चोरी हो चुके हैं, या फिर टूट चुके हैं। फिर भी इस बार सही जगहों का चयन करके ही डस्टबिन स्थापित किए जाएंगे। 49 लाख रुपये हो चुके हैं इससे पहले डस्टबिनों पर बर्बाद
स्वच्छ सर्वेक्षण प्रतियोगिता के मद्देनजर वर्ष 2017 में 25 लाख रूपये की लागत से स्टील के डस्टबिन लगाए गए थे। लेकिन अधिकतर डस्टबिन या तो कुछ समय बाद ही चोरी हो गए थे, या फिर बेसहारा पशुओं ने उसमें से कचरा खाने के लिए उसे तोड़ दिया गया। हाउस की बैठकों में इन डस्टबिनों को लेकर खूब हंगामा होता रहा है। इसके बाद फिर वर्ष 2018 में जनवरी माह में 24 लाख रूपये की लागत से 237 लोहे के डस्टबिन लगाए गए थे। यह भी काफी मजबूत डस्टबिन थे। लेकिन अधिकतर डस्टबिन बाजारों में बिना की किसी योजना के स्थापित कर दिए गए। जिन दुकानों के पास यह डस्टबिन लगाए गए थे, कुछ तो संबंधित दुकानदारों की ओर से क्षतिग्रस्त कर दिए गए। क्योंकि डस्टबिनों से कचरा नहीं निकाला जा रहा था। कचरे से भरे रहने के कारण इन डस्टबिनों से दूर तक बदबू फैलने लगी थी। कुछ उचित देखरेख के अभाव में टूट गए। कुछ चोरी हो गए। कुछ को आग लगा दी गई। आज भी अनेक स्थानों पर यह टूटे हुए डस्टबिन दिखाई पड़ रहे हैं। मेंटीनेंस फ्री डस्टबिन होंगे: नोडल अधिकारी
स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी एक्सईएन गुरप्रीत सिंह बुट्टर ने कहा कि यह मेंटीनेंस फ्री डस्टबिन होंगे। इसका डिजाइन ही इस प्रकार का तैयार किया गया है। इसके अलावा भी डस्टबिनों की पूरी निगरानी रखी जाएगी, ताकि पहले की तरह यह डस्टबिन कबाड़ का रूप अख्तियार न कर सकें, या फिर चोरी न हो पाएं।