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आ रहा हूं पापा, बोल सदा लिए खामोश हो गए हरमन व चार दोस्त

सड़क हादसे में गांव जज्जल के तीन युवाओं की मौत की खबर सुनने के बाद में गांव में शोक की लहर दौड़ गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 10:32 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 06:14 AM (IST)
आ रहा हूं पापा, बोल सदा लिए खामोश हो गए हरमन व चार दोस्त
आ रहा हूं पापा, बोल सदा लिए खामोश हो गए हरमन व चार दोस्त

गुरप्रेम लहरी,अनिल जैन, गुरजंट नथेहा, रामा मंडी : मौड़ मंडी के पास हुए सड़क हादसे में गांव जज्जल के तीन युवाओं की मौत की खबर सुनने के बाद में गांव में शोक की लहर दौड़ गई। इस हादसे में मरने वाले हरमन का कुछ दिनों में शगुन होना था। कोरोना के बाद आवाजाही शुरू हो गई थी तो परिवार ने कहा था कि हरमन का शगुन जल्दी ही कर देंगे। इसके चलते सभी दोस्त बठिडा में कपड़े लेने के लिए गए हुए थे। लेकिन वहां से वे अपनी रामपुरा के पास स्थित गांव में रहती अपनी बुआ से मिलने के लिए चले गए। मरने वालों में दो चचेरे भाई थे।

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गांव जज्जल माहौल उस समय गमगीन हो गया जब गांव के तीन युवाओं के सड़क दुर्घटना में मरने की सूचना गांव में पहुंची। इस हादसे में चार घरों के चिराग बुझ गए। हादसे में मरने वाला राजविदर सिंह का बेटा हरमन उनकी इकलौती संतान था। बेटे के चले जाने के बाद उनके घर में अंधेरा हो गया है। गांव के नंबरदार सुरजीत सिंह का पोते हरमन का कुछ दिन बाद ही शगुन होना था। इसके चलते ही सभी दोस्त इकट्ठे होकर पकड़े लेने के लिए निकले थे। उनके ही गांव का एक अन्य युवक हरमन की भी इस हादसे में मृत्यु हो गई। उनके एक बहन थी और भाई अकेला ही था। ऐसे में उनके परिवार में अब कोई लड़का नहीं रहा। इसी प्रकार गांव के गुरप्रीत सिंह के दो बेटे थे। अरमान उनमें से बड़ा था। लेकिन अब उनके सिर्फ एक ही बेटा बाकी बचा है।

चचेरे भाईयों की एक साथ मौत हरमन व अरमान चचेरे भाई थे। उनके पिता दो भाई हैं । दोनों घरों में दो बेटे व एक बेटी थी। लेकिन इस हादसे ने एक ही परिवार के दोनों ही बेटे छीन लिए। इस के कारण पूरे परिवार का रो रो कर बुरा हाल है।

हरमन के पिता राजविदर सिंह का रो-रो कर बुरा हाल है। वीरवार को करीब डेढ़ बजे उन्होंने अपने बेटे हरमन को फोन कर उनके आने के बारे में पूछा तो हरमन ने कहा कि आ रहा हूं पापा,रास्ते में हूं। इसके आधे घंटे बाद ही उनकी गाड़ी हादसाग्रस्त हो गई और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतक अरमान के पीड़ित पिता गुरप्रीत सिंह ने कहा कि अभी तो उनके बेटे की आयु सिर्फ 14 साल ही थी। उसने तो कुछ देखा ही नहीं था। अगर लेकर ही जाना था तो परमात्मा उनको ले जाता।


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