आयुष्मान योजना में लापरवाही पर 18 प्राइवेट अस्पतालों पर कार्रवाई
पांच लाख रुपये तक का निश्शुल्क इलाज करवाने के लिए आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना शुरू की गई थी।
जागरण संवाददाता, बठिडा : पांच लाख रुपये तक का निश्शुल्क इलाज करवाने के लिए 20 अगस्त, 2019 को प्रदेश में आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना शुरू की गई थी। 16 माह के दौरान प्राइवेट अस्पतालों ने योजना में लापरवाही व हेराफेरी की। इसके चलते सरकार ने इस दौरान प्रदेश के विभिन्न 18 प्राइवेट अस्पतालों में कार्रवाई की है। इस कार्रवाई के दौरान चार अस्पतालों को जुर्माना किया गया है तो दो अस्पतालों को सस्पेंड और 12 अस्पतालों को इस योजना से बाहर ही कर दिया है। इसमें बठिडा के दो और मानसा जिले के एक अस्पताल भी शामिल है। 16 माह के दौरान 18 अस्पतालों पर कार्रवाई होना बेकार सेहत सेवाएं और इलाज के नाम पर पंजाब के लोगों की जा रही आर्थिक लूट की बहुत बड़ी उदाहरण है, जबकि साल 2020 का समय कोरोना कहर में गुजर गया है।
आरटीआइ एक्टीविस्ट बृजभान बुजरक ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत गृह व न्याय विभाग पंजाब की ओर से वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2020 तक सरबत सेहत बीमा योजना में लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों को किए गए जुर्माने व भेजे गए नोटिस के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इसके तहत पंजाब हेल्थ एजेंसी सेहत व परिवार भलाई विभाग चंडीगढ़ की तरफ से दी गई जानकारी अनुसार प्रदेश के 18 प्राइवेट अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है। इसमें बठिडा के मौड़ मंडी का आस्था अस्पताल व भुच्चो मंडी स्थित आदेश इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंस रिसर्च शामिल हैं। इसी तरह मानसा का जिदल आर्थो केयर है। इसके अलावा मोगा जिले का गर्ग नर्सिंग होम, अमृतसर का वर्मा, आकाशदीप, न्यू लाइफ, मनू अरोड़ा, संधु लाइफ अस्पताल शामिल है। एसएएस नगर का लाइफ लाइन सुपरस्पेशिलस्ट, जालंधर का रतन व कपूर बोन अस्पताल को आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना से बाहर कर दिया गया है, जबकि एसएएसनगर के ग्रीसाइन व गुरदासपुर जिले के संधू अस्पताल बटाला को सस्पेंड किया है।
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इन अस्पतालों को किया गया जुर्माना
अमृतसर के केयर एंड मेडीसिटी, संधू अस्पताल बटाला, सोहाना अस्पताल मोहाली, अमनप्रीत अस्पताल सुलतानपुर लोधी को जुर्माना किया गया है, लेकिन विभाग की तरफ से कितना जुर्माना किया गया है, इसकी जानकारी नहीं दी है। इसके साथ ही संधू अस्पताल बटाला को जुर्माना करने के बाद दूसरी बार लापरवाही बरतने पर लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया है। इसके बावजूद इस अस्पताल को योजना से बाहर नहीं किया गया है। आरटीआइ एक्टीविस्ट का कहना है कि सेहत सेवाओं का निजीकरण पंजाब के लोगों के लिए जहरीले पदार्थ की तरह है, चूंकि सेहत बीमा योजना शुरू होने के 16 महीने के अंदर ही 18 अस्पताल पर कार्रवाई करने पड़ी।