पंजाब वासियों पर करोड़ों रुपये का कर्ज, नेता कर रहे मुफ्त सब कुछ देने की बात : सतपाल गोयल
इस समय पंजाब की आर्थिक हालत कमाई अठन्नी खर्चा रुपये वाली है। फिर भी सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता मुफ्त में बहुत कुछ देने के बात कर रहे हैं।
संवाद सहयोगी, तपा बरनाला : इस समय पंजाब की आर्थिक हालत कमाई अठन्नी खर्चा रुपये वाली है। फिर भी सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता मुफ्त में बहुत कुछ देने के बात कर रहे हैं। एक अंदाजे के मुताबिक अकाली दल, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा जो वादे किए जा रहे हैं उनका खर्च प्रति वर्ष 70 हजार करोड़ के लगभग है। यह पैसे कहां से आएंगे, इसका जवाब किसी भी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के पास नहीं है। पंजाब सरकार के सभी विभागों से आमदनी खर्चा बजट घाटा और पंजाब सरकार द्वारा ली गई कर्जे की जानकारी लेने के लिए वित्तिय विभाग पंजाब सरकार से आरटीआइ एक्ट 2005 के तहत जानकारी की मांग तपा के आरटीआइ कार्यकर्ता सतपाल गोयल द्वारा की गई। जवाब में वित्तीय विभाग द्वारा जो जानकारी दी गई, उसके मुताबिक 2020-21 के दौरान सरकार की सभी टैक्सों से आय 72042.42 करोड़ रुपये थी। पंजाब सरकार ने 70 हजार के अधिक का कर्ज भी लिया था। इससे 142219.50 करोड़ रुपये इकट्ठा हो गए और पंजाब सरकार द्वारा 13999.69 करोड़ रुपये कार्यों पर खर्च किए गए। सतपाल गोयल ने बताया कि 2020-21 में बजट घाटा 28465.19 करोड़ रुपये था और पंजाब सरकार पर 31 मार्च 2021 तक 261238.70 करोड़ रुपए कर्ज था। उन्होंने बताया कि इन सबसे यह सवाल पैदा होता है कि यदि पंजाब सरकार की सभी विभागों से आय 72 हजार करोड़ रुपये की है तो पंजाब 70 हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष का अतिरिक्त बोझ कैसे झेल पाएगा। उन्होंने आगे बताया कि पहले ही पंजाब सरकार द्वारा खेतीबाड़ी सेक्टर को दी जाने वाली 15 हजार करोड़ की बिजली मुफ्त में दी जा रही है। इसका भार झेलने के लिए पंजाब सामर्थ नहीं है। जबकि हमारे राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने निजी हितों के लिए 70 हजार करोड़ की सब्सिडी देने की बात करते हैं। यह पंजाब वासियों से बेइंसाफी है। पंजाब पहले ही कंगाली की कगार पर खड़ा है और पंजाब के अंदर पैदा होने वाला हर बच्चा अपने सिर पर एक लाख का कर्ज लेकर पैदा हो रहा है। आरटीआइ कार्यकर्ता सतपाल सतपाल गोयल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि पंजाब के राजनीतिक नेता की जायदाद बेचकर पंजाब का कर्जा उतारा जाए और झूठे वादे करने वाली पार्टियों की मान्यता रद की जाए।