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बीस हजार एससी विद्यार्थियों को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप का इंतजार

कोरोना महामारी ने समाज के हर वर्ग और एससी वर्ग के विद्यार्थियों को प्रभावित किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 11:04 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 06:06 AM (IST)
बीस हजार एससी विद्यार्थियों को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप का इंतजार

हरदीप रंधावा, अमृतसर

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कोरोना महामारी ने समाज के हरेक वर्ग को प्रभावति किया है। महामारी के दौरान अनुसूचित जाति (एससी) जाति से संबंधित विद्यार्थियों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ आर्थिक स्थिति ठीक न होना और दूसरी तरफ महामारी में कामकाज ठप होने की वजह से पैसा न होने पर कॉलेजों में दाखिला मिल पाना भी उनके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। जिला अमृतसर में लगभग बीस हजार के करीब एससी विद्यार्थियों को पिछले तीन सालों से पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप का इंतजार हैं। पिछले साल सिक्योरिटी के रूप में अपनी जेब से ही फीस जमा करवानी पड़ी है। वर्तमान समय में अगली कक्षाओं में दाखिला लेना उनके बस में नहीं रहा है। हालांकि कुछ कॉलेज के छात्रों ने कुछ न कुछ राशि जमा करवाने का प्रबंध कर लिया है।

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बेटी के दाखिले के लिए कहां से लाएं पैसे

एससी से संबंधित विद्यार्थी के पिता लाभ सिंह का कहना है कि उनकी बेटी हरमनप्रीत कौर बीए सेकेंड ईयर में पढ़ाई कर रही है। उन्होंने पहले साल अपनी जेब से खर्च करके अपनी बेटी को दाखिला करवा दिया था, मगर अब दूसरे साल में दाखिला लेने के लिए उनके कॉलेज वाले उनसे दाखिला फीस मांग रहे हैं, मगर दाखिला लेने के लिए उनके पास एक पैसा नहीं हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि पैसे कहां से लेकर आएं, क्योंकि कोरोना के कारण कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

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फीस भरे बिना एससी विद्यार्थी को मिले दाखिला

जरमनप्रीत कौर का कहना है कि राज्य सरकार को चाहिए कि एससी विद्यार्थियों को उच्चशिक्षा दिलाने के लिए कोई नई योजना चलानी चाहिए, ताकि उन्हें बिना फीस भरे कॉलेजों में दाखिला मिल सके। एक तरफ पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में हुई धांधली को लेकर सरकार घिरी हुई है, क्योंकि सरकार ने पिछले तीन सालों से एससी विद्यार्थियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। दाखिला लेने के लिए सबसे पहले कॉलेज को फीस भरना उनके बस में नहीं है, क्योंकि वह आर्थिक तौर पर कमजोर हैं और सरकार को चाहिए कि एससी विद्यार्थियों को फीस न भरनी पड़े।


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