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डाक्टर, स्टाफ व इंफ्रास्ट्रक्टर की कमी से जूझ रहा सिविल अस्पताल

सिविल अस्पताल में स्टाफ की कमी के कारण यहां कई दिक्कते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 05:21 AM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 05:21 AM (IST)
डाक्टर, स्टाफ व इंफ्रास्ट्रक्टर की कमी से जूझ रहा सिविल अस्पताल
डाक्टर, स्टाफ व इंफ्रास्ट्रक्टर की कमी से जूझ रहा सिविल अस्पताल

जासं,बठिडा: शहीद भाई मनी सिंह सिविल अस्पताल की इमारत का वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल की ओर से जारी की 4.38 करोड़ की लागत से नवीनीकरण हो रहा है, लेकिन स्टाफ की कमी के कारण यहां कई दिक्कते हैं। हालात ये हैं कि डाक्टरों के ही 48 प्रतिशत पद रिक्त हैं, जबकि लेबोरेट्री टैक्निशियन की 65 प्रतिशत, स्टाफ नर्स की 52 प्रतिशत और दर्जा चार कर्मचारियों के 53 प्रतिशत पद रिक्त हैं। जच्चा-बच्चा अस्पताल भी पदों की कमी के साथ भिड़ रहा है। डिलिवरी के लिए आते मामलों और अलग-अलग वार्डों मुताबिक एक शिफ्ट में काम करने के लिए कम से कम पांच स्टाफ नर्सों की जरूरत है परंतु यहां कुल ही पांच स्टाफ सदस्यें हैं। इसलिए एक शिफ्ट में सिर्फ एक ही नर्स ड्यूटी निभाती है।

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अस्तपाल में साजो-सामान की कमी के अलावा वेंटिलेटर की भी कमी है। हालांकि अस्पताल परिसर में कुछ वेटिलेंटर मिले हैं, लेकिन उन्हें चलाने के लिए स्टाफ ही नहीं है। इसके चलते गंभीर समस्या पैदा होने पर मरीज को फरीदकोट के सरकारी अस्पताल के लिए रेफर किया जा रहा है। साथ ही यहां हाई डिपेंडेंस यूनिट खोलने की योजना है, जिससे नया स्टाफ भी मिलेगा और सामान भी। इसका सीधा लाभ मरीजों को मिलगा। जच्चा-बच्चा अस्पताल में भी 50 फीसद स्टाफ कम

जच्चा-बच्चाअस्पताल में पांच शिशु रोग माहिर डाक्टर तैनात हैं, लेकिन इन दिनों दो डाक्टर मेडिकल लीव पर हैं जबकि तीन डाक्टर ही ओपीडी में ड्यूटी दे रहे हैं। अस्पताल में करीब 50 प्रतिशत से अधिक स्टाफ की कमी है। वार्ड में आक्सीजन कंसंट्रेटर, नेबुलाइजर, आक्सीमीटर, रेडियंट वार्मर आदि मौजूद हैं। बेडों की कमी से भी परेशान रहते हैं मरीज

मौजूदा समय में जिले के सिविल अस्पताल में इंफ्रास्ट्रक्टर की काफी कमी है। बेडों की कमी के कारण मरीज परेशान रहते हैं। 200 बेड वाले अस्पताल में इन दिनों 100 बेड कोरोना आइसोलेशन वार्ड लेवल दो में तब्दील किए गए है। वहीं चिल्ड्रन अस्पताल में करीब 25 बेड सर्जिकल वार्ड में तब्दील हुए हैं। बाकी अन्य वार्ड में इस समय गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए दाखिल हैं तथा एसएनसीयू वार्ड में 12 बेड की सुविधा हैं। वहीं एसएनसीयू वार्ड में तीन बेड नवजन्मे बच्चों के लिए आरक्षित किए गए हैं। एक्सपर्ट न होने के कारण डिब्बे में ही बंद पड़े हैं वेटीलेटर

सिविल अस्पताल के एनसीडी क्लीनिक में दो वेंटीलेटर उपलब्ध जरूर हैं, लेकिन उन्हें चलाने के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है, जिसके चलते इन्हें डिब्बाबंद करके संभाल दिया गया है। कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में उपयोग के लिए सरकार की ओर से अस्पताल को 29 वेंटीलेटर जरूर उपलब्ध करवाए गए थे, लेकिन उन वेंटीलेटर को चलाने के लिए एक्सपर्ट टेक्नीकल स्टाफ सिविल अस्पताल को नहीं दिया गया जिसके चलते सभी वेंटीलेटर निजी अस्पतालों को सौंप दिए गए।


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