गढ़ बचाने के लिए बादल परिवार ने बदली रणनीति, मनप्रीत के लिए निकल रहे मीठे बोल
पंजाब की हॉट सीटों में शामिल बठिंडा कांग्रेस और अकाली दल दोनों के लिए इज्जत का सवाल बन गई है। बादल परिवार ने इस सीट पर अपनी रणनीति बदली है।
बठिंडा [सुभाष चंद्र]। पंजाब की हॉट सीटों में शामिल बठिंडा कांग्रेस और अकाली दल दोनों के लिए इज्जत का सवाल बन गई है। पिछले पंद्रह सालों से इस सीट पर काबिज बादल परिवार ने अपना यह किला बचाए रखने के लिए रणनीति में बदलाव कर अब फूंक-फूंक कर कदम रखना शुरू कर दिया है। यहां तक कि सुखबीर बादल के चचेरे भाई कांग्रेस नेता व वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल के प्रति अब बादल परिवार के बोल अब नरम हो गए हैं।
खास बात यह है कि दूसरी ओर मनप्रीत और ज्यादा अक्रामक हो गए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी राजा वडिंग के पक्ष में की जा रही हर सभा में वह बादल परिवार का गुरुर तोड़ने का आह्वान करते हैं। वह कहते हैं कि रब्ब ते हंकार दा आपस विच्च वैर है। ते एेस बार बादलां दां हंकार तोड़ना है...। राजा वड़िंग तो मैदान में उतरने के दिन से ही लगातार हमलावर हैं, लेकिन बादल परिवार के एक-दूसरे के खिलाफ इस विपरीत व्यवहार को राजनीतिक जानकार बठिंडा संसदीय किला फतेह करने की रणनीति ही मान रहे हैं।
कोई गल्ल नी, ओह वी मेरा बच्चा है
पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिअद के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल ने बातचीत में मनप्रीत बादल की ओर से चुनावों में उन्हें वोटें खरीदने का भीष्म पितामह बताए जाने पर कहा- कोई गल्ल नीं ओह वी मेरा बच्चा ही है ...कह दिया था। बादल के जवाब से सब हैरान थे। करीब दो घंटे बाद शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से जब यही सवाल किया गया तो उन्होंने भी बेहद विनम्रता के साथ कहा-मैं मेरे वीर बारे कुछ नी कहणा...।
सुखबीर ने बस इतना ही कहा कि उसने भी राजनीति बादल साहेब से ही सीखी है, जबकि बठिंडा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा न होने तक शिअद प्रत्याशी हरसिमरत कौर बादल अपने कार्यक्रमों के दौरान सबसे अधिक हमला मनप्रीत बादल के खिलाफ ही बोलती रही हैं, लेकिन जबसे अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित किया है तब से वह मनप्रीत बादल के बजाय मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही घेर रही हैं।
जनसभाओं में संबोधन के दौरान वह कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहती हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने हितों की पूर्ति के लिए बादल परिवार में दरार डालकर उनके देवर (मनप्रीत) को उनके खिलाफ मैदान में उतार दिया था, जबकि इससे पहले वह भी सुखबीर बादल की तरह ही उन्हें नकली बादल तक कहती रही हैं।
विनम्रता के साथ दिल जीतने की कवायद
बादल परिवार के बदले बोलों को लेकर जहां आम लोगों में चर्चा का बाजा गर्म है, वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बादल परिवार इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री बादल तो पहले से ही अपनी विनम्रता के लिए जाने जाते हैं। अब सुखबीर और हरसिमरत भी मनप्रीत बादल की अत्याधिक अक्रामिकता केे विपरीत अपनी विनम्रता से मतदाताओं और मनप्रीत के करीबियों का दिल जीतने की कोशिश में हैं।
बड़े बादल इन दिनों मनप्रीत के साथ चल रहे उन नेताओं से भी मिल रहे हैं, जो लंबे समय से शिअद से नाराज चल रहे हैं। बीते रविवार को बादल ने पूर्व मंत्री चिंरजी लाल गर्ग तथा सुखदीप सिंह भिंडर से भी उनके घर पर जाकर अचानक मुलाकात की है। वे मनप्रीत के खिलाफ बोलकर उनके करीबियों को नाराज नहीं करना चाहते। बल्कि विनम्रता दिखाकर उन्हें अपने साथ जोड़ना चाहते हैं।
राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि वे मतदाताओं में आपस में मिले होने का भ्रम भी जिंदा रखना चाहते हैं। वहीं, मनप्रीत बादल की अक्रामिकता के बारे में उनका मानना है कि इसी रुख के साथ वह बादल परिवार से मिले होने के आरोपों से बचे रह सकते हैं।