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एक साल में सिर्फ 232 दुकानों की हुई रजिस्ट्रेशन

लेबर विभाग के अनुसार जिले में मौजूदा समय में सिर्फ 266 दुकानें हैं, जिसमें से 23 दुकानें देहाती क्षेत्र में है। जबकि 11 दुकानों की दोबारा रजिस्ट्रेशन हुई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 08:00 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 08:00 PM (IST)
एक साल में सिर्फ 232 दुकानों की हुई रजिस्ट्रेशन
एक साल में सिर्फ 232 दुकानों की हुई रजिस्ट्रेशन

संस, ब¨ठडा : लेबर विभाग के अनुसार जिले में मौजूदा समय में सिर्फ 266 दुकानें हैं, जिसमें से 23 दुकानें देहाती क्षेत्र में है। जबकि 11 दुकानों की दोबारा रजिस्ट्रेशन हुई है। लेबर विभाग के इन आंकड़ों के अनुसार ब¨ठडा शहर में सिर्फ 243 दुकानें हैं। जबकि शहर के अंदर दुकानों की संख्या हजारों में है। दुकानदारों ने कानून के अनुसार विभाग के पास अपनी रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाई। न ही कभी विभाग ने दुकानों की रजिस्ट्रेशन करने की तकलीफ उठाई। यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता हरमिलाप ग्रेवाल को लेबर विभाग से हासिल सूचना से हुआ हैं। ग्रेवाल ने लेबर विभाग व नगर निगम को आरटीआई से पूछा था कि 31 मार्च 2018 तक कितनी दुकानें इनरोडल हुई हैं। जिसके जवाब में लेबर विभाग ने बताया कि एक जनवरी 2017 से 31 मार्च 2018 तक 232 दुकानों की नई रजिस्ट्रेशन हुई है। जबकि नगर निगम के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि नगर निगम एक्ट 1976 की धारा 343 के अनुसार विभिन्न दुकानों के लिए एक साल में 1194 लाइसेंस जारी किए गए हैं। जानकारी के अनुसार शाप इस्टेबलिस्टमेंट एक्ट के अनुसार हर दुकानदार को अपनी दुकान या कारोबार को किरत विभाग के पास रजिस्टर्ड करवाना होता है। इस एक्ट के जरिए दुकान रजिस्टर्ड होने के बाद उक्त दुकानदार लेबर एक्ट की उल्लघंना नहीं कर सकता। उसकी दुकान पर हर काम करने वाले व्यक्ति का रिकार्ड रखना जरुरी होता है। उसको दिए जाने वाला वेतन अनुसार उसकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज करनी पड़ती है। लेकिन दुकानदार तो इस एक्ट की धज्जियां उड़ा रहे हैं। लेकिन लेबर विभाग के अधिकारी औद्योगिक इकाइयों तक तो उनकी रजिस्ट्रेशन के पहुंच करते हैं तो लेकिन बड़े शोरुम या बड़ी दुकानों तक पहुंच नहीं करते। जिस कारण हजारों दुकानदारों ने अपने कारोबार की दुकानें विभाग के पास रजिस्टर्ड नहीं करवाई। इस तरह से शरेआम लेबर एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

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आरटीआई कार्यकर्ता हरमिलाप ग्रेवाल का कहना हैं कि लेबर विभाग की नालायकी है कि अभी तक जिले के अंदर 266 दुकानों ही रजिस्ट्रर्ड हैं। जबकि शहर में हजारों दुकानें खुली हुई हैं। उन्होंने कहाकि अगर दुकानें विभाग के पास रजिस्टर्ड हों तो फिर लेबर नियमों की उल्लघंना न हो। लेकिन अब दुकानों के बड़े शोरुम रक कार्य करने वाले कामगारों को डीसी रेट के अनुसार पैसे नहीं मिल रहे।

तीन साल तक की हो सकती है सजा

शाप इंस्टेबलिस्टमेंट एक्ट के तहत अपनी दुकानों को रजिस्टर्ड न करवाने वाले दुकानदार को सजा जा जुर्माना भी हो सकता है। इस एक्ट के तहत दुकान के मालिक को 100 रुपये से 3000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।


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