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नशा रोकने के लिए बने कठोर कानून

शादी के बंधन में बंधने के बाद हर दंपती का पहला ख्वाब होता है कि उसकी संतान हो।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 05:16 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 05:16 PM (IST)
नशा रोकने के लिए बने कठोर कानून
नशा रोकने के लिए बने कठोर कानून

हेमंत राजू, बरनाला

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शादी के बंधन में बंधने के बाद हर दंपती का पहला ख्वाब होता है कि उसकी संतान हो। संतान प्राप्ति के बाद उसके सपने उसे पढ़ा-लिखाकर एक अच्छा इंसान बनाने में बदल जाते हैं, लेकिन अगर संतान गलत रास्ते पर अग्रसर हो जाए तो माता-पिता पर मानो पहाड़ टूट पड़ता है। ऐसे ही पहाड़ के नीचे आज अनेक मां-बाप दबकर आंसू बहाने को मजबूर हैं। इसका कारण उसकी औलाद का नशे के दलदल में धंसना है। पंजाब में नशा आज इतना प्रचलित हो चला है कि बुजुर्ग व युवा तो दूर बच्चे भी इसका स्वाद चखने से पीछे नहीं हट रहे। अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस के उपलक्ष्य में दैनिक जागरण ने कुछ लोगों के विचार जानने की कोशिश की है। इन तीन माह में जिला बरनाला में अब तक 11 लोग नशे के कारण मौत के आगोश में चले गए हैं।

समाजसेवी जीवन बांसल गोल्ला ने कहा कि दैनिक जागरण समय-समय सामाजिक सरोकारों के तहत लोगों को जागरूक करता रहता है। जागरण की नशा मुक्त पंजाब' मुहिम भी सराहनीय है। नशे को आसान तरीके व ²ढ़ संकल्प से छोड़ा जा सकता है।

समाजसेवी ज्ञान चंद शेरपुरिया ने कहा कि भ्रष्ट राजनीतिक लोग व प्रशासन अपने चहेतों को नशे के कारोबार की छूट देकर समाज के साथ-साथ बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

सेवा भारती स्कूल बरनाला के कैशियर सुभाष मकड़ा ने कहा कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब छोटे-छोटे बच्चे भी नशे की ओर आकर्षित होने लगे हैं। जिन बच्चों को हम आने वाले भविष्य के रूप में देखते हैं, अगर वह नशे के आदी हो जाएंगे तो फिर देश की नींव तो कमजोर होगी ही। समाजसेवी वरिदर हैप्पी ठेकेदार ने कहा कि बेशक चुनाव के दौरान नशा बांटने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ अनेक कानून बने हैं, इनके कठोरता से लागू न होने के कारण इनका कोई मायने नहीं रह जाता। नशे के नाश के लिए सरकार से लेकर आम आदमी तक को ईमानदार से प्रयास करना होगा।

राइस मिलर एसोसिएशन बरनाला के प्रधान व गुरुद्वारा सिंह सभा बरनाला के कैशियर अजैब सिंह जवंधा ने कहा कि आज चाहे राज्य भर में समाजसेवी संस्थाएं, धार्मिक संगठन व नशा मुक्ति संस्थाएं इस बुराई को खत्म करने के लिए दिन-रात एक करने में जुटी हैं, परंतु उनके द्वारा किए जा रहे प्रयास सार्थक होते दिखाई नहीं दे रहे, क्योंकि जब तक सरकारें व प्रशासन ध्यान नही देंगी तक मुश्किल लगता है।

बाला जी कांट्रैक्टर बरनाला के एमडी जितेंदर हैप्पी यादव ने कहा कि लोग अपने बच्चों को सिर्फ स्कूल या काम पर भेजने तक ही अपनी जिम्मेदारी न समझें। अभिभावकों को चाहिए कि वह यह भी पता रखें कि उनका बच्चा स्कूल या काम पर जाने के वक्त क्या-क्या करता है।

श्रीराम बाग कमेटी बरनाला के महासचिव इंजीनियर कंवल जिदल ने अपील करते कहा कि वह स्कूलों व कालेजों में विद्यार्थियो को नशे से होने वाले नुकसान से परिचित करवाकर नशे के खिलाफ व्यापक स्तर पर अभियान चलाकर इस बुराई को समाप्त करें।


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