प्रेरणा दे रहा पंजाब का ये गांव, गंदगी से मिली मुक्ति, रीचार्ज हो रहा भूजल
पंचायत ने ऐसा समाधान हर घर में बने सोकपिट से जहां गंदगी पर लगाम लग गई, वहीं घरों के किचन और बाथरूम से निकलने वाले पानी से अब भूजल स्नोत भी रीचार्ज होने लगा है।
बठिंडा [सुभाष चंद्र]। जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान चुटकियों में निकल आता है। निकासी के गंदे पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों को पंचायत ने ऐसा समाधान दिया कि एक पंथ दो काज हो गए। हर घर में बने सोकपिट से जहां गंदगी पर लगाम लग गई, वहीं घरों के किचन और बाथरूम से निकलने वाले पानी से अब भूजल स्नोत भी रीचार्ज होने लगा है।
महिलाओं को सम्मान देने और सामाजिक कुरीतियों के खात्मे के लिए उठाए गए अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए चर्चित पंजाब के बठिंडा जिले के गांव हिम्मतपुरा की ग्राम पंचायत ने यह प्रेरक कार्य कर दिखाया है। विशेषज्ञ इसे काम की युक्ति करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाना चाहिए।
गांव हिम्मतपुरा में 60 से अधिक घर हैं। सभी घरों के किचन और बाथरूम का पूरा पानी नालियों के माध्यम से पहले छप्पड़ में जाता था। छप्पड़ के गंदे पानी की निकासी की कोई व्यवस्था न होने के कारण उससे अक्सर बदबू फैलने लगती थी। आखिरकार ग्राम पंचायत ने मनरेगा फंड और पंचायती फंड को मिलाकर हर घर में सोकपिट बनाने की योजना बनाई।
ग्राम विकास अधिकारी परमजीत सिंह ने बताया कि घर के अंदर चार गुणा चार फुट साइज का चौड़ा और छह फीट गहरा गड्ढा खोदा गया। उसके अंदर फिर 18 इंच गोल साइज का चार फीट गड्ढा खोदा गया। इस चार फीट गड्ढे को ईंट-पत्थर से भर दिया गया। ऊपर के गड्ढे में फिर से दो फीट तक ईंट-पत्थर डाले गए। फिर इसके ऊपर सीमेंट का एक टैंक रखा गया, जिसमें कई छेद हैं। इस टैंक के इर्द-गिर्द भी ईंट-पत्थर डाले गए हैं। इस सोकपिट के साथ ही एक छोटा गड्ढा खोदा गया है।
छोटे गड्ढे और सोकपिट के बीच पाइप डाली गई है। पहले घर का गंदा पानी छोटे गड्ढे में जाता है और फिर सोकपिट में गिरता है। टैंक के छेदों से यह पानी साइड पर निकलता है, जो पत्थरों में से फिल्टर होकर जमीन में चला जाता है। इसमें शौचालय से निकलने वाले पानी को नहीं जोड़ा जाता है। वह नालियों के माध्यम से ही बाहर जाता है।
गांव में सोकपिट बनाने के लिए पंचायती विभाग ने चार लाख रुपये का बजट तैयार किया था। ग्राम पंचायत ने इस कार्य को दो लाख रुपये में ही मुकम्मल कर दो लाख रुपये की बचत की। जिले का यह एकमात्र गांव है, जहां पर सोकपिट से गंदे पानी की निकासी और भूजल स्नोत को रीचार्ज करने का काम किया गया है।
गांव की सरपंच मलकीत कौर का कहना है कि इससे जहां गांव को नालियों में गंदे पानी के चलते मच्छरों व इनसे पैदा होने वाली बीमारियों से सदा के लिए छुटकारा मिल गया है, वहीं छप्पड़ से पैदा होने वाली बदबू से भी निजात मिल गई है।
हिम्मतपुरा के लोगों की जल संरक्षण की यह पहल सराहनीय है। इससे भूजल स्नोत भी बिना प्रदूषण रीचार्ज हो रहा है।
- डॉ. गुरांदित्त
सिंह, जिला कृषि
अधिकारी, बठिंडा