चार साल का रोग, डेढ़ माह में मिटा गया योग
योग एक कसरत तक सीमित नहीं रह गया बल्कि इसने एक पूर्ण पैथी का रूप ले लिया है। योग के विभिन्न आसन अनेकों गंभीर बीमारियों से रोगियों को मुक्ति दिला रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : योग एक कसरत तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि इसने एक पूर्ण पैथी का रूप ले लिया है। योग के विभिन्न आसन अनेकों गंभीर बीमारियों से रोगियों को मुक्ति दिला रहे हैं। यहीं कारण है कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी योग को एक पैथी के रूप में मान्यता देकर इसका प्रचार व प्रसार शुरू कर दिया है। आज हर छोटे व बड़े शहर में योग केंद्र स्थापित है जो लोगों को स्वस्थ्य रहने का संदेश देने के साथ साथ गंभीर बीमारियों से मुक्ति दिलवा रहे हैं। कई लोगों के लिए योग रामबाण सिद्ध हो रहा है। इनमें से एक नाम आता है अमृतसर के 70 वर्षीय कपड़ा व्यापारी कमल कुमार का। वह बताते हैं कि चार वर्ष पहले रीढ़ की हड्डी में दर्द शुरू हो गया। पहले कुछ छोटे उपाय करते रहे परंतु रोग दिन प्रतिदिन गंभीर रूप धारण करता गया। यह इतना दर्दभरा हो गया कि उठना, बैठना, चलना-फिरना और लेटने में भी मुश्किल हो गई। इससे छुटकारा पाने के लिए होम्योपैथिक का इलाज 6 माह तक करवाया परंतु फर्क नहीं पड़ा। एक वर्ष तक दवाएं भी ली, फिर फिजियोथैरिपी शुरू करवा दी। इससे भी अधिक फर्क न दिखाई दिया। दो माह के बाद एलोपैथी डॉक्टर ने दवाओं की डोज बढ़ा दी। जब तक दवाओं का असर रहता तब तक राहत मिलती। असर खत्म होते ही दोबारा दर्द खतरनाक रूप धारण कर लेता। वहीं वह एक दिन दुर्गयाणा मंदिर गए। वहां गोलबाग योग आश्रम के जगदीश नारंग के साथ मुलाकात हुई। उनको तकलीफ बताई तो उन्होंने उसी वक्त कहा, कल से योग आश्रम में आना शुरू कर दें, जिस पर अगले दिन सुबह योग आश्रम पहुंचे और करीब एक सप्ताह प्राणायाम करवाया। एलोपैथी की जगह आयुर्वेदिक दवाएं लेने की सलाह दी। हर रोज एक घंटा अलग अलग योगासन करवाए जाते। 20 दिन के बाद दर्द से कुछ राहत मिली। करीब डेढ़ माह में और राहत मिली। आज दो वर्ष से रेगुलर योग कर रहा हूं। अब कमर में कोई भी दर्द नहीं है। आयुर्वेदिक दवाएं भी लेनी छोड़ दी है। बिना छड़ी ही चलता हूं। कमल बताते हैं कि योग आश्रम में हर रोज शल्ब आसन, अर्ध चंद्र आसन, बुझंग आसन, मकर आसन, प्राणायाम व जीवन तत्व आसन करवाए गए जिनसे उनको रोग से पूर्ण मुक्ति मिल गई।