अभी तक नहीं भरी सरकारी स्कूलों ने चैनलों की फीस
बचों को करवाई जा रही पढ़ाई के लिए शिक्षा विभाग को फीस अदा करनी होगी।
ज्योति बबेरवाल, बठिडा : प्राइवेट व सरकारी स्कूलों की तरफ से डीटीएच के जरिए बच्चों को करवाई जा रही पढ़ाई के लिए शिक्षा विभाग को फीस अदा करनी होगी। विभाग ने बीते दिनों प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को पत्र जारी कर डीटीएच की फीस भरने के आदेश जारी किए है। ऐसे में सरकार द्वारा जारी इस आदेशों के बाद स्कूल प्रिसिपल हैरान है कि अब सरकार पढ़ाई करवाने के नाम पर फीस वसूल कर अपना खजाना भरने की तैयारी कर रही है। ऐसे में कुछ स्कूल प्रबंधक विभाग के इस फैसले का विरोध कर रहे है। उनका तर्क है कि वह शिक्षा देने का काम कर रहे है, ना कि कोई बिजनेस कर रहे है। सरकार द्वारा बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो सके, इसके लिए सुविधाएं देने की बजाये नई-नई फीसे लागू कर अपना खाली खजाना भरने कर कोशिश की जा रही है।
गौर है कि ऑनलाइन पढ़ाई करवाने के लिए कोरोना काल के दौरान विद्यार्थियों के लिए डीटीएच चैनल चलाए गए थे। अब इसकी फीस भरनी पड़ेगी। जिले की बात की जाए तो जिले में प्री प्राइमरी व प्राइमरी स्कूलों के पास इतने फंड ही नहीं है कि वो इसकी फीस भर सके। इसलिए प्राइमरी अध्यापकों को तो परेशानी में डाल दिया गया है। वहीं सीनियर सेकेंडरी के करीब 20 प्रतिशत विद्यार्थियों ने ही फीस भरी है। कुल रकम बनती है 55 लाख आठ हजार रुपये
सभी निजी व एडिड स्कूलों की बात की जाए, तो जिले में करीब 370 स्कूल है। जिनमें करीब 50 प्राइमरी स्कूल है। सीनियर सेकेंडरी स्कूल को वार्षिक 8400 रुपये, हाई स्कूलों को छह हजार रुपए, मिडिल स्कूल को 2400 रुपए व प्राइमरी स्कूलों को 1200 रुपए चार्ज करना पड़ेगा। जिले में सीनियर सेकेंडरी स्कूल 2700, मिडिल व सेकेंडरी के मिलाकर करीब 3000 स्कूल है। इसमें प्राइमरी का चार्ज करीब 60 हजार रुपये, सीनियर सेकेंडरी स्कूल का 22 लाख 68 हजार रुपये, मिडल का सात लाख 20 हजार व सेकेंडरी स्कूलों का 18 लाख रुपए बनता है। जिसकी कुल रकम 55 लाख आठ हजार रुपये बनती है। जिसे लेकर स्कूल प्रिसिपल भी दुविधा में पड़ गए हैं कि बिना फंडों के किस प्रकार यह रकम दी जाएगी।
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स्मार्ट फोन न होने के कारण जारी किए गए थे चैनल
कोरोना के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए बच्चों के लिए चैनल चलाए गए थे, क्योंकि स्कूलों के ज्यादातर बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं थे। जिस कारण उनको परेशानी होती थी। इसके बाद चैनल जारी कर दिए गए, लेकिन अब स्कूलों से चैनल की फीस मांगी जा रही है। जिसे सुनकर सभी हैरान हो गए हैं।
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प्राइमरी फंड न होने पर नहीं भरी फीस
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चैनल की फीस कई स्कूलों द्वारा भरी जा रही है। ज्यादातर सीनियर सेकेंडरी स्कूलों ने चैनलों की अदायगी कर दी है, लेकिन प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की बात की जाए, तो इनके पास फंड न होने के कारण यह फीस नहीं भर पाएं है, बाकि स्कूलों द्वारा फीसें भरी जा रही है।
इकबाल सिंह बुट्टर, उपजिला शिक्षा अधिकारी