किसान नहीं मानते प्रशासन का आदेश, नहीं थम रहा पराली का धुआं
किसान नहीं मानते प्रशासन के आदेश, नही थम रहा पराली का धुआंकिसान नहीं मानते प्रशासन के आदेश, नही थम रहा पराली का धुआंकिसान नहीं मानते प्रशासन के आदेश, नही थम रहा पराली का धुआंकिसान नहीं मानते प्रशासन के आदेश, नही थम रहा पराली का धुआंकिसान नहीं मानते प्रशासन के आदेश, नही थम रहा पराली का धुआं
संवाद सहयोगी, बरनाला : बेशक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा पराली जलाने के मामले में संबंधी जिला प्रशासन को धारा 144 के तहत सख्त से सख्त कार्रवाई करने के साथ चालान काटने के आदेश दिए गए है, परंतु किसान है कि मान ही नहीं रहे है। कहने का भाव एनजीटी व पीपीसीबी के नियमों को टांग नियमों की धज्जियां उठाते किसान नियमों को पराली के धुएं में ही उड़ा रहे हैं व बिना किसी डर के पराली जलाना अपनी मजबूरी व प्रदेश सरकार की नीतियों से लेकर साधनों की कमी का हवाला देकर पराली को जला रहे है। गौरतलब हो कि जहां पराली को आग लगाने का असर दिल्ली में 10 दिनों में ही दिखाई देने लगा है, वहीं आने वाले दिनों में धुएं का प्रकोप इससे भी ज्यादा खतरनाक दिखाई दे रहा है। बता दें कि जिला बरनाला में एक अनुमान के हिसाब से एक एकड़ जमीन में 70 ¨क्वटल पराली निकलती है, ऐसे में जिला बरनाला में 20 लाख टन पराली निकलेगी, अगर इतनी पराली जलाई गई, आने वाले समय में पराली का धुआं हर किसी को भयानक संकट में डाल स्वस्थ पर असर करेगा। पराली का धुआं दमा, सांस जैसी बीमारी से पीड़ित मरीजों को देने लगा दर्द पराली जलाने के बाद पराली के धुएं के चलते शाम को पराली का धुआं लोगों को परेशानी में डाल देता है। दो पहिया वाहन चालकों से लेकर पैदल राहगिरों को पराली का धुआं जहां आंखों में दर्द देता है व बीमारियों व संकट में डाल रहा है। वहीं पराली का धुआं दमा, सांस जैसी बीमारी से पीड़ित मरीजों को दर्द दे रहा है व बीमारियों को गंभीर बना रहा है। सिविल अस्पताल बरनाला में प्रतिदिन 20 से 30 के करीब मरीज खांसी, जुकाम, सिर दर्द, आंखों में जलन, सांस, दमा के मरीजों की इलाज के लिए संख्या बढ़ रही है, वहीं जिला बरनाला प्रतिदिन 500 के करीब मरीज इन बीमारियों से पीड़ित निजी व सरकारी अस्पताल मे इलाज करवा रहे है। फेफड़ों में कमजोरी, दमा, सांस जैसी बीमारी से पीड़ित मरीजों मुंह को ढके कर रखें।
सिविल अस्पताल बरनाला के मेडिसन एमडी डॉक्टर मनप्रीत ¨सह ने बताया कि सांस, दमा व फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित मरीज अपना मुंह पर कपड़ा बांध ढक करके रखे, बच्चों को बाहर ना निकालें। वाहन चलाने वाले व्यक्ति मुंह पर मास्क पहन करके रखे। उन्होंने कहा कि पराली का धुओं आंखों में जलन पैदा करता है, इसलिए आंखो पर चश्मा लगा करके रखें।
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा पराली जलाने के मामले में जिला प्रशासन के दिशा निर्देशानुसार 471 साइट की सेटेलाइन पर मिली लोकेशन पर मौका ए मुआयना करते हुए 130 साइट पर 400 के करीब किसानों का 1 लाख 87500 रुपये का चालान काटा जा चुका है। डीसी धर्मपाल गुप्ता ने कहा कि पराली जलाने से प्रदूषण के साथ साथ बीमारियों को भी निमंत्रण मिल रहा है। इसलिए पराली जलाने के मामले में किसी भी किसान को बख्शा नहीं जाएगा।