केंद्र के खेती विधेयकों को लेकर किसान असमंजस में
संवाद सहयोगी संगरूर बरनाला केंद्र द्वारा पास किए गए दो खेती विधेयकों के लेकर किसान यूनियनो ने विरोध जताया।
संवाद सहयोगी, संगरूर बरनाला : केंद्र द्वारा पास किए गए दो खेती विधेयकों के लेकर किसान यूनियनों से लेकर सियासी पार्टियों में बेशक हड़कंप मचा है, लेकिन विधेयकों प्रति अभी भई अधिकतर किसानों में असमंजश का माहौल है। किसान न तो इन विधेयक के बाबत पूरी जानकारी रखते हैं तथा न ही उन्हें इसके फायदे व नुकसान का ज्ञान हैं, लेकिन विरोध की आग दिनों दिन भड़क रही है। अगर बात जमीनी स्तर की करें तो कुछ किसानों को तो विधेयक के लाभ व हानि के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है, वहीं कुछ किसान विधेयक को किसानों के हित में बता रहे हैं।
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स्टाक सीमा पर होगी पाबंदी
गांव मंगवाल से किसान गोबिदर सिंह मंगवाल ने कहा कि कृषि विधेयक के तहत स्टाक जमा करने की सीमा पर पाबंदी हटा दी जाएगी, जिसके कारण व्यापारी स्टाक को जमा करके रखेंगे व महंगाई बढ़ेगी। पंजाब में कई किसान ऐसे हैं जिनके पास बहुत कम एकड़ जमीन है। ऐसे किसानों को देश में अधिक लाभ लेने के लिए कहीं अन्य इलाके में फसल बेचना बहुत मंहगा पड़ जाएगा।
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निजी सेक्टर में खरीद होने से होगा नुकसान
किसान बलवीर सिंह ने कहा कि कृषि विधेयक के कारण प्राईवेट सैक्टर फसल को खरीदेगा, जिस कारण प्राईवेट सैक्टर की मनमानी बढ़ जाएगी। मंडी बोर्ड की फसली खरीद पर शायद कोई पकड़ नहीं होगी, जिस कारण कई मुलाजिम बेरोजगार हो जाएंगे।
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किसानों का भला नहीं होगा : मक्खन
कोहरियां के मक्खन सिंह ने कहा कि केंद्र के कृषि विधेयक के कारण किसानी का कुछ भला नहीं होगा, बल्कि किसानी खतरे में पड़ जाएगी। इससे पंजाब में भी अन्य राज्यों जैसे हालात हो जाएंगे। बिहार में कम जमीन वाले किसान पंजाब में मजदूरी करने को मजबूर हैं।
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असमंजस की स्थिति बनी है : गुरदेव
किसान गुरदेव सिंह ने कहा कि किसान संगठनों के विरोध के चलते वह भी संघर्ष में शामिल हो गए। कई खेती माहिरों से सुना है कि विधेयक किसानी के लिए लाभकारी हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद असमंजस में हैं। केंद्र व भाजपा इस विधेयक को फायदेमंद कह रहे हैं, जबकि बाकी विरोध कर रहे हैं।