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लोगों के प्रदर्शन के बाद डाक्टरों ने भी की हड़ताल, सभी ओपीड बंद, नहीं हुए टैस्ट

बठिडा सिविल अस्पताल में बुधवार को थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने के मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 05:17 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 05:17 PM (IST)
लोगों के प्रदर्शन के बाद डाक्टरों ने भी की हड़ताल, सभी ओपीड बंद, नहीं हुए टैस्ट

जागरण संवाददाता, बठिडा : बठिडा सिविल अस्पताल में बुधवार को थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने के मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है। अस्पताल में थैलेसीमिया वेलफेयर सोसायटी के साथ पीड़ित परिवारों ने प्रदर्शन किया। वहीं सभी लैब तकनीशियनों ने हड़ताल कर काम ठप कर दिया। इसी समय अस्पताल में पीड़ित परिवारों के कुछ मेंबर की जब डाक्टरों के साथ बहस हुई तो डाक्टर भी हड़ताल पर उतर आए। सुबह 10 बजे से शुरू हुआ विवाद 12 बजे तक इतना बढ़ गया कि डाक्टरों की मांग पर उनके साथ बदसलूकी करने वालों पर केस दर्ज करने का भरोसा दिया, जिसके बाद डाक्टर शांत हुए।

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हालांकि डाक्टरों ने अपनी हड़ताल के दौरान कोरोना ड्यूटी व इमरजेंसी समेत सभी प्रकार की सेवाओं को बंद करने का ऐलान कर दिया। डीएसपी गुरजीत सिंह रोमाणा व एसएचओ कोतवाली दविदर सिंह ने मौके पर पहुंच कर डाक्टरों के साथ बातचीत कर मामले को सुलझाया। जिसके बाद अस्पताल में रक्त लेने के लिए आए सिर्फ थैलेसीमिया पीड़ित परिवारों के बच्चों को ही जांच के बाद रक्त दिया गया। जबकि इसके लिए भी उनके टेस्टों की मांग की गई तो कई लोगों के पास हड़ताल के कारण फाइल नहीं थी। दूसरी तरफ लैब तकनीशियनों की हड़ताल के कारण अस्पताल में दिन भर किसी भी प्रकार का कोई टेस्ट नहीं हुआ। अस्पताल की ओपीडी में लोग टेस्ट करवाने के इधर-उधर भटकते हुए नजर आए। प्रदर्शन के दौरान सभी पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगाकर उनको जिम्मेदार ठहराते रहे। इसके साथ ही भाजपा व आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी मौके पर पहुंच कर जिम्मेदार आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अस्तपाल में रोजाना होते हैं 350 टेस्ट

बठिडा के सिविल अस्पताल में हर रोज विभिन्न प्रकार के 350 के करीब टेस्ट होते हैं। इसमें 150 टेस्ट तो रूटीन के ही हैं। जिसमें सीबीसी व शूगर जैसे टेस्ट शामिल हैं। इसके अलावा 100 हेपेटाइट्स बी, 30 डेंगू, 20 मलेरिया व 60 आईसीटीसी में एचआइवी के टेस्ट होते हैं। इसी प्रकार ब्लड बैंक में 7 नवंबर से पहले हर रोज 25 के करीब लोगों को रक्त दिया जाता था। मगर बाद में एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के एचआइवी पाजिटिव आने के बाद रोजना रक्त लेने वालों की गिनती 10 ही रह गई। लेकिन बुधवार की हड़ताल के कारण तो वह भी बंद रहा। जबकि अस्पताल में लैब तकनीशियनों के 70 के करीब मुलाजिम हड़ताल पर रहे। वहीं गांव पूहला से गुरकिरत सिंह टेस्ट करवाने के लिए आया था। मगर वह वापस लौट गया। इसी प्रकार बठिडा का ललित कुमार व गोनियाना से साधना भी टेस्ट करवाने के लिए आए थे, लेकिन हड़ताल के कारण उन्हें मायूस लौटना पड़ा।

