24 को सीएम करेंगे शहीद नंद ¨सह चौक का उद्घाटन
पिछले एक महीने से रेनोवेट किए जा रहे फौजी चौक का उद्घाटन 24 सितंबर को शहीद नंद ¨सह की जन्म शताब्दी पर मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह करेंगे।
साहिल गर्ग, ब¨ठडा : पिछले एक महीने से रेनोवेट किए जा रहे फौजी चौक का उद्घाटन 24 सितंबर को शहीद नंद ¨सह की जन्म शताब्दी पर मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह करेंगे। उनके साथ आर्मी मुखी के अलावा दिल्ली से सेना के उच्च अधिकारियों के पहुंचने की भी उम्मीद है। बेशक अभी तक सीएम या आर्मी मुखी के आने की कोई अधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा प्रबंधों की जांच करने के लिए एसएसपी डॉ. नानक ¨सह व आर्मी के लेफ्टिनेंट कर्नल राज कुमार शर्मा ने वीरवार को मौके का दौरा किया। वहीं देर शाम को मी¨टग भी की गई, जिसमें फौजी चौक पर समागम के दौरान कुछ समय के लिए बंद किए जाने वाले रास्ते के चलते ट्रैफिक का रूट क्या रहेगा व क्या सुरक्षा रहेगी, पर चर्चा की गई। जबकि चौक को तैयार करने के लिए आर्मी की ओर से दिन-रात काम किया जा रहा है। इनका लक्ष्य है कि 24 तारीख तक हर हाल में चौक को पूरी तरह से रेनोवेट कर दिया जाएगा। वहीं प्रशासन की तरफ से की जा रही तैयारियों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चौक के उद्घाटन दौरान किसी बड़े मंत्री व अफसरों के आना तय है। फौजी चौक का नाम अब शहीद नंद ¨सह चौक होगा
फौजी चौक से मशहूर चौक का नाम भी अब शहीद नंद ¨सह चौक कर दिया गया है। इसको लेकर नजदीकी दुकानदारों को भी हिदायत की है कि वह 24 सितंबर से पहले अपनी दुकानों के बोर्डों पर फौजी चौक मिटाकर नया नाम लिखें। इससे पहले जून 2016 में फौजी चौक को पक्के तौर पर शहीद नंद ¨सह चौक के डिस्पले बोर्ड लगाकर असल नाम दिया गया था। जबकि चौक को नई लुक देने के लिए नव निर्माण करने के अलावा फूल पौधे भी लगाए जा रहे हैं। इसी के साथ चौक के सभी तरफ लाइटें व अंदर 1971 की जंग में इस्तेमाल की गई एंटी एयर क्राफ्ट गन को लगाया गया है। गौर हो कि सीएम कैप्टन अम¨रदर ¨सह ने विधानसभा चुनावों से पहले 19 अक्टूबर 2016 को फौजी चौक की सफाई की थी और भरोसा दिया था कि चौक का नव निर्माण कर इसकी हालत में सुधार किया जाएगा। ट्रैफिक की प्रशासन के सामने होगी चुनौती
शहर का सबसे व्यस्त रहने वाला फौजी चौक, जहां से निकलने से लोगों को काफी समय तक रुकना पड़ता हैं। यहां तक कि चौक में तैनात ट्रैफिक पुलिस के मुलाजिमों से भी ट्रैफिक कंट्रोल करना मुश्किल होता है। ऐसे में अगर 24 तारीख को यहां पर समागम का आयोजन किया जाता है, तो प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ट्रैफिक कंट्रोल करने की होगी। बेशक इसके लिए अन्य रास्तों से ट्रैफिक डाइवर्ट भी किया जाएगा। लेकिन जितना समय समागम चलेगा, उतनी देर तक तो इसको बंद रखने की जरूरत पड़ेगी। जबकि दिन रात शहर के अंदर या बाहर आने के लिए चौक से ही होकर गुजरना पड़ता है। शहीद का इतिहास
नंद ¨सह का जन्म 24 सितंबर 1914 को पंजाब के ब¨ठडा जिले के गांव बहादुरपुर में हुआ था। यह गांव अब मानसा जिले में है। वह 24 मार्च 1933 में 1/11 सिख रेजिमेंट में सम्मिलित हुए थे। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनकी यूनिट को मोंगडाव-बुथिडाऊंग रोड के साथ अराकन, बर्मा में 1944 में तैनात किया गया था। स्वतंत्रता के बाद उनको पदोन्नत कर नायब सूबेदार का पद दिया गया। 1947 में पाकिस्तान के कश्मीर पर आक्रमण करने पर उनकी प्लाटून को हवाई मार्ग से 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर पहुंचाया गया। दुश्मनों की ताकत ने ऊरी को ऊपरी पहाड़ियों पर मोर्चा बंदी कर रखी थी। जिससे श्रीनगर के मुख्य मार्ग पर खतरा बढ़ गया। वापसी में दूसरे रास्ते आते समय दुश्मन की भारी गोलीबारी का शिकार हो गए। उन्होंने अपनी बहादुरी से पांच दुश्मनों को मार गिराया। इस दौरान वह वीरगति को प्राप्त हो गए। उनकी इस बहादुरी के लिए उनको मरणोपरांत महावीर चक्र से भी नवाजा गया।
उद्घाटन से पहले सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया
शहीद नंद ¨सह चौक के उद्घाटन से पहले सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया गया है, जिसमें किसी भी प्रकार की कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। इसके लिए पहले उनके द्वारा अपने लेवल पर विभाग की मी¨टग की जाएगी, जिसके बाद फौज के अधिकारियों के साथ संयुक्त रूप में मी¨टग होगी। जबकि अगर जरूरत पड़ी तो सुरक्षा के लिहाज से एक दो जगहों से रास्ते भी बंद किए जा सकते हैं। मगर समागम में कौन कौन आ रहा है, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।
डॉ. नानक ¨सह, एसएसपी, ब¨ठडा।