सरहिद नहर की बठिंडा ब्रांच को पक्का करने के लिए नहीं है फंड
जिले की लाइफलाइन नहरों की स्थिति वेंटीलेटर पर हो चुकी है।
गुरप्रेम लहरी बठिडा : जिले की लाइफलाइन नहरों की स्थिति वेंटीलेटर पर हो चुकी है। बठिडा के खेतों को पानी से लबालब करने वाली सरहिद नहर की मुख्य ब्रांच और इसका बठिडा रजवाहा पर जगह-जगह वीक प्वाइंट बन चुके हैं। क्षमता से कम पानी चलाना भी अब जोखिम बन चुका है। इन्हें पक्का करने के 66 करोड़ रुपये के दो प्रोजेक्ट अभी तक अधर में है। इससे निकट भविष्य में भी इन दोनों नहरों को पक्का किया जाना संभव नहीं है। पिछले दो वर्षों में वीक प्वाइंट से नहर टूटने की तीन बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। फिर भी सरकार नहरों को मजबूत करने के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रही है।
25 जुलाई 2018 को शहर की शीश महल कॉलोनी की पिछली साइड में बठिडा रजवाहा टूट गया। इसकी शहर की तरफ पटरी में कटाव आने की वजह से खेतों में पानी भरा। इससे पहले 27 व 26 मई 2018 रात को ये रजवाहा सांई नगर के पास टूट गया था। इससे 40 से ज्यादा घरों में पानी भरने की वजह से मकानों का नुकसान हुआ। इससे रजवाहे के समानांतर चल रहा स्लज कैरियर (मुख्य गंदा नाला) भी टूट गया था। इस वर्ष जनवरी में स्लज कैरियर के साथ रजवाहे की सांझी पटरी भी कमजोर होने की वजह से टूट चुकी थी।
28-29 जुलाई 2016 की रात को बीड़ तालाब के पास सरहिद नहर की मुख्य ब्रांच की पटरी में कटाव आ गया था। तब बीड़ तालाब की बस्ती नंबर एक और दो के खेतों के अलावा घरों में भी पानी भर गया था।
मुख्य ब्रांच का छह किलोमीटर
एरिया डेंजर जोन, 12 वीक प्वाइंट
सरहिद ब्रांच की मुख्य ब्रांच का शहर से लेकर बीड़ तालाब तक 6 किलोमीटर एरिया डेंजर जोन बन चुका है। इसमें 12 वीक प्वाइंट है। मानसून सीजन के अलावा अन्य दिनों भी नहर टूटने का अंदेशा बना रहता है।
कागजों में रही रह गए प्रोजेक्ट
नहरों को पक्का करने के प्रोजेक्ट कागजों में ही दब कर रह गए हैं। नहरी विभाग ने बठिडा रजवाहा को पक्का करने के लिए वर्ष 2014 में 26 करोड़ रुपये का एस्टीमेट बनाकर भेजा था। सरकार को यह प्रोजेक्ट भेजने के बाद कुछ नहीं हुआ। बठिडा रजवाहे की पिछले 35 वर्षों से रिपेयरिग नहीं हुई।
इसी तरह सरहिद नहर की मेन ब्रांच को पक्का करने के लिए वर्ष 2013 में 40 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया गया था। तब नवंबर 2013 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने किया था। लेकिन बजट के अभाव में यह प्रोजेक्ट भी अटक गया।