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अच्छी बात : जिले में बीते साल के मुकाबले इस बार 43 फीसद कम जली पराली

जिले में पराली जलाने को लेकर खेतीबाड़ी विभाग व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से किसानों को जागरूक करने के लिए चलाई गई मुहिम इस बार रंग लाई है। जिले में बीते साल के मुकाबले 2021 में 43 फीसद कम पराली जलाई गई। जिले में 2020 में सैटेलाइट के द्वारा 7827 जगहों पर पराली जलाने की सूचनाएं दी गई थी जो इस बार कम होकर 4481 रह गई हैं। हालांकि खेतों की बात की जाए तो 30 हजार हेक्टेयर के करीब खेतों में पराली को आग लगाई गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 09:39 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:39 PM (IST)
अच्छी बात : जिले में बीते साल के मुकाबले इस बार 43 फीसद कम जली पराली

जागरण संवाददाता, बठिडा : जिले में पराली जलाने को लेकर खेतीबाड़ी विभाग व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से किसानों को जागरूक करने के लिए चलाई गई मुहिम इस बार रंग लाई है। जिले में बीते साल के मुकाबले 2021 में 43 फीसद कम पराली जलाई गई। जिले में 2020 में सैटेलाइट के द्वारा 7827 जगहों पर पराली जलाने की सूचनाएं दी गई थी, जो इस बार कम होकर 4481 रह गई हैं। हालांकि खेतों की बात की जाए तो 30 हजार हेक्टेयर के करीब खेतों में पराली को आग लगाई गई है।

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जिले में बीते साल किसानों की ओर से धड़ाधड़ पराली को आग लगाई गई थी, जिसके चलते प्रदूषण का लेवल भी 369 पर पहुंच गया था। इस बार पराली कम जलने की वजह से प्रदूषण का स्तर भी 250 तक ही रहा। वहीं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद है कि आने वाले समय में पराली जलाने की घटनाओं में ओर कमी आएगी। इसके अलावा साल 2019 में गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित करते हुए वातावरण को शुद्ध रखने के लिए पराली न जलाने का भी आह्वान किया था। मगर इसके बाद भी 2019 में जिले में 6036 जगहों पर किसानों की तरफ से लगाई गई पराली को आग लगाई गई थी। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से किसानों के चालान काटकर उनको जुर्माना भी किया गया। दूसरी तरफ पराली को आग लगाने वाले किसानों की जमीनों को भी रेड लाइन करने की तैयारी की जा रही है। जिसके साथ किसानों को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाएं बंद हो जाएंगी।

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प्रदूषण का स्तर

नार्मल प्रदूषण 60 से 100 के बीच रहना चाहिए। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार 2015 में प्रदूषण की एवरेज मात्रा 111 आरएसपीएम रही तो 2016 में यह 117 हो गई। 2017 में 120 के पार कर गई। पीपीसीबी के मुताबिक 2018 में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआइ 200 से 350 के बीच रही। मगर 2019 में यह 250 से 400 के बीच हो गया है। 2020 में यह 369 तक पहुंच गया तो साल 2021 में 243 रहा। जिसको नार्मल 60 से 100 के बीच रहना चाहिए। पराली का धुआं इसलिए भी हानिकारक है, इसमें कई प्रकार की जहरीली गैसें मिली होती हैं।

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2019 में वसूला था 55 लाख का जुर्माना

जिले में पराली जलाने के 2019 में 6036 मामले सामने आए थे, जिनसे 55 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया था। वहीं साल 2018 के दौरान 5342 जगहों पर पराली को आग लगाने की पहचान हुई थी, जिसमें से 525 किसानों के चालान काटकर उनको 13,12,500 रुपए जुर्माना भी किया गया। इसके अलावा साल 2017 में पराली जलाने के सेटेलाइट ने 3501 केस बताए थे, जिसमें से सिर्फ 40 किसानों की ही पहचान की गई थी।चालान किसी का भी नहीं काटा था। क्योंकि पंजाब सरकार ने किसानों को सब्सिडी देने पर जोर दिया था।

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ऐसे लगता है जुर्माना

-- 2 एकड़ तक 2500 रुपये

-- 5 एकड़ तक 5000 रुपये

-- 5 एकड़ से अधिक पर 15 हजार रुपये जुर्माना

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इन विभागों की है जिम्मेदारी

-- पुलिस- कार्रवाई पर अमल करवाना

-- कृषि- किसानों को पराली जलाने के नुकसान विकल्प बताना

-- पंचायत- ग्राम सचिवों द्वारा सूचना देना

-- रेवेन्यू- पटवारियों द्वारा सूचना देना जुर्माना नोटिस वसूली

-- प्रदूषण- जुर्माना नहीं देने पर मुकदमा दर्ज कर पैरवी करना

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सेटेलाइट के केस को किया जाता है वेरिफाई : एसडीओ रविपाल सिंह

पराली जलाने के जितने भी केस सेटेलाइट से सामने आते हैं, उनको वेरिफाई किया जाता है। अभी तक 4481 जगहों पर पराली जलाने की पहचान हो पाई है। यह बीते साल के मुकाबले काफी कम है। वहीं जिन किसानों द्वारा पराली जलाई गई है, उनकी जमीनों को रेड लाइन करने के अलावा चालान काटे जा रहे हैं।

रविपाल सिंह, सहायक वातावरण इंजीनियर, बठिडा


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