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खाद के लिए बनाई थी कंपोस्ट पिटें, बन गई कूड़े का डंप

गार्बेज फ्री सिटी का दर्जा हासिल करने के लिए होने वाले सर्वेक्षण से पहले नगर निगम की ओर से शहर भर में बनाई गई कंपोस्ट पिटें कचरे का डंप बनकर रह गई हैं। हालांकि नगर निगम की ओर से इन पिटों को गीले कचरे से खाद तैयार करने के लिए बनाया गया था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 08:00 AM (IST)
खाद के लिए बनाई थी कंपोस्ट पिटें, बन गई कूड़े का डंप
खाद के लिए बनाई थी कंपोस्ट पिटें, बन गई कूड़े का डंप

सुभाष चंद्र, बठिडा

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गार्बेज फ्री सिटी का दर्जा हासिल करने के लिए होने वाले सर्वेक्षण से पहले नगर निगम की ओर से शहर भर में बनाई गई कंपोस्ट पिटें कचरे का डंप बनकर रह गई हैं। हालांकि नगर निगम की ओर से इन पिटों को गीले कचरे से खाद तैयार करने के लिए बनाया गया था। इनमें खाद तो क्या तैयार की जानी थी, अब यह कूड़े का डंप ही बनकर रह गई हैं। ऐसा लगता है कि इन कंपोस्ट पिटों का निर्माण केवल गार्बेज फ्री सिटी के सर्वे की शर्त को पूरा करने के लिए ही किया गया था। जैसे ही सर्वे खत्म हुआ तो इनका रखरखाव करना भी छोड़ दिया गया है। जबकि इन पिटों पर लाखों रुपये खर्च किए गए थे। नगर निगम अधिकारियों की यह कार्य प्रणाली केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान की अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए नहीं तो

गार्बेज फ्री सिटी के सर्वेक्षण से पहले बनाई थी पिटें

नगर निगम की ओर से गार्बेज फ्री सिटी का रुतबा हासिल करने के लिए अप्लाई किया हुआ है। इसका बीते मार्च माह में केंद्रीय टीम की ओर से सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण से पहले से शहर के विभिन्न स्थानों पर 50 कंपोस्ट पिटों का निर्माण किया गया था। गार्बेज फ्री सिटी के लिए यह अनिवार्य शर्तें है कि जहां घरों से गीला और सूखा कचरा अलग अलग उठाया जाना है, वहीं गीले कचरे से संबंधित एरिया में ही कंपोस्ट पिट बनाकर उसमें खाद तैयार करना जरूरी है। इसीलिए ही नगर निगम की ओर से शहर के पचास वार्डों के मद्देनजर 50 कंपोस्ट पिटें तैयार की गई थीं। एक पिट के निर्माण पर करीब 12 हजार रुपये की राशि खर्च की गई थी।

प्रत्येक कंपोस्ट पिट पर कर्मचारी भी तैनात किया था

सर्वेक्षण से पहले इन पिटों में बकायदा गीला कचरा फेंका जाने लगा था। जबकि सूखे कचरे को सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में भेजा जा रहा था। इतना ही नहीं प्रत्येक पिट पर एक कर्मचारी की तैनाती भी की गई थी, जोकि इन पिटों में केवल गीला कचरा ही फेंकने की निगरानी रखता था, वहीं खाद तैयार करने के लिए अन्य कार्य भी करता था। लेकिन जैसे ही गार्बेज फ्री सिटी का सर्वेक्षण खत्म हुआ तो पिटों से सभी कर्मचारियों को हटा लिया गया। अब यह कंपोस्ट पिटें गीले और सूखे मिक्स कचरे का डंप बन गई हैं। सभी पिटें पालिथीन की लिफाफों से भरी पड़ी हैं।


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