जीव का कल्याण करती है भागवत कथा: अनिरुद्धाचार्य
श्री बांके बिहारी सेवा समिति की ओर से प्रधान संजीव सिगला की अगुआई में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
संस, बठिडा: श्री बांके बिहारी सेवा समिति की ओर से प्रधान संजीव सिगला की अगुआई में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा वाचक के तौर पर अनिरुद्धाचार्य महाराज वृंदावन वाले पहुंचे हुए हैं।
कथा के पहले दिन ज्योति प्रचंड करने की रस्म मित्तल ग्रुप आफ कंपनी के एमडी रजिद्र मित्तल व उनकी पत्नी सुनीता मित्तल द्वारा की गई। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। वाचक अनिरुद्धाचार्य ने भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा करते हुए बताया कि यह कथा जन्म और मरण को मिटाने और मोक्ष प्राप्ति की बहुत मीठी दवा है। ऐसी दवा को भला कौन पीना नहीं चाहेगा। यह मीठी दवा एक ऐसी औषधि है, जिसका पान हर प्राणी को करना चाहिए। भगवान की कथा से जीव का कल्याण होता है। जब-जब इस धरती पर अनीति, अत्याचार बढ़ते हैं तब-तब भगवान अवतार लेकर पापियों का संहार करते हैं।
कथा के अंत में प्रधन संजीव सिगला ने बताया कि भागवत कथा 18 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान राकेश जिदल, विपिन जिदल, राजीव सिगला, रशपाल गोयल, भूषण गोयल, ईश्वर दयाल, सतपाल गोयल, रविद्र कुमार, योगेश, पंकज गोयल, राकेश बांसल, सोनू गर्ग, अर्जित गोयल व मोहित गोयल भी शामिल थे। जीवन कल्याण के लिए संयम का मार्ग चुनें: डा. राजेंद्र मुनि जैन सभा के प्रवचन हाल में कल्पवृक्ष भक्तामर के शुभारंभ के प्रसंग में डा. राजेंदर मुनि ने कहा कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभ देव भगवान, जिनका अपर नाम आदिनाथ के रूप में विस्तृत हुआ है, आदि अर्थात धर्म कएवं न्याय नीति का शुभारंभ कर्ता असि मसि कृषि के कार्य का प्रारंभ कर्ता जनता को जीवन जीने का मार्ग बतलाने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि उनको आदिनाथ भगवान के नाम से पुकारा जाता है। उन्होंने भरत जैसे पुत्र रत्न को जन्म प्रदान किया, इसीलिए हमारे देश का नाम भरत चक्रवर्ती राजा के नाम से भारत बना है। ऋषभ देव भगवान का पूरा परिवार जहां सामाजिक न्याय नीति में अगुवा रहा, वहीं जीवन कल्याण के लिए अंत में संयम का मार्ग ग्रहण करके जनता को धर्म का स्वरूप भी समझा दिया। आज विज्ञान जितना भी विकसित हुआ हो रहा है उसके आध्या कर्ता नींव के रूप में आदिनाथ रहे हैं। जैन समाज में इनके आध्यात्मिक चमत्कारों से प्रभावित हो कर इनकी स्तुति रूप भक्तामर का प्रतिदिन पाठ किया जाता है।
सभा में प्रारंभ में साहित्यकार सुरेंद्र मुनि द्वारा विधिविधान के साथ भक्तामर जी का पाठ प्रारंभ किया गया। सामूहिक रूपेण भक्तामर जी का 48 दिवसीय यह साधना सम्पन्न होगी। इसके प्रत्येक दिन के लाभार्थी परिवार द्वारा सभी को प्रसाद व चांदी के दो सिक्कों द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा। महामंत्री उमेश जैन ने अतिथिओं का हार्दिक अभिनंदन किया।