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कर्ज के कारण 4 पीढ़ियों के 6 लोग कर चुके थे सुसाइड, अब ऐसे मसीहा बने प्रो. भाटिया

भोतना में कर्ज के तले दबे किसान परिवार को एक मसीहा ने आखिरकार यातनाओं से मुक्ति दिला दी। प्रो. भाटिया ने परिवार की जमीन साहूकार के छुड़वा करने उन्हें लौटा दी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 06:18 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:19 PM (IST)
कर्ज के कारण 4 पीढ़ियों के 6 लोग कर चुके थे सुसाइड, अब ऐसे मसीहा बने प्रो. भाटिया

बरनाला [हेमंत राजू]। यहां के गांव भोतना में कर्ज के तले दबे किसान परिवार को एक मसीहा ने आखिरकार यातनाओं से मुक्ति दिला दी। कर्ज के दंश के कारण इस परिवार की चार पीढ़ियों के छह सदस्य एक के बाद एक आत्महत्या कर चुके थे। आज परिवार में कोई पुरुष नहीं बचा है। कोई कमाने वाला भी नहीं है। घर में केवल तीन महिलाएं 70 वर्षीय दादी गुलदीप कौर, 50 वर्षीय हरपाल कौर और उनकी 23 वर्षीय बेटी मनप्रीत कौर हैं।

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इस परिवार की आधा एकड़ जमीन एक साहूकार के पास तीन लाख रुपये में गिरवी रखी थी। जब यह मामला मीडिया में सुर्खी बना तो पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के बॉटनी डिपार्टमेंट के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. जसबीर सिंह भाटिया का दिल पसीज गया। उन्होंने मदद करने की ठानी और अपने प्रोवीडेंट फंड में से 3 लाख रुपये साहूूकार को देकर जमीन छुड़वाकर परिवार को सौंप दी।

डॉ. भाटिया बोले- परिवार की मदद करके बहुत खुशी हुई

मोहाली निवासी डॉ. जसबीर सिंह भाटिया ने बताया कि उन्हें मीडिया से पीड़ित परिवार की दयनीय हालत के बारे में पता लगा था। 23 अक्टूबर को वह परिवार के घर गए थे। उनसे पूरी जानकारी लेकर 29 अक्टूबर को उन्होंने अपने पीएफ से तीन लाख रुपये परिवार के बैंक खाते में ट्रांसफर करके उनकी गिरवी रखी जमीन छुड़वाई और उन्हें सौंप दी। उन्होंने कहा कि वह अब किसी को भी मरने नहीं देंगे। इस परिवार की मदद करके उन्हें बहुत खुशी हुई है।

पीड़ित परिवार की महिलाएं बोली- फरिश्ता हैं डॉ. भाटिया

पीड़ित परिवार की बुजुर्ग गुलदीप कौर, हरपाल कौर और मनप्रीत कौर ने कहा कि डॉ. भाटिया उनके लिए एक फरिश्ता बनकर आए हैं। उन्होंने उनकी जमीन उन्हें वापस दिला दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, अकाली दल व आम आदमी पार्टी के सैकड़ों लीडर उनके घर आकर सहायता का भरोसा देकर गए थे, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। न ही सरकार ने उनकी कोई मदद की है। उनका तो सरकारों और नेताओं पर से विश्वास खत्म हाे चुका है।

यह था मामला

गत 10 सितंबर, 2019 को परिवार में चौथी पीढ़ी के इकलौते युवक 21 वर्षीय लवप्रीत सिंह लब्बू ने आत्महत्या कर ली थी। उसके पास केवल आधा एकड़ जमीन थी, जो गांव में ही एक साहूूकार के पास गिरवी रखी हुई थी। लवप्रीत के परदादा जोगिंदर सिंह के पास 13 एकड़ जमीन थी, उन्होंने हजारों रुपये आढ़तियों, बैंक व सोसायटी से कर्ज लिए थे। यह कर्ज दिन-ब-दिन बढ़ता गया और जमीन घटती गई। कर्ज चुकाने वाले उसके परिवार के सदस्य सुसाइड करते रहे। अंत में लवप्रीत ने भी जान दे दी।

जानलेवा कर्जः यूं एक के बाद एक परिवार के छह सदस्यों ने दी जान

परिवार की बुजुर्ग गुलदीप कौर ने बताया कि लवप्रीत के परदादा जोगिंदर सिंह ने कुछ कर्ज लिया था। उसे वह चुका नहीं सके थे और इस कारण वर्ष 1970 में उन्होंने स्प्रे पीकर आत्महत्या कर ली थी। फिर, लवप्रीत के परदादा के भाई भगवान सिंह भी कर्ज को चुका नहीं पाए। उन्होंने भी वर्ष 1980 में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। दिन-ब-दिन बढ़ते इस कर्ज से परेशान होकर दादा नाहर सिंह ने वर्ष 2000 में फंदा लगा लिया था। चाचा जगतार सिंह ने भी कर्ज से परेशान होकर वर्ष 2010 में स्प्रे पी लिया था। समय बीतता गया व कर्ज बढ़ता गया। 6 जनवरी, 2018 को लवप्रीत सिंह के पिता कुलवंत सिंह ने भी फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। अंत में परिवार में बचे एक मात्र पुरुष लवप्रीत सिंह उर्फ लब्बू ने भी दुखी होकर 10 सितंबर, 2019 को अपने खेतों में स्प्रे पीकर जीवनलीला समाप्त कर ली थी।

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