लैब तकनीशियनों ने बताई साधन की कमी

सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में खामियों को स्टाफ ने धरने के दौरान उजागर किया। ब्लड बैंक के बाहर लगाए गए धरने में नारेबाजी करते हुए सरकार पर सुविधाएं ही सही ढंग से मुहैया न करवाने के आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक में स्टाफ को सही ढंग से न तो ट्रेनिग दी जाती है, न ही उनको सभी प्रकार के साधन मुहैया करवाए जाते हैं। यहां तक कि मुलाजिमों की गिनती भी इतनी कम है कि उनके साथ काम चलाना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा अस्पताल में टेस्ट किटें भी उच्च क्वालिटी की नहीं है, जिसके कारण यह सारा कुछ हो रहा है। इस मामले में गगनदीप सिंह ने बताया कि वह ब्लड बैंक की कमियों के बारे में अधिकारियों के द्वारा कई बार सरकार को बता चुके हैं। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बजाय उनको बली का बकरा बनाया जा रहा है।

डाक्टरों के साथ हुई बहस

सिविल अस्पताल में लगाए गए धरने के दौरान जब आम आदमी पार्टी के जिला शहरी प्रधान नवदीप सिंह जीदा भी पहुंचे तो वह पीड़ित परिवारों को अपने साथ लेकर एसएमओ मनिदर सिंह को मिलने के लिए गए। वहां पर भीड़ ज्यादा होने के कारण जीदा डाक्टर को अपने साथ बाहर ले आए। मगर इस दौरान दो लोगों की डाक्टर के साथ बहस हो गई। यह मामला इतना बढ़ गया कि अस्पताल के सभी डाक्टर एकजुट हो गए, जिन्होंने प्रदर्शन कर हड़ताल की चेतावनी दे दी। जिसके तहत कोरोना व इमरजेंसी समेत सभी प्रकार की सेवाओं को ठप करने का ऐलान कर दिया। इस मामले का पता लगने पर डीएसपी गुरजीत सिंह रोमाणा व थाना कोतवाली के एसएचओ दविदर सिंह मौके पर पहुंचे। जिन्होंने डाक्टरों को बदसलूकी करने वालों के खिलाफ केस दर्ज करने का भरोसा दिया। जिसके बाद डाक्टरों ने अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए तो रक्त का प्रबंध कर दिया। मगर बाकी के लोग वापस लौट गए। स्टाफ की दो जाए सुरक्षा

इस मामले में डा. गुरमेल सिंह ने बताया कि वह अस्पताल में दिन रात लोगों की जान बचाने के लिए काम करते हैं। मगर यहां पर तो उनकी ही जान को खतरा है, जिसको देखते हुए उनको सुरक्षा दी जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता वह हड़ताल करेंगे।

पीड़ितों ने की कार्रवाई की मांग

मंगलवार की शाम को 1 और 9 साल के बच्चे के पाजिटिव आने के बाद थैलेसीमिया वेलफेयर सोसायटी की ओर से सिविल अस्पताल में पहुंचकर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान उनके द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों एवं मुलाजिमों पर क्रिमिनल केस दर्ज करने की मांग की। वहीं जिन बच्चों को एचआइवी पाजिटिव ब्लड लगाया गया है, उनके परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की गई है। इस दौरान सोसायटी के जितेंद्र सिंह ने बताया कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का हर दो-तीन महीनों के बाद टेस्ट होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में जिम्मेदार सीनियर अधिकारियों पर तो कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। यहां तक कि विरोध करने पर उन पर ही केस दर्ज किया है, जबकि वह तो इंसाफ मांग रहे हैं।

भाजपा हाईकोर्ट में दायर करेगी जनहित याचिका

सिविल अस्पताल की लापरवाही के मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरां पीड़ित परिवारों के लोगों से मिले। उन्होंने केंद्र से सीबीआइ जांच के साथ माननीय उच्च अदालत में जनहित याचिका दाखिल करने का भरोसा दिया। सरां ने कहा की पहले भी ऐसे संक्रमित रक्त जारी करने के मामले सामने आ चुके हैं, जिन पर प्रदेश सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

---कोट्स--

सिविल अस्पताल में डाक्टरों के साथ बहसबाजी करने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। हालांकि पुलिस ने दोनों लोगों को पहले ही राउंड अप कर लिया था। जिस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

दविदर सिंह, एसएचओ, थाना कोतवाली।


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