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अफसरों ने रखा सीएम का आदेश ताक पर, कोई नहीं पहुंचा गिरदावरी करने

कैप्टन ने तीन दिन की लगातार बारिश से धान, नरमा इत्यादि फसलों के नुकसान की विशेष गिरदावरी के आदेश दिए थे। लेकिन, अफसर गिरदावरी के लिए नहीं पहुंचे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 02:14 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 02:14 PM (IST)
अफसरों ने रखा सीएम का आदेश ताक पर, कोई नहीं पहुंचा गिरदावरी करने
अफसरों ने रखा सीएम का आदेश ताक पर, कोई नहीं पहुंचा गिरदावरी करने

बरनाला [इन्द्रप्रीत सिंह]। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तीन दिन की लगातार बारिश से धान, नरमा इत्यादि फसलों के नुकसान की विशेष गिरदावरी के आदेश दिए थे। जिलों में बैठे अधिकारियों ने भी मंगलवार को कहा था कि गिरदावरी की जा रही है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। गत दिवस मालवा क्षेत्र में दैनिक जागरण ने जब किसानों से बात की तो उनका कहना था कि अभी तक कोई भी अधिकारी गिरदावरी करने नहीं पहुंचा है। दूसरी तरफ किसानों ने सरकार से 30 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की है।

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संगरूर से तीस किलोमीटर दूर गांव हरिगढ़ के किसान नछत्तर सिंह ने मात्र एक दिन पहले ही आधा एकड़ में पकी फसल काट ली थी औऱ अगले दिन सारी फसल काटने का मन बनाया था। उसे क्या पता था कि शनिवार सुबह शुरू ही बरसात सोमवार को रुकेगी और जब रुकेगी तब उसके सारे अरमानों पर पानी फिर चुका होगा। बरसात रुकी तो उसकी 3 एकड़ में लगी हुई सारी फसल तबाह हो चुकी थी। अब यह फसल न तो हाथ से काटने के काबिल रही है और न ही कंबाइन से इसे काटा जा सकता है। पकी हुई फसल पूरी तरह से बिछ गई है।

नछत्तर के पड़ोसी किसान गुरप्रीत ने बताया कि यदि फसल को काटने की कोशिश भी की तो यह हमें कुछ नहीं दे पाएगी, क्योंकि इसका निचला हिस्सा इतना कमजोर हो चुका है कि अब इसे झाड़ कर दाना निकालना मुश्किल हो जाएगा। ज्यादातर हिस्से में पिछेती किस्म का धान बीजा था, इसलिए वह बच गई। उनके खेतों के बिल्कुल बगल से एक ड्रेन निकलती है, रास्ते को काट कर खेतों से ड्रेन तक पानी निकाला जा रहा है।

यह हाल केवल नछत्तर सिंह का नहीं है बल्कि बरनाला के पास गांव भूरे हो या संगरूर का गांव वीरवाल और पटियाला का गांव काल झाड़ सभी गांव में लगी हुई अगेती फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। हैरानीजनक यह है कि इन गांवों में अभी तक गिरदावरी करने के लिए कोई अधिकारी या कर्मचारी नहीं पहुंचा है।

दफ्तरों से तैयार हो जाती है रिपोर्ट

भूरे गांव के दिलावर सिंह ने बताया कि अक्सर गिरदावरी के लिए अब कोई नहीं आता, दफ्तरों में बैठकर ही रिपोर्ट में भर दी जाती हैं। इसलिए किसानों को उनके नुकसान का सही मुआवजा नहीं मिल पाता। इसी गांव के तरसेम सिंह का कहना था कि पिछेती फसलों की हुई क्षति का अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता, लेकिन प्रति एकड़ दो क्विंटल का नुकसान तो जरूर हो जाएगा।

किसानों को सरकार बोनस के रूप में 200 रुपये प्रति क्विंटल दे। नजर सिंह ने मांग की कि किसानों को 30 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए। सरकार किसानों द्वारा लिए गए इस साल के कर्ज पर ब्याज माफ करे और इसकी अदायगी भी आगे डाल दे।

गिरदावरी के लिए किसान परेशान

फूल ब्लॉक के गांव मोड़ से कुछ किसान भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बूटा सिंह बुर्ज गिल से मिलने पहुंचे थे। वे कह रहे थे कि उनकी फसलों की गिरदावरी जल्दी करवाने के लिए प्रशासन पर दबाव डाला जाए। उन्होंने बताया कि बहुत सारे खेतों में दाने बदरंग हो गए हैं, इसे मंडियों में बेचने में काफी दिक्कत आएगी। बरनाला, संगरूर जिलों के खेतों में पानी तो खड़ा दिखाई नहीं दिया, लेकिन किसानों को डर है कि कहीं अगले दो-तीन दिन में तेज हवाएं न चलने लगे।

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