अमृत के समान है ऐतिहासिक भूतां वाले खूह का पानी
भगता भाईका में बने ऐतिहासिक भूतां वाले खूह को आज भी लोग दूर-दूर से देखने आते हैं।
नवजोत बजाज, भगता भाईका
भगता भाईका में बने ऐतिहासिक भूतां वाले खूह को आज भी लोग दूर-दूर से देखने आते हैं। इस कुएं से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और इस कुएं का जल लोग घरों में अमृत की तरह इस्तेमाल करते हैं। इस स्थान पर ऐतिहासिक कुएं के साथ-साथ गुरुद्वारा साहिब पातशाही छठी व दसवीं सुशोभित हैं।
छठी पातशाही गुरु हरगोबिद साहिब प्रचार दौरान दयालपुरा होते हुए भगता भाईका में पहुंचे थे व दसवीं पातशाही गुरु गोबिद सिंह जी महाराज ने जब दीना कांगड़ साहिब में जफरनामा साहिब लिखकर भाई दया सिंह के द्वारा भेजा था। इसके बाद वह खदराने की ढाब चले गए। उसके बाद गुरु साहिब इस स्थान पर तीन दिन ठहरे थे। भगता भाईका नगर गुरु अर्जुन देव जी के गुरसिख भाई बहलो जी के पोत्रे व भाई नानू जी के सपुत्र भाई भगता जी के नाम पर बसा हुआ है। दसवें पातशाह श्री गुरु गोबिद सिंह जी ने भगता जी की सिखी प्रचार की सेवा लगाई हुई थी। सूरज प्रकाश ग्रंथ में लिखा गया है कि यह कुआं भाई भगता जी ने 1761 ईसवी में बनवाया था, जिसको आज भूतां वाला खूह कहा जाता है।
यह माना जाता है कि लाहौर के रामू सेठ की पुत्री मानसिक तौर पर बहुत अधिक परेशान थी, जिस कारण वह बहुत ज्यादा बीमार रहती थी। रामू सेठ ने हर तरह का इलाज करवाया और किसी तरफ से बीमारी का हल नहीं निकला। किसी के कहने पर रामू सेठ लाहौर से होता हुआ गुरु गोबिद सिंह जी के पास आनंदपुर साहिब में पहुंचा व पुत्री को ठीक करने की विनती की। गुरु साहिब जी ने आशीर्वाद दिया की आप भाई भगता जी के पास जाओ आपकी पुत्री ठीक हो जाएगी। इसी तरह भाई भगता जी ने रामू सेठ की पुत्री को बिल्कुल ठीक कर दिया। रामू सेठ के साथ-साथ उसका पूरा परिवार लड़की को ठीक देखकर बहुत खुश हुआ। रामू सेठी ने भाई भगता जी के चरणों में सेवा करने की इच्छा जाहिर की तो भाई भगता ने रामू सेठ को कहा गांव वासी पानी बहुत दूर-दूर से लेकर आते हैं, इसलिए हम कुआं बनाना चाहते हैं। हमें ईंटों व चूने की जरूरत पड़ेगी। रामू सेठ ने हां तो कर दी, मगर लाहौर से ईंटों व चूना भगता भाईका में पहुंचाने में असमर्था प्रगट की। इस पर भाई भगता जी ने कहा कि यह हमारी जिम्मेवारी है, आपने जो सामान दान करना है, उस पर निशानदेही करवा देना। रामू सेठ ने इसी तरह किया और उसने अपने दो नौकर निगरानी पर बैठा दिए कि इतनी दूर सामान कैसे लेकर जाएंगे। सामान उठाने के बाद नौकरों ने रामू सेठ को बताया कि हमें कुछ पता नहीं सामान कौन लेकर जा रहा है। सिर्फ शोर ही सुनाई देता था। इतिहासकारों के मुताबिक रातों रात लाहौर से ईटें और चूना भगता भाईका में लाकर गुप्त रूहों ने कुएं का निर्माण किया। इसलिए इस स्थान को पूरी दुनिया में भूतां वाला खूह के नाम से जाना जाता है। आज के समय में कुएं को बहुत ही सुंदर बनाया गया है। इस स्थान पर हर साल 18 से 20 फरवरी तक भाई भगता जी की याद में वार्षिक जोड़ मेला भी लगता है।