चिटफंड ने उजाड़ दिया दविंदर गर्ग का हंसता-खेलता परिवार, आठ पेज में लिखा दर्द
बठिंडा शहर की ग्रीन सिटी कालोनी में भी चिटफंड कंपनी ने दविंदर गर्ग का हंसता खेलता परिवार बर्बाद कर दिया। उक्त व्यक्ति ने अपने दो मासूम बच्चों और पत्नी का कत्ल करने के बाद खुद भी आत्महत्या कर ली।
बठिंडा [गुरप्रेम लहरी]: पंजाब में चल रही चिटफंड कंपनियों ने कई हंसते-खेलते परिवार उजाड़ दिए हैं। बठिंडा शहर की ग्रीन सिटी कालोनी में भी चिटफंड कंपनी ने दविंदर गर्ग का हंसता खेलता परिवार बर्बाद कर दिया। उक्त व्यक्ति ने अपने दो मासूम बच्चों और पत्नी का कत्ल करने के बाद खुद भी आत्महत्या कर ली। बताया जाता है कि दविंदर गर्ग एक चिटफंड कंपनी में काम करता था। उसने अपने कई जान-पहचान वालों और रिश्तेदारों के पैसे कंपनी में निवेश किए थे परंतु कुछ समय पहले चिटफंड कंपनी लोगों का करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गई। अब कुछ लोग उसको पैसों के लिए परेशान कर रहे थे।
चिटफंड कंपनी के कारण ही पंचवटी नगर में एक हजार गज में शानदार कोठी को दविंदर गर्ग को बेचना पड़ा था और करीब ढाई साल से वह ग्रीन सिटी कालोनी के फेज 2 में एक बैंक मैनेजर के मकान में किराए पर रह रहा था। कालोनी वासियों ने बताया कि मकान मालिक संजीव गोयल ने दविंदर गर्ग को मार्च में घर खाली करने के लिए कहा था परंतु कोरोना लाकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो सका, जिसके बाद मकान मालिक ने उसको सितंबर में मकान खाली करने के लिए कहा था। परंतु उसने दीवाली के बाद मकान खाली करने का कह दिया था। वह ग्रीन सिटी का उक्त मकान खाली करता इससे पहले ही यह घटना हो गई। कालोनी निवासियों ने बताया कि आज सुबह करीब आठ बजे पति-पत्नी ऊपरी मंजिल से नीचे आकर कालोनी निवासियों से मिले भी थे। कालोनी निवासियों के अनुसार दविंदर गर्ग के दोनों बच्चे बठिंडा के स्नावर स्कूल में पड़ते थे।
मेरे भी गोली मार देओ, मैं जीके की करना
इस घटना के बाद मृतक दविंदर गर्ग की माता और पिता का रो-रो बुरा हाल था। उसकी माता कह रही थी कि मेरे भी गोली मार देओ, मैं जीके की करना। वह बार-बार बच्चों को मिलने के लिए कह रही थी। उसको यह भी नहीं पता था कि उसके पुत्र ने बच्चों को भी मार दिया है। परिवार ने बताया कि दविंदर ने कभी उनके साथ ऐसी परेशानी वाली बात सांझी नहीं की।
अभी भी बहुत सारी चिटफंड कंपनियां हैं सरगर्म पंजाब में
अभी भी बहुत सारी चिटफंड कंपनियां सरगर्म हैं, जो सरकारी सरपरस्ती नीचे सरेआम चल रही है। इससे पहले भी कई ऐसी चिट फंड कंपनियां लोगों के करोड़ों रुपये लेकर फरार हो चुकी हैं। चिटफंड कंपनियों को चलाने वालों के खिलाफ चाहे पुलिस द्वारा केस भी दर्ज किए गए परंतु उन्होंने जमानत लेने के बाद ओर जगहों पर चिटफंड कंपनियां शुरु कर ली। ज्यादा ब्याज का लालच देकर यह कंपनिया अभी भी लोगों को ठग रही हैं।
कांग्रेस का नेता धमका रहा था!
कालोनी निवासियों ने बताया कि दो दिन पहले सफेद कपड़ों में एक व्यक्ति दविंदर गर्ग के घर आया था। वह ऊंची-ऊंची बोल रहा था और दविंदर उसको चुप करवाने की कोशिश कर रहा था। लोगों ने संदेह जताया कि सफेद कपड़ों वाला व्यक्ति कांग्रेस का कोई युवा नेता हो सकता है।
साढ़े आठ बजे ही तो मिल कर गया था
मृतक दविंदर गर्ग के ससुर पवन कुमार ने कहा कि दविंदर वीरवार सुबह साढ़े आठ बजे ही उनके अग्रवाल कालोनी स्थित घर पर आया था। लेकिन थोड़ी जल्दबाजी में था और घर के बाहर से ही लौट आया था। हम भी दीवाली को लेकर घर की साफ-सफाई करने में जुटे हुए थे।
मैंनू वी नाल ही ले जांदा पुत्ता
दविंदर की सास का रो- रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार ऊंची रोते हुए अपने दामाद को पुकार रही थी। वह बोल रही थी कि अब उसने जी कर क्या करना है। मैंनू वी नाल लै जांदा पुत्ता। वह अपने दामाद व बच्चों को देखना चाहती थी लेकिन पुलिस जांच चल रही होने के कारण उनको देखने नहीं दिया गया था।
मां ने साढ़े दस बजे ही पूछा था- रोटी खा लई पुत्त?
मृतक दविंदर गर्ग के पिता हेम राज गर्ग ने बताया कि दविंदर की मां पहले उसके घर ग्रीन सिटी में आई हुई थी। कल ही उसको घर पर छोड़ कर गया था और वीरवार को सुबह करीब साढ़े दस बजे उसकी मां ने दविंदर को फोन करके भी पूछा था- रोटी खा लई पुत्त? दविंदर की अंतिम बार बात अपनी मां से ही हुई है।
दादा लेने आया था बच्चे, घर पहुंचा तो लाशें मिली
मृतक दविंदर सिंह के पिता हेमराज गर्ग वीरवार दोपहर को तीन बजे ग्रीन सिटी में आटो लेकर आया। वे अपने पोते आरुष व पोती मुस्कान को लेने के लिए आया था। लेकिन जब वह गली में पहुंचा तो उसने देखा कि काफी लोग गली में खड़े हुए हैं। जब ऊपर जाकर देखा तो उनको अपने बेटे, पुत्रवधु, पोते व पोती की लाशें पड़ी हुई थी। फारेंसिक टीम ने लिए सैंपल मामले की जांच करने के लिए पहले एसएचओ गुरमीत सिंह व डीएसपी आशवंत सिंह पहुंचे तो बाद में एसएसपी भुपिंदरजीत सिंह विर्क एसपी जसपाल सिंह पहुंच गए। पहले उन्होंने खुद जांच की और सुसाइड नोट अपने कब्जे में लिया और बाद में फारंसिक टीम भी फिंगर प्रिंट आदि लेने के लिए पहुंच गई।