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मानवाधिकारों के लिए और अधिक प्रयास करने की दरकार

बरनाला इंसानी अधिकारों को पहचान देने व वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए जारी संघर्ष को ताकत देने के लिए हर वर्ष 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस यानी यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डे मनाया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 11:18 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 11:18 PM (IST)
मानवाधिकारों के लिए और अधिक प्रयास करने की दरकार
मानवाधिकारों के लिए और अधिक प्रयास करने की दरकार

सोनू उप्पल, बरनाला

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इंसानी अधिकारों को पहचान देने व वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए जारी संघर्ष को ताकत देने के लिए हर वर्ष 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस यानी यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डे मनाया जाता है। विश्वभर में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम को रोकने, उसके खिलाफ संघर्ष को नई परवाज देने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है। किसी भी इंसान की ¨जदगी, आजादी, बराबरी व सम्मान का अधिकार ही मानवाधिकार है। भारतीय संविधान इस अधिकार की ना सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा भी देती है। भारत में 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में आया था। 12 अक्टूबर, 1993 में सरकार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया। सरकार द्वारा गठित आयोग के कार्यक्षेत्र में नागरिक व राजनीतिक के साथ आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं। इनमें जैसे बाल मजदूरी, एचआईवी/एड्स,

स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने

वाली मौत, अल्पसंख्यकों व अनुसूचित जाति व जनजाति के अधिकार शामिल है।

--इस अवसर पर एडवोकेट रू¨पदर ¨सह संधू ने कहा कि सेहत सुविधा हर व्यक्ति का मानवधिकार है, लेकिन जिला बरनाला में करीब 7 लाख आबादी के लोगों के लिए अच्छी सेहत सुविधा ना होना बहुत शर्मनाक बात है। प्रदेश सरकार को जिला बरनाला के लोगों के लिए अच्छी सेहत सुविधा प्रदान करनी चाहिए।

--इस अवसर पर एडवोकेट राजीव लुबी ने कहा कि बाल मजदूरी एक अभिशाप है। लेकिन आज अपने खेलने कूदने की आयु में बच्चे पढ़ने लिखने की जगह ढ़ाबा, रेस्ट्रोरेंट, दुकान व कैंटीनों पर बाल मजदूरी करते दिखाई दे रहे है। प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी इसका सबसे बड़ा कारण है, लेकिन प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को बाल मजदूरी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

--इस अवसर पर एडवोकेट सत्तनाम ¨सह राही ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बेशक भारत में कड़े कानून व अधिकार बने हुए है, लेकिन आज महिलाएं अपने घरों में भी सुरक्षित नही है। भारत में महिलाओं के साथ यौन शोषण, तलाक, मारपीट से लेकर अन्य जुर्म प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है। भारत सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता प्रबंध करने चाहिए व उनका इंसाफ दिलाना चाहिए।


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