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किसी पंचायत ने शराब का ठेका न लेने का प्रस्ताव नहीं किया पास

पंजाब सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी भी जारी कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 12:04 AM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 06:12 AM (IST)
किसी पंचायत ने शराब का ठेका न लेने का प्रस्ताव नहीं किया पास
किसी पंचायत ने शराब का ठेका न लेने का प्रस्ताव नहीं किया पास

जागरण संवाददाता, बठिडा : पंजाब सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी भी जारी कर दी है। इसके तहत न तो शराब ठेकों की गिनती बढ़ाई गई न ही देसी शराब का कोटा बढ़ाया गया। मगर रेवेन्यू गत वर्ष से आठ फीसद तो अंग्रेजी शराब का कोटा दो फीसद बढ़ाया गया है। वहीं पंजाब सरकार की नशा विरोधी मुहिम वर्ष 2020-21 में पूरी होती नजर नहीं आ रही है। इस बार जिले से किसी भी पंचायत ने यह प्रस्ताव लिखकर नहीं दिया कि उनको अपने गांव में शराब का ठेका नहीं चाहिए। जबकि हर साल जिले से दो या तीन पंचायतें जरूर प्रस्ताव करती है। मगर यह दूसरी बार हुआ है कि किसी भी पंचायत ने ठेका न लेने का प्रस्ताव पास नहीं किया। बेशक कई गांवों में नए बने सरपंचों ने भी गांव के लोगों से वादा किया था कि वह अपने गांव में किसी भी प्रकार का नशा नहीं बिकने देंगे। जो अब नए सरपंचों के लिए चुनौती बना हुआ है।

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धीरे-धीरे कम हो रहा है यह सिलसिला

वर्ष 2009 में संगरूर से शराब के ठेकों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने की मुहिम शुरू होने के बाद पंजाब के हर जिलों से हर साल कई-कई पंचायतें अपने अपने गांवों में ठेका न लेने के लिए प्रस्ताव डालती हैं। मगर यह मुहिम कुछ साल तो सही रही, लेकिन धीरे-धीरे इसका भी क्रेज कम होता गया। इसके चलते 2015 में पंजाब में 232 प्रस्ताव पारित किए थे, जो 2016 में 92 और 2017 में 59 रह गए तो वर्ष 2018 में बठिडा से एक भी प्रस्ताव पास नहीं हुआ। पंजाब के 15 जिलों ने 2018 में विभाग को 59 प्रस्ताव पारित करके गांव की सीमा के भीतर शराब के ठेके नहीं खोलने की मांग उठाई थी। इसमें बठिडा से 2, संगरूर से 16, पटियाला 10, फिरोजपुर 6, लुधियाना 4, गुरदासपुर 4, फरीदकोट 3, होशियारपुर 3, रूपनगर 3, मोगा 2, मोहाली 2, पठानकोट 1, मानसा 1, जालंधर 1 और बरनाला से 1 प्रस्ताव शामिल था।

यहां पर नहीं है शराब का ठेका

2017 में गांव बदियाला व माहीनंगल की पंचायतों ने अपने-अपने गांवों में मीटिग कर गांव में शराब का ठेका न खोलने का प्रस्ताव पास किया। गांव बदियाला की पंचायत तीन साल से गांव में शराब का ठेका न खोलने का प्रस्ताव भेज रही थी। वहीं इससे पहले 2015 में गांव बुर्ज मानशाहिया व धींगढ़ की पंचायतों ने अपने गांवों में शराब का ठेका न खोलने का प्रस्ताव पास किया था। गांवों में शराब का ठेका न खोलने के पीछे पंचायतों का मकसद है कि गांव के युवाओं को नशे की दलदल में जाने से रोका जा सके। इसके अलावा बठिडा के गांव कोठे हिम्मतपुरा व गांव मैनूयाना में भी 2013 से शराब का ठेका नहीं है।

पंचायतें ले सकती हैं निर्णय

पंजाब पंचायती राज एक्ट 1994 की धारा 40(1) के तहत कोई भी पंचायत अपने गांव में शराब का ठेका न खोले जाने का फैसला ले सकती है। मगर इसके लिए पंचायती प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पास होना जरूरी है। वहीं पंचायत की तरफ से प्रस्ताव पारित होने के बाद उसकी जांच की जाती है, जिसमें कई शर्तें हैं। अगर पंचायतें यह शर्तें पूरी करती है तो उसके गांव में शराब का ठेका नहीं खोला जाता।

किसी गांव से नहीं आया प्रस्ताव : ईटीओ

इस संबंध में ईटीओ कुलविदर वर्मा का कहना है कि इस बार उनके पास किसी भी गांव से शराब का ठेका न खोलने का प्रस्ताव नहीं आया, जो सितंबर तक देना होता है। इसके चलते अब नए साल के लिए ठेकों ही अलॉटमेंट रूटीन की तरह होगी।


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