'कोरोना को हल्के में न लें, सतर्कता बरतें'
आइएमए बठिडा के कोषाध्यक्ष व डा. दीपक बांसल ने कहा कि कोरोना महामारी को हल्के में न लें।
जासं, बठिडा : आइएमए बठिडा के कोषाध्यक्ष व डा. दीपक बांसल ने कहा कि कोरोना महामारी को हल्के में न लें। इस बीमारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। दुनिया में लाखों लोग कोरोना महामारी की भेंट चढ़ चुके हैं। हमें इस महामारी से घबराना नहीं, बल्कि इसका मुकाबला करना है। साबुन से अपने हाथ रेगुलर धोएं। भीड़ या घर में हमेशा मास्क पहन कर रखें। खांसी व बुखार को नजरअंदाज न करें। हमेशा सार्वजनिक स्थल पर छह फीट की दूरी दूसरे व्यक्ति से बना कर रखें। पौष्टिक आहार का सेवन करें। खांसी-बुखार व सांस लेने में मुश्किल होने पर तुरंत अपने डाक्टर से संपर्क करें। फिजिकल डिस्टेंसिग का पालन गंभीरता से करें। जब भी घर से बाहर जाएं तो अपने मुंह पर मास्क लगाकर ही जाएं।
नाड़ी शोधन प्राणायाम का
30 मिनट तक अभ्यास करें
आर्ट आफ लिविग के योग टीचर संजीव गर्ग का कहना है कि नाड़ी शोधन प्राणायाम शरीर की सभी नाड़ियों में प्राण का संचार करता है। इससे नर्वस सिस्टम को ताकत मिलती है। नाड़ी शोधन का अर्थ वह अभ्यास जिससे नाड़ियों का शुद्धिकरण हो। नाड़ी शोधनम प्रभावी प्राणायाम है जो मस्तिष्क, शरीर और भावनाओं को सही रखता है। मेडिटेशन करने से पहले इस आसन का अभ्यास मस्तिष्क को शांत करने के लिए कर सकते हैं। नाड़ी शोधन प्राणायाम से चिता, तनाव या अनिद्रा जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है। इस आसन को दाहिने हाथ की अंगुलियों को मुंह के सामने लाएं। तर्जनी और बीच की अंगुली को धीरे से माथे के बीचों बीच रखें। दोनों अंगुलियों पर दबाव न डालें, आराम से अंगुलियों को रखें। अंगूठा दाहिने नासिकाछिद्र के ऊपर और अनामिका बाएं नासिकाछिद्र के ऊपर रहे। ये दोनों बारी-बारी से नासिकाओं को दबाकर उनके श्वास-प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। नाड़ी शोधन प्राणायाम का 30 मिनट तक अभ्यास करें।