गोवंश की दुर्दशा पर मुख्य सचिव समेत डीसी तलब
लावारिस पशुओं के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं। इसमें लोगों की जाने जा रही है। साथ-साथ फसलों को लावारिस पशु नुकसान पहुंचा रहे हैं। गोवंश की संभाल न होने के कारण ये अक्सर कचरे के ढेरों में मार रहे हैं।
जागरण संवाददाता, ब¨ठडा : लावारिस पशुओं के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं। इसमें लोगों की जाने जा रही है। साथ-साथ फसलों को लावारिस पशु नुकसान पहुंचा रहे हैं। गोवंश की संभाल न होने के कारण ये अक्सर कचरे के ढेरों में मार रहे हैं। ब¨ठडा एसोसिएशन आफ गवर्नमेंट आर्गेनाइजेश (बेगों) ने इसको लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका डाली। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर ली है साथ ही 31 जनवरी को प्रशासनिक अधिकारियों को तलब कर लिया है। इसमें ग्रामीण पंचायत विभाग पंजाब, स्थानीय सरकार पंजाब व पशु पालन विभाग पंजाब के मुख्य सचिव, बीएंडआर विभाग के सचिव के अलावा ब¨ठडा के डीसी परनीत को तलब किया गया है।
बेंगों ने बैठक कर लिया था याचिका दायर करने का फैसला
बेंगो के महासचिव एवं को-आर्डिनेटर साधू राम कुसला ने बताया कि बीते माह संगठन की रमणीक वालिया की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इसमें दर्शन जौड़ा, संदीप परछंदा, रमेश मेहता, सोनू महेश्वरी, राजन ¨सगला, डीके गर्ग, डॉ. एपी ग्रोवर, कमल गर्ग, राकेश नरूला आदि विशेष तौर पर शामिल हुए थे। इस दौरान लावारिस पशुओं को लेकर पैदा हो रही दिक्कतों पर विस्तार से विचार विमर्श करने के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने का फैसला लिया गया था।
याचिका में इन समस्याओं का किया गया है जिक्र
हाईकोर्ट में दायिक की गई याचिका में गोवंश के कत्ल रोकने, गोवंश को कत्लखाने लेकर जाने पर पूरी तरह से रोक लगाने, गोवंश का मीट बेचने पर सख्त पाबंदी लगाने, नेशनल व स्टेट हाइवे पर गोवंश को आने रोकने के लिए उचित प्रबंध करने, शहरों व गांवों से गुजरती सड़कों पर भी उन्हें आने से रोकने, रिहायशी क्षेत्रों में आने से रोकने के लिए नगर निगमों, कौंसिलों व पंचायतों की जिम्मेदारी तय करने, सूचना देने पर बीमार पशुओं का समय पर उचित इलाज करने, नगर निगमों, नगर कौंसिलों एवं पंचायती संस्थाओं की ओर से गोशालाओं का एक साल के अंदर अंदर निर्माण करने, 25 गांवों के कलस्टर पर गोशाला स्थापित करने, नई गोशालाओं को मुफ्त बिजली की सुविधा देने, डीएसपी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी गठित करने, सभी धार्मिक संस्थानों व डेरों से गोशालाएं बनवाने, गोशालाओं को अवैध कब्जों में चल रही जायदाद को तुरंत छुड़ाने तथा पालतू पशुओं से नियमों के अनुसार ही ढुलाई कराने की मांग की गई है। याचिका में राज्य सरकार की ओर से स्थापित की गई 22 गोशालाओं का भी जिक्र कर बताया गया है कि उन्होंने अपनी समर्था से आधा गोवंश रखा हुआ है।