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घर में हर रोज बनने वाली दाल से लेकर देसी घी में हो रही मिलावट

सेहत विभाग की फूड टीम हर माह चेकिग कर विभिन्न खाद्य पदार्थो की सैंपलिग करता है और उन्हें जांच करने के लिए लैब भेजता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 07:50 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 06:40 AM (IST)
घर में हर रोज बनने वाली दाल से लेकर देसी घी में हो रही मिलावट

नितिन सिगला, बठिडा : सेहत विभाग की फूड टीम हर माह चेकिग कर विभिन्न खाद्य पदार्थो की सैंपलिग करता है और उन्हें जांच करने के लिए लैब भेजता है। सैंपल फेल होने पर एक्ट के मुताबिक जुर्माना या कार्रवाई की जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी हर खाने-पीने की चीज में मिलावटखोरी का खेल चल रहा है। हाल यह है कि दूध और दूध से बने उत्पाद के साथ घरों में रोजाना इस्तेमाल होने वाली दालों से लेकर मसालों में और देसी घी से लेकर रिफाइंड समेत अन्य खाद्य पदार्थो में भी जमकर मिलावट की जा रही है। विभाग द्वारा हर माह की जा रही सैंपलिग रिपोर्ट में 40 फीसद चीजें तय मानकों पर खरी नहीं उतर रही है। हर दसवीं चीज में मिलावट हो रही है, जोकि इंसान के शरीर के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती है। इसके चलते आम आदमी खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावटखोरी से खासा परेशान है। बाजार में मिलने वाली हर चीज में कुछ न कुछ मिलावट जरूर है, जोकि लोगों के लिए एक चिता का विषय है। आज मिलावट का कहर सबसे ज्यादा हमारी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर ही पड़ रहा है। ऐसे में भारी भरकम जुर्माना व सजा होने के बाद भी सेहत विभाग सौ फीसद मिलावटखोरी पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो रहा है। ऐसे में मिलावटखोर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में पीछे नहीं हैं।

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सेहत विभाग की फूड टीम की ढीली कारगुजारी

मिलावट रोकने के लिए सेहत विभाग की फूड टीम को हर माह कम से कम 100 खाद्य पदार्थों के सैंपल भरने होते हैं, लेकिन पूर्व पांच माह में बठिडा फूड टीम ने महज 182 की सैंपल भरे, जबकि कम से कम 500 सैंपल भरने जरूरी थे, लेकिन चुनावी आचार संहिता लागू होने का हवाला देते हुए कम सैंपल भरने की बात कहीं। विभाग की तरफ से पूर्व पांच माह में भरे गए 182 सैंपलों में 21 सैंपल फेल पाए है, जबकि 19 की रिपोर्ट आनी बाकी है। फेल हुए ज्यादा तरह सैंपल हररोज प्रयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थो की है। विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी माह में 58 सैंपल भरे थे, जिसमें चार देसी घी व एक गच्चक यानि कुल पांच सैंपल फेल हुए है। इसी तरह फरवरी माह 45 सैंपल में सात फेल हुए है, जिसमें तीन देसी घी, काले चने, मूंगी दाल धोती, बिस्कुट, बेसन, बैड व पकोड़ियां शामिल है। वहीं मार्च माह में 29 में 7 फेल हुए है, जिसमें चट्टनी, पनीर,सॉस, ऑयल, देसी घी व सुक्खा मिल्क पाउडर शामिल है। अप्रैल माह में 23 सैंपल लिए थे, जोकि सभी पास हो गए। इसके अलावा मई माह में 27 सैंपल भरे है, जिनमें से 19 की रिपोर्ट पेडिग है, जबकि आठ पास है। विभाग की यह रिपोर्ट बताती है कि दूध और दूध से बने पदार्थो में सबसे ज्यादा मिलावटखोरी पाई गई है।

अब तक दस केसों में हो चुका है 11.15 लाख रुपए का जुर्माना

सेहत विभाग की मानने तो जनवरी 2018 से लेकर मार्च 2019 तक फूड सेफ्टी विभाग की तरफ से 1120 विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के सैंपल भर गए थे, जिनमें में 160 सैंपल फेल हुए। विभाग ने अब तक करीब 10 केसों में 11 लाख 15 हजार रुपए का जुर्माना करवाया है, जिसमें सबसे बड़ा जुर्माना पांच लाख रुपए वाला है। खाद्य उत्पाद विनियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये तक का दंड देने का प्रावधान है। एफएसएसएआई ने 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक कानून में संशोधन के बाद किया है। ऐसे में उस व्यक्ति पर कम से कम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया सकता है।

चार घंटे की ट्रेनिग करनी होगी लाजमी

फूड सेफ्टी अफसर संजय कटियाल ने बताया कि सेहत विभाग फूड एंड सेफ्टी स्टेंडर्ड एक्ट के तहत सरकार के तरफ से कुछ जरूरी दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं। इसके तहत होटल-रेस्टोरेंट, ढाबा, फास्ट फूड बेचने वाले लोगों को किस प्रकार से अपनी दुकान में साफ-सफाई रखने के अलावा उनका बनाने की पूरी ट्रेनिग लेना लाजिमी है। ट्रेनिग हासिल करने वालों को सार्टिफिकेट जारी किया जाएगा।


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