ऊधम सिंह को राष्ट्रीय शहीद के दर्जे पर नहीं बन रही सहमति
जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले शहीद ऊधम सिंह को राष्ट्रीय शहीद का दर्जा देने में अब तक की केंद्र सरकारें गंभीर नहीं रही।
अमृतसर [रविंदर शर्मा]। लंदन के कैकस्टन हाल में पंजाब के तत्कालीन लेफ्टीनेंट गवर्नर माइकल ओडवायर की गोली मारकर हत्या कर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले शहीद ऊधम सिंह को राष्ट्रीय शहीद का दर्जा देने में केंद्र सरकार गंभीर नहीं है। एक तरफ जलियांवाला बाग हत्याकांड शताब्दी के लिए 100 करोड़ रुपये जारी कर पूरे वर्ष भर कार्यक्रम करवाए जाने का दम भरने वाली केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शहीद का दर्जा देने में अभी तक जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के साथ सहमति नहीं बन सकी है।
गौर हो कि शहीद के सम्मान में देश की अलग-अलग जत्थेबंदियों की तरफ से शहीद ऊधम सिंह के करीब 48 बुत देश के स्मारकों, बागों, चौक व अन्य पब्लिक जगहों पर लगाए, जबकि दूसरी तरफ केंद्र में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की सरकारें अभी तक शहीद ऊधम सिंह सहित अन्य शहीदों को राष्ट्रीय शहीद का एलान करने में आना-कानी करती आ रही हैं।
31 जुलाई 1940 को शहीद ऊधम सिंह को फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद शहीद का शव लंदन की पैंटोविले जेल के कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया था। जिसके 34 साल बाद पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने केंद्र सरकार की मदद से लंदन से शहीद की अस्थियां भारत लाए। अस्थियों के भारत पहुंचने के 14 दिनों बाद 31 जुलाई को यह विधिपूर्वक अग्नि भेंट की गई।
सात स्थानों पर विसर्जित की गई थीं शहीद की अस्थियां
अस्थियों की राख के 7 कलश तैयार कर एक हरिद्वार और एक कीरतपुर साहिब में जल प्रवाहित किए गए। शहीद की अस्थियों का एक कलश रोजा शरीफ में दफन किया गया। जबकि अन्य में से एक कलश जलियांवाला बाग स्मारक में, एक सुनाम के खेल स्टेडियम में निर्माण यादगार और बाकी बचे दो कलश शहीद ऊधम सिंह सरकारी कॉलेज सुनाम की लाईब्रेरी में रखे गए।
शहीद ऊधम सिंह की जगह लिखा है ऊधम सिंह की अस्थियां
जलियांवाला बाग स्मारक में साधारण से शो-केश में रखी शहीद ऊधम सिंह की अस्थि कलश के पास एक तख्ती पर शहीद-ए-आजम ऊधम सिंह को शहीद शब्द के साथ संबोधित करने की बजाए हंिदूी, अंग्रेजी और पंजाबी में ऊधम सिंह की अस्थियां लिखा गया है। हैरानी की बात यह है कि किसी भी संस्था ने इस पर आपत्ति नहीं जताई और न ही ट्रस्ट ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझी।
मैं अपनी तरफ से कुछ नहीं कर सकता : एसके मुखर्जी
इस संबंध में जलियांवाला बाग ट्रस्ट के सेक्रेटरी एसके मुखर्जी का कहना है कि वह एक मुलाजिम हैं और अपनी तरफ से कुछ नहीं कर सकता। ऊपर से जो हुक्म आते हैं, उनके मुताबिक ही वह काम करता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई संस्था या कोई व्यक्ति इस संबंधी लिखित में उन्हें अपना एतराज दे तो वह उसे उपर भेज देंगे।