बेहद खास हैं यह गोल गप्पे, 40 साल पहले टोपी वाले ने की शुरुआत
आपने गोल गप्पे तो बहुत खाए होंगे लेकिन अगर मोगा-फरीदकोट रोड पर स्थित बाघापुराना में लस्सी वाले गोलगप्पे बेहद खास हैं।
बठिंडा [गुरप्रेम लहरी]। आपने गोल गप्पे तो बहुत खाए होंगे, लेकिन अगर मोगा-फरीदकोट रोड पर स्थित बाघापुराना में लस्सी वाले गोलगप्पे बेहद खास हैं। क्या आपने खाए हैं यहां के गोल गप्पे। अगर नहीं तो एक बार जरूर खाएं। ये गोलगप्पे 40 साल से बिक रहे हैं।
लस्सी वाले गोल गप्पों की शुरुआत जवाहर लाल ने 40 साल पहले की थी। वे टोपी पहना करते थे। इसी कारण उन्हें टोपी वाला कहा जाने लगा। बाद में टोपी वाले के लस्सी वाले गोल गप्पे मशहूर हो गए। इनके बाद जवाहर लाल के बेटे राम वीर सिंह सहित सभी बेटों ने अपने पिता का काम जारी रखा।
अब जवाहर लाल की तीसरी पीढ़ी भी लस्सी वाले गोल गप्पों का काम कर रही है। राम वीर सिंह के बेटे व जवाहर लाल के पौत्र सतीश कुमार शर्मा ने बताया कि उनके दादा द्वारा की गई मेहनत आज तक उनके काम आ रही है। उन्होंने लस्सी वाले गोल गप्पों की शुरुआत की थी और अब हम तीसरी पीढ़ी भी स्वाद के इस अनोखे आविष्कार के काम को जारी रखे हुए हैं। पहले उनके दादा टोकरी में रखकर गोल गप्पे बेचा करते थे, जबकि अब शहर में दस रेहड़ियां लगाकर लस्सी वाले गोल गप्पे बेचे जा रहे हैं।
रोजाना बिकते हैं पांच हजार गोल गप्पे
सतीश कुमार शर्मा ने बताया कि छोटे से कस्बे बाघापुराना के अलावा प्रदेश भर के लोग उनके पास गोल गप्पे खा कर जाते हैं। जो भी एक बार ये गोल गप्पे खा लेता है, वह ताउम्र उनका ग्राहक बन जाता है। उन्होंने कहा कि बाघापुराना में हर रोज पांच हजार से ज्यादा गोल गप्पे बिक जाते हैं। उनके दादा व पिता की मेहनत का फल है कि उनके बच्चे अब कॉनवेंट स्कूलों में पढ़ रहे हैं।