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बेसहारा मृत पशु बने शहर के लोगों के लिए सिरदर्दी

बेसहारा मुर्दा पशु शहर के लोगों के लिए सिरदर्दी बने हुए हैं। हालांकि यह समस्या शहर में सालों से है

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 11:57 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 06:07 AM (IST)
बेसहारा मृत पशु बने शहर के लोगों के लिए सिरदर्दी

जागरण संवाददाता, बठिडा

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बेसहारा मुर्दा पशु शहर के लोगों के लिए सिरदर्दी बने हुए हैं। हालांकि यह समस्या शहर में सालों से है, लेकिन बावजूद नगर निगम इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाल पा रहा है। निगम ने मुर्दा पशु उठाने के लिए टेंडर भी लगाए जाते हैं, लेकिन कोई ठेकेदार यह टेंडर लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। मुर्दा पशुओं का यह मुद्दा अकसर नगर निगम के जनरल हाउस की बैठकों में भी उठता है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा। वैसे तो निगम की सेनिटेशन शाखा मुर्दा पशुओं की शिकायत मिलने पर कोई ठेकेदार न होने की बात कहकर जवाब ही दे देते हैं या फिर जिस जगह पर मृत पशु पड़ा होता है, वहीं कहीं खाली पड़ी जगह में गड्ढा खोदकर दफनाने की कोशिश की जाती है। लेकिन ऐसी स्थिति में निगम कर्मियों को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है। जिसके बाद निगम कर्मी वहीं पर मृत पशु छोड़कर चले जाते हैं। आखिर संबंधित जगह के मालिक को खुद पैसे देकर यह निजी काम करने वालों से उठवाना पड़ता है। मृत पशुओं को वहीं पर दफनाने की कोशिश

किशोरी राम अस्पताल के डॉ. वितुल गुप्ता को इस मामले की स्थानीय निकाय विभाग के उच्चाधिकारियों को शिकायत भी भेजनी पड़ी है। उन्होंने बताया कि बीते दिन उनके अस्पताल के बिलकुल साथ खाली प्लाट में एक बेहसहारा पशु की मौत हो गई। उन्होंने निगम के अधिकारियों के अलावा सेनिटेशन शाखा को भी शिकायत की। शिकायत के बाद भी सेनीटेशन शाखा के कर्मचारी उस मृत पशु को वहीं पर गड्ढा खोदकर दफनाने की कोशिश करने लगे। पता चलते ही पशु के दफनाने का कड़ा विरोध किया तो सेनिटेशन शाखा के कर्मचारी खुदा हुआ गड्ढा छोड़कर चले गए। बाद में प्लॉट के मालिक को निजी तौर पर मुर्दा पशु उठाने वालों को अपनी जेब से रुपये देकर उसे उठवाना पड़ा। मुर्दा पशु को आबादी के बीच में दफनाना गलत है। यह नियमों के विपरीत है। उन्हें बाद में इस मामले की निकाय विभाग के अधिकारियों को शिकायत भी करनी पड़ी है। हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं नगर निगम के अधिकारी

आरटीआइ कार्यकर्ता एवं जागो ग्राहक संस्था के सचिव संजीव गोयल के अनुसार शहर में हर रोज लगभग आधा दर्जन बेसहारा पशु मरते हैं। लेकिन यह मृत पशु उठाने की निगम के पास कोई व्यवस्था नहीं है। कई दिन तक मरे पड़े रहने के बाद पशुओं से बदबू आने लगती है, जोकि लोगों के नाक में दम कर देती है। यहां तक कि निगम के अधीन शहर की गोशालाओं में भी मृत पशुओं की उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है। वहां पर मरने वाले पशु भी वहीं पर दफनाए जा रहे हैं। जबकि शहर में मृत पशु उठवाने के लिए लोगों की लूट हो रही है। एक मृत पशु उठवाने के लिए लोगों को अपनी जेब से एक हजार रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। लेकिन निगम अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और इस समस्या का कोई उपाय नहीं निकाल पा रहे हैं। निगम अधिकारी गंभीरता से लें समस्या : तरसेम चंद

नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर तरसेम चंद गोयल ने कहा कि समस्या गंभीर है। बहुत लोगों के फोन आते हैं। वह खुद भी कई बार यह मुद्दा उठा चुके हैं। अब सोमवार को फिर से अधिकारियों के साथ बात करेंगे। लेकिन अधिकारियों को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और इसका कोई तुरंत समाधान करना चाहिए।


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