नोहर चंद गुप्ता का अपने पुश्तैनी गांव से रहा गहरा नाता
ट्राइडेंट ग्रुप के चेयरमैन राजिदर गुप्ता के पिता नोहर चंद गुप्ता का अपने पुश्तैनी गांव कैले वांदर से गहरा रिश्ता था।
सुभाष चंद्र, बठिडा : ट्राइडेंट ग्रुप के चेयरमैन राजिदर गुप्ता के पिता नोहर चंद गुप्ता का अपने पुश्तैनी गांव कैले वांदर, जिसे अब नसीबपुरा नाम से जाना जाता है के साथ ताउम्र गहरा नाता बना रहा। हालांकि उन्होंने करीब 65 साल पहले इस गांव को अपने अन्य भाइयों के साथ ही छोड़ दिया था। उनके पूर्वजों की ओर से गांव में जय बाबा गंगा राम जी के नाम से समाधि स्थापित की हुई है। साथ में श्री हनुमान जी का मंदिर भी बनवाया है। वहां साल में दो-तीन चक्कर वे लगाते थे। बठिडा से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में उनकी मौत से शोक की लहर है। नोहर चंद गुप्ता के भतीजे रवि गोयल बताते हैं कि ताऊ जी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ 1955 में गांव कैले वांदर से बठिडा के सिरकी बाजार आकर रहने लगे थे। यहां पर उन्होंने पहले कपड़े की दुकान, फिर आटा चक्की व तेल का एक्सपेलर लगाया। आढ़त का काम भी किया। करीब दस साल बठिडा में काम करने के बाद वह 1965 में लुधियाना रहने लगे थे और बरनाला में वरिदरा एग्रो के नाम से खाद की फैक्ट्री लगाई। इसके बाद बरनाला में ही अभिषेक इंडस्ट्री के नाम से धागा मिल स्थापित की। फिर ट्राइडेंट के नाम से टावल, धागा, पेपर और एनर्जी के प्रोजेक्ट लगाए।
वह बेशक लुधियाना रहने लगे थे और बरनाला में उद्योग स्थापित कर लिया था, लेकिन उनके तीन भाई और एक बहन आज भी बठिडा में रहते हैं। जिनमें प्रकाश चंद गुप्ता, मदन लाल गुप्ता व नाथ राम गुप्ता के अलावा सबसे बड़ी बहन सदावंती शामिल हैं। उनका बठिडा में अपने भाइयों के पास तो आना जाना रहता ही था, गांव कैले वांदर के साथ भी गहरा लगाव रहा। वे कुछ समय पहले ही गांव होकर गए थे राजकुमार
गांव की सरपंच निर्मला देवी के पति राज कुमार बताते हैं कि नोहर चंद गुप्ता के निधन से गांव में शोक की लहर है। उनका गांव के साथ बहुत लगाव था। वह बहुत नेक इंसान थे। कुछ समय पहले वह यहां समाधि पर आकर गए हैं। ग्राम पंचायत को भी वह हर तरह का सहयोग देते रहते थे। उन्होंने अपने गांव का नाम खूब रोशन किया है।